‘अगर हमारा हक मारा तो…’, मनोज जरांगे की भूख हड़ताल के बीच फडणवीस के मंत्री ने दी चेतावनी

महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे में शामिल करने का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि अगर ओबीसी का हक मारा गया तो लाखों लोग सड़कों पर उतरेंगे। मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे की भूख हड़ताल के बीच भुजबल ने कहा कि 374 समुदायों के लिए सिर्फ 17 फीसदी कोटा बचा है ऐसे में मराठों को शामिल करना नाइंसाफी होगी।
महाराष्ट्र के कद्दावर मंत्री और ओबीसी नेता छगन भुजबल ने साफ लफ्ज़ों में कहा है कि मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कोटे में शामिल करना गलत होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ओबीसी का हक मारा गया तो लाखों लोग सड़कों पर उतर आएंगे।
यह बयान तब आया है, जब मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे मुंबई के आजाद मैदान में 29 अगस्त से भूख हड़ताल पर हैं। वह मराठों को कुंबी दर्जा देकर ओबीसी कोटे का लाभ दिलाने की मांग कर रहे हैं।
भुजबल ने ओबीसी नेताओं की बैठक के बाद पत्रकारों से बात की और कहा कि 374 समुदायों के लिए सिर्फ 17 फीसदी कोटा बचा है। ऐसे में मराठों को इसमें शामिल करना ओबीसी समुदायों के साथ नाइंसाफी होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि मराठों को अलग से आरक्षण देने में कोई दिक्कत नहीं, लेकिन ओबीसी के हक को छूना ठीक नहीं है।
‘कोटा बांटना नाइंसाफी’
भुजबल ने बताया कि 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण में से 6 फीसदी खानाबदोश जनजातियों, 2 फीसदी गोवारी समुदाय और बाकी छोटे-छोटे हिस्सों में बंटा है। बचा हुआ 17 फीसदी ही 374 समुदायों के लिए उपलब्ध है।
उन्होंने कहा, “मराठों को ओबीसी में शामिल करने की मांग को अदालत पहले ही ‘मूर्खतापूर्ण’ बता चुकी है।”
भुजबल ने जोड़ा कि ओबीसी समुदाय पहले से ही सरकारी नौकरियों और शिक्षा में सीमित मौकों के लिए जूझ रहा है। भुजबल ने साफ किया कि अगर ओबीसी का कोटा कम किया गया तो लाखों लोग सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर ओबीसी संगठनों की चिंताओं को उनके सामने रखा।
‘मराठों को अलग आरक्षण दो’
भुजबल ने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि मराठों को कुंबी के तौर पर ओबीसी में शामिल करना न तो कानूनी तौर पर सही है और न ही सामाजिक रूप से जायज है।
उन्होंने कहा कि जरांगे की मांग, जिसमें मराठों को ऐतिहासिक दस्तावेजों और गजट के आधार पर कुंबी का दर्जा देने की बात है, ओबीसी समुदायों के हक में सेंध लगाएगी।
उन्होंने साफ किया, “हमें मराठों को आरक्षण देने से कोई आपत्ति नहीं, बशर्ते ओबीसी कोटे को हाथ न लगाया जाए।”
भुजबल की इस बात से साफ है कि वह ओबीसी के हितों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
कोर्ट ने आंदोलन को लेकर क्या कहा?
मराठा समाज को ओबीसी कोटे के अंतर्गत आरक्षण देने की मांग लेकर मुंबई में अनशन कर रहे मनोज जरांगे पाटिल ने सोमवार (1 सितंबर 2025) को कोर्ट का आदेश आने के बाद अपने समर्थकों से मुंबई की सड़कें खाली करने की अपील की है।
इससे पहले मुंबई उच्च न्यायालय ने सरकार को मंगलवार दोपहर 12 बजे तक दक्षिण मुंबई के विभिन्न मार्गों पर जमे आंदोलनकारियों को हटाने के निर्देश दिए थे।
सोमवार को मनोज जरांगे पाटिल के अनशन का चौथा दिन था। अपने जालना स्थित गांव अंतरवाली-सराटी से बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ चलकर 29 अगस्त को मुंबई पहुंचे जरांगे दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में अनशन कर रहे हैं और उनके हजारों समर्थकों ने आजाद मैदान के सामने ही स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) रेलवे स्टेशन सहित आसपास की सड़कों पर डेरा जमा रखा है।
इसके कारण मुंबई का कार्यालयीन क्षेत्र माने जानेवाले दक्षिण मुंबई में यातायात बाधित हो रहा है। आंदोलनकारी सड़कों पर हुड़दंग करते भी दिखाई दे रहे हैं। इस समस्या को इंगित करते हुए एक अधिवक्ता गुणरत्न सदावर्ते ने मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सड़कों से आंदोलनकारियों को हटाने की मांग की थी।
सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह मंगलवार को 12 बजे तक मुंबई की सड़कें खाली करवाए। कल मुंबईवासियों की दिनचर्या पूरी तरह से पटरी पर आनी चाहिए। मुंबई में चल रहे गणेशोत्सव का भी जिक्र करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि इस अवसर पर मुंबई की बदनामी नहीं होनी चाहिए।
कोर्ट ने कहा है कि आंदोलन करने का अधिकार सभी को है। इसलिए आंदोलन की अवधि सरकार बढ़ा सकती है। लेकिन पांच हजार से अधिक आंदोलनकारी इकट्ठा नहीं होने चाहिए एवं आजाद मैदान से इतर कहीं और आंदोलन नहीं किया जाना चाहिए।
कोर्ट का यह निर्देश आने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि कोर्ट का निर्देशों को पालन किया जाएगी। इसके बाद मनोज जरांगे पाटिल ने भी अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि वे न्यायदेवता के आदेशों को पालन करते हुए सड़कों पर उपद्रव न करें।