World Heart Day: महामारी का रूप ले चुका है हर्ट अटैक, अब दिल के रोगियों की जान बचाने को BHU ने की है पहल

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी
वाराणसी. इंसान के शरीर के यूं तो हर अंग महत्वपूर्ण हैं। किसी एक की कमी दूसरा कतई पूरा नहीं कर सकता। लेकिन अगर दिल की बात करें तो यह सबसे महत्वपूर्ण है। कारण दिल की धड़कन है तो जीवन है। इसके बंद होने का मतलब मृत्यु है। बावजूद इसके लोग दिल की बीमारी पर आरंभिक दौर में गौर नहीं करते जिसके चलते वो मौत को गले लगा लेते हैं। इस जानलेवा बीमारी से बचने के लिए खुद आम आदमी को जागरूर होना होगा। यह सलाह है बीएचयू के कार्डियोलॉजिस्ट की। वैसे बीएचयू जल्द ही दिल की बीमारी से होने वाली मौत को रोकने के लिए नया प्रोजेक्ट लांच करने की तैयारी में है। बहुत जल्द इसकी लांचिंग हो जाएगी, तब बनारस और पूर्वांचल ही नहीं बल्कि समूचे उत्तर भारत के लोगो को इस जानलेवा बन चुकी बीमारी से राहत मिल सकेगी।
बीएचयू आईएमएस के कार्डियोलॉडिस्ट हर्ट की बीमारी के लिएतेजी से भागती दुनिया में वक्त की कमी, बदलती जीवनचर्या को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका मानन है कि इसी न सारा कुछ गडमड किया है। इस आपाधापी की जिंदगी में सबसे गौंण हुआ है तो वह है इंसान की सेहत। बड़े-बुजुर्गो की छोड़ें अब तो छोटे-छोटे बच्चे भी तेजी से दिल की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। हालिया शोध बताते हैं कि भारत में हृदयाघात से मरने वालों की तादाद में पिछले 15 साल में 34 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। यह आंकड़ा चौंकाने वाला इसलिए भी है कि भारत की तुलना में यूरोपीय देश और अमेरिका में भी यह स्थिति नहीं है। इसे लेकर कार्डियोलॉजिस्ट की चिंता बढ़ गई है।
दुनिया के एक चौथाई मरीज भारत मेंग्लोबल मेडिकल जर्नल में हाल में प्रकाशित शोध से पता चलता है कि इस्केमिक हर्ट डिजीज के रोगियों की संख्या दुनिया भर का एक चौथाई है। दरअसल दिल में खून की कम आपूर्ति इस बीमारी का प्रमुख लक्षण है। इस्केमिक हृदय रोग भारतीय मरीजों में हर्ट फेल्योर का प्रमुख कारण है। इस्केमिक हर्ट डिजीज के सबसे ज्यादा रोगी पंजाब, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र में पाए जाते हैं। इसके बाद हिंमांचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल का नाम आता है।
अब महामारी का रूप ले चुकी हैं संक्रमणरहित बीमारियां
बीएचयू कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो धर्मेंद्र जैन ने पत्रिका से खास बातचीत में बताया कि दुनिया भर में संक्रामक रोगों पर काफी हद तक लगाम लगाया जा चुका है। मसलन टीबी, पोलियो, कालरा जैसी बीमारियों का तकरीबन उन्मूलन हो चुका है। अब उनकी जगह गैर संक्रमित बीमारियों ने ले ली है। इसमें हर्ट अटैक, मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियां जानलेवा साबित हो रही हैं। ऐसे में समूचे विश्व के साथ ही भारत सरकार भी इसकी रोकथाम के लिए लगी है। जगह-जगह संक्रमणरहित बीमारियों की रोकथाम को केंद्र खोले जा रहे हैं। आईसीएमआर भी इसके लिए लगातार प्रयास कर रहा है। प्रो जैन ने बताया कि इसी के तहत जल्द ही देश के 10 शहरों में ऐसे संक्रमणरहित बीमारियों वाले केंद्र खोले जा रहे हैं जिसमें बनारस भी शामिल है। उन्होंने बताया कि बीएचयू आईएमएस के कार्डियलॉजी डिपार्टमेंट की ओर से मैने भी आईसीएमआर को एक प्रोजेक्ट भेजा है जो स्वीकृत भी हो गया है। जल्द ही यह प्रोजेक्ट शुरू हो जाएगा तो वाराणसी ही नहीं बल्कि समूचे उत्तर भारत के लोगों को इसका लाभ मिलेगा।
