अखुरथ संकष्टी आज, इस विधि से करें पूजा

आज अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जा रहा है। यह चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें प्रथम पूज्य देवता, विघ्नहर्ता और बुद्धि के दाता के रूप में पूजा जाता है। अखुरथ संकष्टी का व्रत करने से भक्तों के सभी दुख और संकट दूर होते हैं, और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है। ऐसे में इस शुभ अवसर पर कैसे पूजा करनी है विस्तार से जानते हैं।

पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल कपड़े पहनें।
हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें कि पूरे दिन सात्विकता का पालन करें।
शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलें।
एक वेदी पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
गणेश जी का पंचामृत से अभिषेक कराएं।
उन्हें लाल चंदन, लाल फूल और दूर्वा आदि चीजें अर्पित करें।
संकष्टी व्रत कथा का पाठ और आरती करें।
संकष्टी व्रत में चंद्र दर्शन का विशेष महत्व होता है।
ऐसे में रात में जब चंद्रमा निकल, तब उन्हें जल, दूध, चंदन और अक्षत मिलाकर अर्घ्य दें।
अंत में पूजा में हुई सभी गलती के लिए माफी मांगे।

लगाएं ये भोग
मोदक/लड्डू – भगवान गणेश को मोदक बेहद प्रिय हैं। आप बेसन या तिल के लड्डू का भोग भी लगा सकते हैं।
फल – केला और मौसमी फल अर्पित करें।

पूजन मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः
करें ये दान
इस दिन तिल, गुड़ और वस्त्र का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि तिल का दान करने से शनि दोष और बाधाएं दूर होती हैं।

इस दिन न करें ये गलतियां
भगवान गणेश की पूजा में तुलसी दल का प्रयोग भूलकर भी न करें।
व्रत में चावल या साधारण नमक का प्रयोग न करें। केवल फरहारी का उपयोग करें।
इस दिन तामसिक चीजों से पूरी तरह बचें।

।।गणेश जी की आरती।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।

माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।

लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

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