Women’s Day: सबने मारे ताने, पर नहीं हारी और बन गई क्रिकेट की ‘शेरनी’…

वूमेन्स डे के मौके पर हम आपको सुना रहे हैं, उस बहादुर बेटी की कहानी, जिसने लोगों के ताने सुने, पर वो हिम्मत नहीं हारी और बन गई क्रिकेट की ‘शेरनी’, इनका जज्बा देखकर सचिन तेंदुलकर ने भी एक फर्ज निभाते हुए बड़ा तोहफा दे डाला।
हम बात कर रहे हैं, वूमेन्स क्रिकेट टीम की खिलाड़ी हरमनप्रीत कौर की, जो टी20 वर्ल्ड कप में टीम की कप्तान हैं। हरमनप्रीत कौर तब सुर्खियों में आई, जब उन्होंने वर्ल्ड कप 2017 में भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए सेमीफाइनल मुकाबले में 115 गेंदों में 171 रन बनाए। 20 चौके और 7 छक्के जड़े। पारी में हरमनप्रीत का स्ट्राइक रेट 148.69 रहा। इस धमाकेदार पारी की बदौलत हरमन ने न केवल महिला क्रिकेट के बल्कि, पुरुष क्रिकेट के कुछ रिकॉर्ड्स को चुनौती दे डाली।
हरमन भारतीय टी20 टीम की कप्तान हैं
हरमनप्रीत 7 मार्च 2009 को टीम इंडिया का हिस्सा बनीं। इसी दिन उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ पहला वनडे खेला। 13 अगस्त 2014 को हरमन ने इंगलैंड के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था। पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलते हुए भारत ने टी20 क्रिकेट में सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी। उस मैच में हरमनप्रीत ने 31 गेंदों पर 46 रन जड़े थे। 2016 में ही हरमनप्रीत कौर को भारतीय टी20 टीम की बागडोर सौंप दी गई।
इंटरनेशनल वूमेन डे के दिन जन्मीं थी हरमन
हरमनप्रीत का पूरा नाम रमनप्रीत हरमनप्रीत कौर भुल्लर है। उनका जन्म वूमेन्स डे के दिन 8 मार्च 1989 को पंजाब के मोगा में हुआ था। उनके माता-पिता हरमंदर सिंह भुल्लर और सतविंदर कौर ने बताया कि हरमन ने अपनी प्राइमरी एजूकेशन भूपिंदरा खालसा गर्ल्स स्कूल और 10वीं गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल से की। हरमनप्रीत एक ऑल-राउंडर खिलाड़ी हैं।
परेशानियां झेलीं, पर क्रिकेट का जुनून कम नहीं हुआ
तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी हरमनप्रीत स्कूल में हरमनप्रीत हॉकी और एथलेटिक्स खेलती थीं, लेकिन क्रिकेट ही उनके मन में बस गया। पर न तो उसके पास खेलने का माहौल था और न ही सुविधाएं। पिता के पास कभी इतने पैसे नहीं थे कि पांच साल की बेटी के लिए नया बैट खरीदें तो वे भारी-भरकम बैट को काट-छांट कर छोटा करते थे। परेशानियों ने हरमन के क्रिकेट के प्रति उसके जुनून को कम नहीं होने दिया।
पिता को कर्ज लेकर घर नहीं लेने दिया
भुल्लर परिवार पहले छोटे से मकान में रहता था। बेटी क्रिकेट बन गई तो पिता को लगा कि अब घर बड़ा होना चाहिए। हाउसलोन लेने की सोची जब हरमन को पता लगा तो पिता को घर वापस ले आई। वो नहीं चाहती थी कि परिवार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़े। हरमन जब इस लायक हो गई तो सबसे पहले पापा के लिए उनके सपनों का घर खरीदा।
