अगर रविवार की पूजा में करेंगे सूर्यदेव के इस मंत्र का जप, तो…

प्रत्‍यक्ष है सूर्य देव

हिन्दू धर्मानुसार भगवान सूर्य को एक मात्र प्रत्‍यक्ष देव माना जाता है क्‍योंकि ये साक्षात दिखाई पड़ते हैं। रविवार को सूर्य की विधि-विधान से पूजा करने से सफलता, मानसिक शांति, प्रतिष्‍ठा और शक्ति की प्राप्‍ति होती है। सूर्यदेव की पूजा में गायत्री मंत्र के साथ नीचे लिखे कुछ मंत्रों का निरंतर जाप करने से वे प्रसन्‍न होते हैं और कई कष्‍ठों से स्‍थाई मुक्‍ति की उपलब्‍धि होती है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं सूर्य से संबंधित ये अति प्रभावशाली मंत्र।अगर रविवार की पूजा में करेंगे सूर्यदेव के इस मंत्र का जप, तो...

ध्‍यान रखें ये बातें

सूर्य के किसी भी मंत्र का जाप व्यक्ति अपनी सुविधानुसार कर सकता है, परंतु कुछ बातों का अवश्‍य ध्‍यान रखें। सूर्य यश का कारक होता है और मान सम्मान में वृद्धि कराता है। ऐसे में अगर आप तन मन की शुद्धता का ध्‍यान रखते हुए उनकी पूजा करेंगे तो अवश्‍य लाभ होगा। किसी की कुंडली में सूर्य शुभ होकर कमजोर है तो उसे इनमें से किसी भी एक मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप की संख्या 7,000 पहुंचे तो अत्‍यंत प्रभवकारी मानी जाती है। अपनी सुविधानुसार व्यक्ति अपने इन जापों को निर्धारित समय में पूरा कर सकता है।

ये हैं विशिष्‍ठ मंत्र

सूर्य वैदिक मंत्र –

ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।

हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।

सूर्य के लिए तांत्रोक्त मंत्र –

ऊँ घृणि: सूर्यादित्योम

ऊँ घृणि: सूर्य आदित्य श्री

ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय: नम:

ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:

सूर्य नाम मंत्र –

ऊँ घृणि सूर्याय नम:

सूर्य का पौराणिक मंत्र –

जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम।

तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम।

सूर्य गायत्री मंत्र –

ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात

सूर्य देव के अन्‍य मंत्र –

पुत्र की प्राप्ति के लिए 

ऊँ भास्कराय पुत्रं देहि महातेजसे।

धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात्।

हृदय रोग, नेत्र व पीलिया रोग एवं कुष्ठ रोग तथा समस्त असाध्य रोगों को नष्ट करने के लिए 

ऊँ हृां हृीं सः सूर्याय नमः।

व्यवसाय में वृद्धि करने के लिए

ऊँ घृणिः सूर्य आदिव्योम।

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