बकरीद पर क्यों दी जाती है कुर्बानी? जानें इसके पीछे की वजह

मुस्लिम समुदाय के लोग बकरीद (Bakra Eid 2024) के आने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस पर्व को ईद-उल-अजहा को इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस दिन मुसलमान लोग बकरे या भेड़ की कुर्बानी करते हैं। इसके अलावा बकरीद पर मस्जिदों और घरों को सुंदर तरीके से सजाया जाता है और लोग मस्जिदों में जाकर सामूहिक नमाज अदा करते हैं। बकरीद का मुख्य मकसद अल्लाह के प्रति पूर्ण समर्पण का सम्मान और स्मरण करना है। चलिए जानते हैं इस पर्व के बारे में।

इसलिए दी जाती है कुर्बानी

एक बार हजरत इब्राहिम ने एक सपना देखा कि वह अपने बेटे की कुर्बानी दे रहे थे। वह खुदा में पूरा विश्वास रखते थे। उन्होंने इस सपने को अल्लाह का पैगाम माना और इसे पूरा करने का निर्णय लिया। हजरत इब्राहिम ने खुदा के लिए अपने बच्चे को कुर्बान करने का फैसला लिया।

उनकी इबादत को देख खुदा ने उनको अपने बेटे की जगह एक जानवर की कुर्बानी देने के लिए कहा। खुदा के इस आदेश को अमल कर हजरत इब्राहिम ने बेटे के कुर्बानी न देकर अपने चहेते मेमने की कुर्बानी दी। इसलिए बकरीद पर कुर्बानी दी जाती है।

ईद-अल-अजहा को बकरीद इस वजह से भी कहा जाता है, क्योंकि इस पर्व पर मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे की कुर्बानी करते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा ईद-अल-अजहा को कहीं भी बकरीद नहीं कहा जाता है।

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