लड़कों के साथ गली क्रिकेट खेलती थी हरमन
भाई गुरजिंदर और उनके दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने की शुरुआत हुई। पंजाब में स्कूल कॉलेजों के लिए खेलों के लिए तो योजना थी लेकिन एक समय क्रिकेट उसका हिस्सा नहीं था। पिता हरमंदर चाहते थे कि बेटी हॉकी खिलाड़ी बने लेकिन उन पर तो क्रिकेटर बनने की धुन सवार थी। चुन्नी को कमर पर बांध लेती थीं और हॉकी को बल्ला बनाकर क्रिकेट के शॉट खेलती थी। हरमन 2006 में मोगा जिले के तारापुर गांव स्थित ज्ञान ज्योति स्कूल में पढ़ने के लिए गई जहां क्रिकेट अकादमी थी। यही से शौक परवान चढ़ गया।
पापा ने नौकरी के साथ दूध भी बेचा
पचपन साल के हरमंदर सिंह भुल्लर मोगा नौकरी करते हैं, जिससे घर का गुजारा होना मुश्किल था। हरमन की एक बहन और भाई भी है। भुल्लर परिवार ने चार भैंस पाल रखी थी और दूध बेचकर घर का खर्च निकाला जाता था। उस समय हरमन को पिता महंगा बल्ला नहीं दिला पाते थे। सस्ते से सस्ता बल्ला दिलाया जाता था। हरमंदर खुद बॉस्केटबॉल और हैंडबॉल के राज्य स्तरीय खिलाड़ी रहे हैं बेटी और बेटे में कभी फर्क नहीं किया। घर के सामने गुरु नानक स्टेडियम में पिता अक्सर बेटी का अभ्यास देखने जाते थे। पड़ोसी मजाक उड़ाते थे लड़की को खिलाड़ी बनाकर क्या करोगे। मगर हरमंदर ने कभी परवाह नहीं की। हरमन की सफलता में स्कूल क्रिकेट अकादमी से जुड़े कमलधीश सोढ़ी का भी बड़ा योगदान रहा।
जब घरों के शीशे तोड़ने पर भी लोगों ने दी शाबाशी
पटियाला में एक बार हरमन कौर स्थानीय मैच खेल रही थी। उन्होंने 75 रन की आकर्षक पारी खेली जिसमें बड़े लंबे-लंबे छक्के मारे जिससे लोगों के घरों के शीशे टूट गए। नाराज लोग मैदान में लड़ने आ गए लेकिन जब उन्हें पता लगा कि सामान्य सी लगने वाली लड़की ने ये दमदार शॉट लगाए हैं तो वे न केवल हैरान रह गए बल्कि शिकवा छोड़कर शाबाशी देने लगे।
छक्के मारने का पुराना है अभ्यास
बड़े शॉट खेलने का अभ्यास हरमन को बचपन से ही है। शुरुआत में कोच अभ्यास के समय लक्ष्य देते थे कि तुम्हें आधी से ज्यादा गेंदों को बाउंड्री पर लगे पेड़ के पार पहुंचाना है नहीं तो अतिरिक्त अभ्यास करना पड़ेगा और सौ बाउंड्री लगानी पड़ेंगी लेकिन उन्हें कभी इस कारण अभ्यास के लिए देर तक नहीं रुकना पड़ा।
सचिन तेंदुलकर ने निभाया था अपना फर्ज
क्रिकेट के प्रति हरमनप्रीत की लगन और जज्बा देखते हुए क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर ने बहुत बड़ा फर्ज निभाया। उन्होंने रेलवे से सिफारिश की, कि वे खिलाड़ी को नौकरी दें। ऐसा हुआ और हरमन को नौकरी मिल गई। इसके लिए पूर्व क्रिकेटर और अब सीओए सदस्य डायना एडुल्जी ने भी पहल की थी। हालांकि हरमनप्रीत का पिछले दो सालों में विवादों से भी वास्ता पड़ा। पंजाब पुलिस में नौकरी मिलने पर उनकी डिग्री को जाली बताया गया, लेकिन यहां भी वह जीती।