सास-ससुर के साथ क्यों नहीं रहना चाहती हैं आजकल की लड़कियां, ये हैं पांच प्रमुख कारण
आज के समय में पारिवारिक संरचना में काफी बदलाव आ रहे हैं। पहले जहां संयुक्त परिवार में रहना आम बात थी, वहीं अब नई पीढ़ी, खासकर लड़कियां, सास-ससुर के साथ रहने से कतराने लगी हैं। भले ही अब समाज में संयुक्त परिवार कम ही देखने को मिलते हैं, लेकिन भारतीय परिवारों में अब भी माता-पिता और उनके बच्चे साथ ही रहते हैं। आम साधारण परिवारों में तो बेटा शादी के बाद अपनी पत्नी और माता पिता दोनों के साथ रहता है। हालांकि अधिकतर मामलों में आजकल की लड़कियां अपने ससुराल वालों व सास-ससुर के साथ रहना नहीं चाहती हैं। इसके पीछे कई सामाजिक, मानसिक और व्यावहारिक कारण होते हैं। यहां उन 5 प्रमुख संभावित कारणों के बारे में बताया जा रहा है, जिसकी वजह से लड़कियां शादी के बाद अपने सास ससुर के साथ रहना नहीं चाहती हैं।
आजकल की लड़कियों के अपने विचार, फैसले और जीवनशैली है, जिसमें उन्हें किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं चाहिए। लड़कियां शादी के बाद अपने घर को खुद की पसंद के मुताबिक, सजाना संवारना चाहती हैं। इसके अलावा उन्हें सुबह नाश्ते क्या खाना है, या लंच व डिनर में क्या पकाना है, यह भी लड़कियां अपने सहजता और पति की पसंद को ध्यान में रखकर करना चाहती हैं लेकिन अक्सर भारतीय परिवार में घर से जुड़े फैसले सास ससुर पर निर्भर करते हैं।
सास चाहती हैं कि बहु उनकी पसंद के अनुरूप घर का रखरखाव करे। आधुनिक लड़कियां खुद के परिधान से लेकर जीवनशैली तक से जुड़े फैसले खुद करती हैं लेकिन सास ससुर के साथ रहने के दौरान उन्हें उनके अनुरूप अपने रहन-सहन और जीवनशैली को ढालना होता है। भारतीय परिवारों में तो आज भी सास-ससुर से पूछकर लंच या डिनर तैयार किया जाता है। ऐसे में लड़कियों को उनकी स्वतंत्रता में कमी महसूस होने लगती है, चाहे वह उनके व्यक्तिगत जीवन से संबंधित हो या घर के कामकाज से।
पीढ़ीगत अंतर
लड़की जन्म से अपने माता पिता के साथ रही होती है, इसलिए अपने परिवार के रीति रिवाजों और परंपराओं से बचपन से ही अवगत होती है। उसे वहां एडजस्ट करने में समस्या नहीं आती लेकिन जब वह ससुराल आती है तो विचारधारा और परंपराओं को लेकर पीढ़ीगत अंतर को महसूस करती है।
सास समय-समय बहू को बताती हैं कि उनके घर में क्या नियम हैं, उनके परिवार में कैसे रहा जाता है, क्या किया जाता है और उनके दौर में क्या-क्या होता था। लड़की के लिए यह सारी जानकारी नई होती हैं और उनमें से कुछ बातें उसकी विचारधारा से मेल नहीं खाती। ऐसे में दोनों के बीच तालमेल बिठाना मुश्किल हो जाता है, जिससे तनाव उत्पन्न हो सकता है।
पति के साथ वक्त न बिता पाना
लड़कियां चाहती हैं कि वह अपने जीवनसाथी के साथ अधिक से अधिक वक्त बिताएं। उनके बीच एक निजी स्थान हो, जहां वे अपने रिश्ते को समय और महत्व दे सकें। सास-ससुर के साथ रहने पर इस व्यक्तिगत स्पेस में कमी महसूस होती है। अपने माता पिता का घर छोड़कर आई लड़की को सबसे पहले जीवनसाथी के साथ तालमेल बिठाना होता है लेकिन जब सास ससुर भी साथ होते हैं तो उस पर एक साथ सभी के साथ एडजस्ट करने की चुनौती आ जाती है। इससे लड़कियां तनाव महसूस करने लगती हैं।
पति-पत्नी के रिश्ते में हस्तक्षेप
दो अनजान लोग जब शादी के बंधन में बंधते हैं तो उनके बीच प्रेम भी होता है और टकराव भी। दोनों जब साथ रहना शुरू करते हैं तो वह अपने रिश्ते से जुड़े फैसले खुद लेना चाहते हैं लेकिन जब सास-ससुर साथ रहते हैं तो पति-पत्नी के बीच की प्राइवेसी खत्म होने लगती है।
सास-ससुर अपने बेटे-बहू के रिश्ते में हस्तक्षेप करते हैं जो उनके रिश्तों में दूरी पैदा कर देता है। दोनों के बीच टकराव की स्थिति में वह खुद मिलकर मामला सुलझाना चाहते हैं लेकिन संयुक्त परिवार में अक्सर ये निर्णय सामूहिक रूप से या घर के बड़े लेते हैं, जिससे लड़कियों को अपनी भूमिका और अधिकार सीमित महसूस होते हैं। इसके अलावा सास-ससुर के हस्तक्षेप के कारण बेटा-बहू दिखावटी समझौता कर लेते हैं, क्योंकि उन्हें खुद से एक दूसरे को मनाने-समझाने का मौका ही नहीं मिलता।
करियर और परिवार में चयन
आजकल की लड़कियां करियर को लेकर काफी गंभीर होती हैं। लड़कियां नौकरीपेशा होती हैं। पति और पत्नी दोनों मिलकर नौकरी करते हैं और दोनों मिलकर घर संभालते हैं। लेकिन जब सास ससुर बहू बेटे के साथ रहते हैं तो लड़कियों पर इस बात का दबाव बना रहता है कि वह नौकरी और करियर के कारण घर नहीं संभाल रहीं। उनपर आरोप लगता है कि वह परिवार से पहले खुद को प्राथमिकता देती हैं। सास ससुर बहू से उम्मीद करते हैं कि वह नौकरी और घर-परिवार दोनों संभालें। बेटे की थकान और परेशानी को वह समझते हैं पर बहू की नहीं। ऐसी स्थिति में भी लड़की शादी के बाद अपने ससुराल वालों के साथ रहना नहीं चाहती।