क्यों बंद हुई अजय देवगन की ‘चाणक्य’?
अभिनेता अजय देवगन (Ajay Devgn) और फिल्मकार नीरज पांडेय (Neeraj Pandey) काफी समय से साथ काम करना चाह रहे थे। यह ख्वाहिश पूरी हो रही फिल्म ‘औरों में कहां दम था’ से। फिल्म में तब्बू और अजय की जोड़ी नजर आएगी। इस फिल्म को लेकर नीरज से खास बातचीत…
आप तो चाणक्य फिल्म बना रहे थे, लव स्टोरी बीच में कहां से आ गई?
कई कारणों से वह फिल्म नहीं बन पाई है। फिलहाल हमने उसे होल्ड पर रखा है। मुझे लगता है कि काफी समय से हम में एक गिल्ट था कि एक प्रोजेक्ट में हमने अपना काफी समय दिया है और वह प्रोजेक्ट बन नहीं रहा है, तो यह फिल्म बना लेते हैं। वहीं से बातचीत शुरू हुई। मेरे पास यह कहानी थी। कलाकारों को सुनाई और वहां से फिल्म शुरू हुई।
आपको लव स्टोरी का चार्म कब से था। जब इस इंडस्ट्री में आए थे, तब कैसा दौर था?
लव स्टोरी का जॉनर हमेशा रहेगा। पिछले दो-तीन साल में एक दौर चल रहा था, जहां हमने इस तरह की कहानियां नहीं देखीं। समय की भी एक जरूरत और ट्रेंड होता है। हमारे पास यह विकल्प था, तो हमने इसे बनाया है।
‘औरों में कहां दम था’ का आइडिया कहां से आया?
यह कहानी कोलकाता में मेरे बड़े होने के दौरान का हिस्सा रही है। एक हद तक मैं इसका श्रेय अपनी जन्मस्थली और उस समय को दूंगा। तब एक ऐसी घटना हुई थी जो बहुत समय तक मेरे साथ रही। मैंने कभी नहीं सोचा कि वह कभी कहानी में परिवर्तित होगी या एक दिन उस पर स्क्रिप्ट लिखूंगा। घटना के बारे में नहीं बता सकता वरना फिल्म का मजा किरकिरा हो जाएगा।
वर्तमान में बॉक्स ऑफिस पर फिल्में नहीं चल रही हैं। यह बात परेशान नहीं करती?
सबसे अहम बात होती है कि आप एक अच्छी कहानी कहना चाहते हैं। क्या चल रहा है या क्या नहीं, यह बात दिमाग में नहीं होती। फिल्म के विषय को लेकर हमें भरोसा होता है, तभी उसे बनाते हैं। उसके बाद फिल्म का क्या होगा, यह तो कोई नहीं जानता। मुझे लगता है कि अगर फिल्म शुरू करते समय ही बाक्स ऑफिस के बारे में सोचते हैं तो यह बहुत गलत होता है। यह विचार आपको भटका देता है। आप ईमानदारी के साथ अपनी कहानी के साथ आगे बढ़ें।
किसके दमखम को देखकर डर लगता है ?
अपनी मां का। वह इसकी हकदार भी हैं। मैं खुश भी हूं कि मैं सिर्फ उनसे डरता हूं।
इंडस्ट्री में रहने के लिए कब अपना दम दिखाने की जरूरत लगती है?
कई बार हम आसानी से इंडस्ट्री में हार मान लेते हैं। मेरे लिए बहुत जरूरी है कि आसानी से हार न मानो। भले ही कोई प्रोजेक्ट न बने या उसमें समय लगे, फिर भी कोई बात नहीं, पर थोड़ी जिद की जरूरत होती है। मेरा मानना है कि उसमें कुछ गलत नहीं है। अपनी पसंद के अनुसार काम करो। भले ही उसमें समय लगे, लेकिन उसे समुचित तरीके से बढ़ाने का प्रयास करें। मुझे तब्बू ही फिल्म के लिए चाहिए थी। उसके लिए काम किया।
औरों की किन बातों को नजरअंदाज करना जरूरी मानते हैं?
आपको उन सबको ब्लॉक करना होता है जो आपको कहते हैं कि यह मत करो। मैंने इस बात में कभी यकीन नहीं किया कि सिर्फ सुरक्षित रास्ते पर चलो। मेरी पहली फिल्म ‘ए वेडनेसडे’ ने भी हमें आत्मविश्वास दिया। उस फिल्म को कोई सपोर्ट नहीं करना चाहता था।
नसीरूद्दीन शाह और अनुपम खेर जैसे मंझे कलाकार के साथ हम काम करना चाहते थे। हमसे कहा गया कि नए कलाकारों को लो तो फंडिंग आसान होगी। हमने उसे अनसुना करते हुए फिल्म बनाने की ठानी और उसमें सफल रहे। अगर मैं दुनिया की बात सुनता और दोनों कलाकारों को हटा देता और सोचता कि फिल्म बन जाएगी तो वह मजा नहीं रहता।