शादी के बाद महिलाएं क्यों पहनतीं हैं ‘बिछिया’, जानकर बाग-बाग हो जायेगा आपका दिल

बिछिया हर शादीशुदा महिला पहनती है। बिछिया महिला के शादीशुदा होने की निशानी है। साथ ही यह महिलाओं के सोलह श्रृंगार में से एक है। शादी के सात फेरों के बाद महिला को पैरों की उंगलियों में बिछिया पहनाई जाती है।
शादी के बाद महिला बिछिया तब तक पहनती है, जब तक उसका पति जीवित रहता है। यह उन श्रृंगार में से एक है, जिसे शादी के बाद ही किया जाता है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि बिछिया हर शादीशुदा महिला के सुहाग की निशानी है। लेकिन क्या आपको पता है कि महिलाएं श्रृंगार के रूप में बिछिया क्यों पहनती हैं।
शरीर के अंतिम आभूषण के रूप में बिछिया पांव की उंगलियों में पहनी जाती है। महिलाएं इसे पैरों के बीच की तीन उंगलियो में पहनती हैं। बिछिया पहनना सिर्फ यह नहीं बताता कि महिला विवाहित है बल्कि इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण भी है।
सेहत के लिहाज से देखा जाए तो दोनों पैरों की उंगलियों में बिछिया पहनने से मासिक चक्र नियमित रहता है। यह बात भारतीय वेदों में भी विदित है।
इसके अलावा बिछिया एक्यूप्रेशर का भी काम करती है। इससे तलवे से लेकर नाभि तक की सभी नाड़ियां और पेशियां सही रहती हैं।
बिछिया पहनने का कनेक्शन प्रेग्नेंसी से भी है। पैर की दूसरी अंगुली (अंगूठे के बगल वाली) की तन्त्रिका का सम्बन्ध गर्भाशय से होता है। साथ ही वह तंत्रिका हृदय से होकर गुजरती है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन सही तरह से रहता है।
इतना ही नहीं पैरों में बिछिया पहनने से महिलाओं की प्रजनन क्षमता भी बढ़ती है। यह बात आयुर्वेद के मर्म चिकित्सा के अंतर्गत शामिल की गई है।
पांव में हमेशा चांदी के ही आभूषण पहने जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि चाँदी एक अच्छी सुचालक है। यह पृथ्वी की ध्रुवीय ऊर्जा को सही करके शरीर तक पहुंचाती है, जिससे पूरा शरीर तरो-ताजा बना रहता है।