भगवान शिव शंकर की पूजा में क्यों नहीं बजाया जाता शंख? जानिए…

संसार के संहारकर्ता भगवान शिव की पूजा में शंख क्यों नहीं बजाया जाता है। इस्केव पीछे एक पौराणिक कथा है। भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग नहीं होता है, और न ही इन्हें शंख से जल दिया जाता है। इन सब का उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है। एक बार राधा गोलोक से कहीं बाहर गयी थी उस समय श्री कृष्ण अपनी विरजा नाम की सखी के साथ विहार कर रहे थे। संयोगवश राधा वहां आ गई। विरजा के साथ कृष्ण को देखकर राधा क्रोधित हो गईं और कृष्ण एवं विरजा को भला बुरा कहने लगी। लज्जावश विरजा नदी बनकर बहने लगी।

यह भी पढ़ें: धन वर्षा के सबसे बड़े कारण होते हैं भोजन करते समय किए गए ये अनोखे काम…

कृष्ण के प्रति राधा के क्रोधपूर्ण शब्दों को सुनकर कृष्ण का मित्र सुदामा आवेश में आ गया। सुदामा कृष्ण का पक्ष लेते हुए राधा से आवेशपूर्ण शब्दों में बात करने लगा। सुदामा के इस व्यवहार को देखकर राधा नाराज हो गई। राधा ने सुदामा को दानव रूप में जन्म लेने का शाप दे दिया। क्रोध में भरे हुए सुदामा ने भी हित अहित का विचार किए बिना राधा को मनुष्य योनि में जन्म लेने का शाप दे दिया। राधा के शाप से सुदामा शंखचूर नाम का दानव बना।

शिवपुराण में भी दंभ के पुत्र शंखचूर का उल्लेख मिलता है। यह अपने बल के मद में तीनों लोकों का स्वामी बन बैठा। साधु-संतों को सताने लगा। इससे नाराज होकर भगवान शिव ने शंखचूर का वध कर दिया। शंखचूर विष्णु और देवी लक्ष्मी का भक्त था। इसी कारण भगवान विष्णु ने इसकी हड्डियों से शंख का निर्माण किया। इसलिए विष्णु एवं अन्य देवी देवताओं को शंख से जल अर्पित किया जाता है।लेकिन शिव जी ने शंखचूर का वध किया था। इसलिए शंख भगवान शिव की पूजा में वर्जित माना गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button