विश्व व्यापार संगठन की बैठक आज से

 आज से अबू-धाबी में विश्व व्यापार संगठन (WTO) द्वारा मंत्री-स्तरीय बैठक होने जा रही है। इस बैठक में भारत भी शामिल है। बता दें कि भारत खुद को एक नाजुक संतुलन की स्थितियों में पा रहा है। दरअसल, भारत चीन के साथ पश्चिमी देशों की चुनौतियों का सामना कर रहा है। इसके अलावा भारत अपने एजेंडों के बारे में भी बताएगा। चलिए, इस आर्टिकल में भारत के एजेंडा के बारे में जानते हैं।

भारत के सामने खड़ी है ये चुनौती

चीन 120 से अधिक देशों के समूह का नेतृत्व करते हुए

निवेशक डब्ल्यूटीओ ( World Trade Organization) में एक समझौते पर जोर दे रहे हैं। इसमें निवेश प्रक्रिया को सरल बनाने पर निवेश प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए डब्ल्यूटीओ में एक समझौते पर जोर दे रहा है। यह डब्ल्यूटीओ के तहत आने वाला निवेश सुविधा समझौता (Investment Facilitation Deal) है। भारत इस समझौते के विरोध में है। दरअसल, भारत का कहना है कि निवेशक डब्ल्यूटीओ के दायरे से बाहर है।

इसके अलावा इस समझौते से विकासशील देश को नुकसान होता है और यह बहुपक्षवाद को भी कमजोर करता है।

पश्चिमी देशों से भारत की चुनौतियां बहुआयामी हैं। इसमें ओटीटी प्लेटफॉर्म () से लेकर एग्रीकल्चर सेक्टर सब शामिल हैं। डब्ल्यूटीओ में सभी फैसले सर्वसम्मति के साथ लिये जाते हैं। इस वजह से भारत को आर्थिक सुधारों में पश्चिमी देश एक अवरोधक के रूप में देखता है।

भारत के सामने ई-कॉमर्स भी एक चुनौती है

डिजिटल मीडिया जैसे नेटफ्लिक्स (Netflix) और स्पोटीफाई (Spotify) को इंटरनेट पर प्रसारित होने पर इंटरनेशनल टैक्स से छूट मिलती है। ऐसे में यह ओटीटी दिग्गज जब बाहरी देशों में स्थापित होते हैं तो भारी रेवेन्यू उत्पन्न करते हैं। इसका मतलब है कि भारत जैसे कई देशों के राजस्व का नुकसान होता है, जबकि यह इन ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए सबसे ज्यादा यूजर्स देता है।

क्या है भारत का एजेंडा

डब्ल्यूटीओ के मंत्री-स्तरीय बैठक में भारत खाद्य सुरक्षा और कृषि सुधार के साथ ही मत्स्य पालन सब्सिडी के अलावा कई एजेंडा के बारे में बताएगा। भारत का एजेंडा इस प्रकार है:

  • खाद्य सुरक्षा: देश में खाद्य सुरक्षा के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कार्यक्रम का स्थायी समाधान करना जरूरी है।
  • इसके अलावा भारत पब्लिक स्टॉक-होल्डिंग की आवश्यकता पर भी जोर दे रहा है।
  • भारत विकासशील देशों के हितों को ध्यान में रखते हुए सुधारों का समर्थन करता है।
  • भारत अत्यधिक मछली पकड़ने और अत्यधिक क्षमता में योगदान देने वाली सब्सिडी पर अंकुश लगाने पर जोर दे रहा है।  
  • भारत श्रम और पर्यावरण जैसे गैर-व्यापार मुद्दों को लाने पर आपत्ति जता रहा है, क्योंकि उनका मानना है कि इसकी चर्चा के लिए अलग मंच उपलब्ध है।
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