जागरूकता जरूरी
-प्रो जैने ने पत्रिका को बताया कि लोगों में हर्ट अटैक के प्रति जागरूकता में काफी कमी है। हर्ट अटैक से होने वाल मौत में दो तिहाई ऐसे लोग होते है जिन्हें समय पर उचित दवा नहीं मिल पाती जिससे उनकी मौत हो जाती है। -ऐसे में लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना भी जरूरी है ताकि वो समय रहते कार्डियोलॉजिस्ट के पास पहुंच सकें। ईसीजी समय से करा सकें। इससे उन्हें समय पर इलाज होगा तो जीवन की रक्षा की जा सकेगी। बताया कि अगर आधे घंटे के भीतर ऐसे रोगी को विशेषज्ञ के पास पहुंचा दिया जाए तो रोगी की जान बचाई जा सकती है। अगर रोगी घंटे भर के अंदर अस्पताल पहुंच जाए तो खून के थक्के को डिजाल्ब कर रक्त प्रवाह सामान्य किया जा सकता है।
बीएचयू कार्डियोलॉजिस्ट की सलाह- बीएचयू कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो धर्मेंद्र जैन ने पत्रिका से खास बातचीत में बताया कि किसी भी व्यक्ति को अगर सीने में असहनीय तेज दर्द हो और आधे घंटे तक उससे कोई राहत न मिले तो उसे तत्काल समीप के कार्डियोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। तुरंत ईसीजी कराना चाहिए। -सीने के बीच में असहनीय दर्द जो कम ही न हो रहा तो तुरंत एस्प्रीन की गोली लेनी चाहिए। साथ ही कार्डियोलॉजिस्ट की सलाह से फौरन ऐसी गोलियां लें जिससे धमनियों में बना खून का थक्का डिजाल्ब हो और रक्त प्रवाह सामान्य हो सके।
कार्डियोलॉजिस्ट की अपील-कार्डियोलॉजिस्ट्स ने हृदय रोगों के संकेतों और लक्षणों पर अधिक ध्यान देने की अपील की है, ताकि शुरूआती दौर में ही उपचार हो सके और अमूल्य जीवन को बचाया जा सके। दिल की बीमारी के चलते होने वाली मौत की संख्या को कम किया जा सके। हर्ट डिजीज के लक्षण-धमनियों में रुकावट होने पर सीने में दबाव और दर्द के साथ खिंचाव-मिचली आना-सीने में जलन-पेट में दर्द-पाचन संबंधी समस्या-बाएं कंधे में दर्द-पैरों में दर्द-पसीना आना और घबराहट
हर्ट अटैक की प्रमुख वजह-अनियमित दिनचर्या-अधिक मीठा या मसालेदार भोजन-शारीरिक गतिविधि में कमी-अनियमित खान-पान
बढता मौत का ग्राफकार्डिय वैस्कुलर डिजीज के कारण होने वाली मौत की संख्या 1999 में 15 फीसदी थी जो 2016 में बढ़ कर 28 फीसदी हो गई। हर्ट फेल्योर इन सभी सीवीडी में मृत्यु का प्रमुख कारण है। इसमें तकरीबन 23 फीसदी मरीजों को रोग की शिनाख्त होने में ही साल बीत जाता है।
हर्ट डिजीज के लिए पेशेंट्स का पारिवारिक इतिहास भी प्रमुख कारणविशेषज्ञों के अनुसार हर्ट फेल्योर में जोखिम को बढाने वाले कारको में इस्केमिक हर्ट डिजीज, कोरोनरी आर्टरी डिजीज, दिला का दौरा, उच्च रक्तचाप, दिल के वाल्व का रोग, कार्डियो मायोपैथी, फेफड़ों की बीमारी, मधुमेह, मोटापा, शराब और नशीली दवाओं का सेवन तथा हृदय रोगों का पारिवारिक इतिहास भी प्रमुख है इनसे करें परहेजबीएचयू के कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो जैन ने पत्रिका को बताया कि दिल की बीमारी से बचने के लिए निम्न बातों पर करें गौर-डब्बा बंद फास्ट फूड से करें परहेज-नशीली वस्तुओं से दूर रहें
ये जरूर करें-नियमित व्यायाम करें-योगाभ्यास करें-तेज पदचालन-ताजा घर का बना खाना खाएं-ताजे फल-सब्जी का सेवन करें-स्ट्रेस से दूर रहें-घर परिवार और दोस्तों संग बात करें, हंसे और खुल कर हंसे। इससे तनाव दूर होगा
 

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