बात-बात पर झूठ बोलने लगा है आपका बच्चा…
बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं उनके अंदर कई तरह के बदलाव आने लगते हैं। ये बदलाव अच्छे या बुरे दोनों तरह के हो सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों में होने वाले इन बदलावों को सही तरीके से डील किया जाए। बच्चों का झूठ बोलना इन्हीं आदतों में से एक है। आइए जानते हैं इस सिचुएशन को कैसे डील करें।
बच्चों के उज्जवल और अच्छे भविष्य के लिए उन्हें बचपन से ही सही परवरिश देना बेहद जरूरी है। हालांकि, इन दिनों बच्चों की परवरिश करना बेहद मुश्किल और चुनौतीपूर्ण हो चुका है। खासकर जब बच्चे बड़े होने लगते हैं और बात-बात पर झूठ बोलना सीख जाते हैं, तो यह परेशानी की वजह बन जाता है।
अक्सर बच्चे जब बोलना शुरू करते हैं, तो उनमें कई प्रकार के सामाजिक बदलाव भी आना शुरू होते हैं। जब वे बोलते हैं तो ये बड़ा ही प्यार अनुभव होता है, लेकिन अच्छी बातों के साथ वे कुछ गलत बातें भी सीख लेते हैं, जैसे नए-नए गलत शब्द सीखना,पलट कर जवाब देना,झूठ बोलना आदि।
इस दौरान गुस्सा करने की बजाय उन्हें प्यार से हैंडिल करना चाहिए, जिससे उनकी नींव मजबूत हो और अच्छे चरित्र का निर्माण हो। इसलिए अगर आपका बच्चा भी झूठ बोलने लगे, तो ऐसी स्थिति को डील करने के लिए नीचे दी गई टिप्स फॉलो कर सकते हैं-
शांत रहें
झूठ बोलना एक गलती है, ये बुरे होने का परिणाम नहीं है। इस गलती पर उसी तरह प्रतिक्रिया दें, जैसे बच्चे की किसी और गलती पर देते हैं। उन्हें करेक्ट करें, गलती समझाएं लेकिन कठोर या गलत शब्दों का इस्तेमाल न करें। बच्चे पर चीखने-चिल्लाने या उन्हें मारने से बच्चा डर की वजह से कुछ समय के लिए तो झूठ बोलना बंद कर सकता है, लेकिन फिर ये हमेशा के लिए उसकी आदत कभी नहीं बन पाएगी। इससे जुड़ी एक रिसर्च भी कहती है कि डांटने मारने से बच्चा झूठ बोलना बंद नहीं करेगा, बल्कि अपने झूठ को छुपाने के लिए दस और झूठ बोलना शुरू कर देगा।
सच बोलने के लिए प्रेरित करें
बच्चे को साफ शब्दों में बताएं कि झूठ बोलना अच्छी बात नहीं है, लेकिन उससे भी जरूरी है ईमानदारी। बच्चे को बताएं कि अगर उसने कभी झूठ बोल भी दिया, तो इस बात को ईमानदारी से स्वीकार कर लेने से वह और भी अच्छा इंसान कहलाएगा। उसके मन में गिल्ट भरने की जगह सच बोलने का मोटिवेशन जगाएं।
नींव मजबूत बनाएं
झूठ बोलना ये बताता है कि बच्चे का मेंटल डेवलेपमेंट हो रहा है और उसके सोशल स्किल भी डेवलप हो रहे हैं। इसलिए किसी सोशल सिचुएशन को हैंडल करने के लिए वो झूठ का सहारा लेना सीखते हैं। इस डेवलपिंग स्टेज में उनके आदतों की नींव मजबूती से रखी जा सकती है, क्योंकि इस दौरान वे बहुत ही फ्लेक्सिबल होते हैं और आसानी से आपकी समझ सकते हैं। इसलिए पैनिक करने की जगह शांति से समझाना ही इसका सही तरीका है।