डॉक्टर ऑपरेशन करते समय क्यों पहनते हैं हरे कपड़े? क्या इसके पीछे है कोई साइंस? जानिए
सोशल मीडिया साइट कोरा (Qoura) पर अक्सर लोग सवाल पूछकर लोगों से उसका जवाब जानना चाहते हैं. इन सवालों के जवाब एक्सपर्ट्स भी देते हैं, साथ ही जानकारी रखने वाले यूजर्स भी अपनी बात रखते हैं. ऐसा ही एक सवाल आज हम आपके लिए लेकर आए हैं, जिसके बारे में जानना दिलचस्प है. कोरा पर एक यूजर ने सवाल किया है कि सर्जरी के समय डॉक्टर्स हरे रंग के कपड़े ही क्यों पहनते हैं? क्या इसके पीछे कोई साइंस है? आखिर कबसे इसकी शुरुआत हुई? आइए आज हम आपको इस बारे में सबकुछ बतलाते हैं. सबसे पहले तो आपने भी देखा होगा कि किसी हॉस्पिटल में सर्जरी के दौरान आमतौर पर हरे कपड़ों में नजर आता है, कभी-कभार नीले कपड़ों में भी दिख जाते हैं. लेकिन लाल-पीले कपड़ों में इन डॉक्टरों को सर्जरी करते हुए कभी नहीं देखा होगा. तो आखिर इसकी वजह क्या है? आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन 100 में सिर्फ 1 या 2 लोग ही होंगे, जिन्हें इस बारे में जानकारी होगी.
दरअसल, हरे रंग के कपड़े पहनने की शुरुआत साल 1914 में एक प्रभावशाली डॉक्टर ने किया था. उन्होंने हॉस्पिटल में पहने जाने वाले पारंपरिक रंग सफेद को हरे रंग में बदल दिया था. इसके बाद से ये चलन चल निकला. ज्यादातर डॉक्टर्स हरे रंग के कपड़ों में ही सर्जरी करने लगे. हालांकि, कुछ चिकित्सक आज भी सफेद और नीले कपड़ों में भी सर्जरी करते हैं. लेकिन हरे, नीले कपड़ों में सर्जरी करने के पीछे एक साइंस है. आपने देखा होगा कि यदि आप रोशनी वाली जगह से घर में प्रवेश करते हैं तो आपकी आंखों के सामने एक पल के लिए अंधेरा छा जाता है. ऐसे में घर के अंदर यदि आप हरे या नीले रंग के संपर्क में आते हैं तो ऐसा नहीं होता. ऑपरेशन थियेटर में डॉक्टरों के साथ भी ऐसा ही होता है. हरे-नीले कपड़ों में डॉक्टर्स को चीजें ज्यादा बेहतर दिखती हैं.
हालांकि, बीएलएके सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल (BLK Hospital) दिल्ली में कार्यरत ऑन्को सर्जन डॉ. दीपक नैन (Dr. Deepak Nain) ऐसा नहीं मानते. न्यूज18 हिंदी से बातचीत में डॉ. नैन ने एकदफा बताया था कि दुनिया के सबसे पहले सर्जन माने जाने वाले सुश्रुत (Sushruta) ने आयुर्वेद में सर्जरी के दौरान हरे रंग के इस्तेमाल की बात लिखी है. लेकिन इसकी कोई खास वजह नहीं है. कई जगहों पर सर्जरी के दौरान नीले और सफेद रंग के कपड़े भी सर्जन पहनते हैं. लेकिन हरा रंग इसलिए बेहतर होता है, क्योंकि खून धब्बे उसपर भूरे रंग के दिखाई देते हैं. हालांकि, कोरा पर एक यूजर ने भी इसका जवाब दिया है और इसके पीछे की साइंस को समझाया है. इस यूजर ने अपने उत्तर में लिखा है कि सर्जरी के दौरान चिकित्सकों का ध्यान लाल रंगों पर रहता है, क्योंकि खून भी लाल होता है. वहीं, प्रकाश के स्पेक्ट्रम पर हरे और नीले रंग लाल के विपरीत हैं. ऐसे में कपड़े के हरे और नीले रंग न केवल एक सर्जन की देखने की क्षमता में बढोतरी करते हैं, बल्कि उन्हें लाल रंग के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं.
बता दें कि लगभग 110 साल पहले तक सभी डॉक्टर्स लगभग सफेद या नीले कपड़ों में सर्जरी करते थे. लेकिन 1914 में एक प्रभावशाली डॉक्टर ने पारंपरिक रंग सफेद को हरे रंग में बदल दिया. उन्होंने पहली बार हरे रंग के कपड़े पहनकर ऑपरेशन थिएटर में सर्जरी की, तब से ही अन्य चिकित्सकों के बीच हरे रंग के कपड़ों में सर्जरी करना चलन बन गया. हालांकि, आज भी कई चिकित्सक ऐसे हैं, जो सफेद और नीले कपड़ों को पहनकर भी सर्जरी करते हैं. यूजर के इस सवाल पर कई अन्य लोगों ने भी अपने-अपने जवाब दिए हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों का उत्तर एक समान ही है. एक यूजर ने पॉइंटवाइज अपने उत्तर बताए हैं. इस यूजर ने बताया है कि हरे रंग को पहनने से आंखों पर तनाव नहीं पड़ता, बेहतर कंट्रास्ट से सर्जरी के दौरान बारीक चीजें भी बेहतर दिखती हैं. मनोवैज्ञानिक कारण भी है, क्योंकि नीला-हरा रंग मन को शांत रखने वाले रंग हैं. साथ ही लंबे समय तक लाल रंग देखने से आंखें थक जाती हैं. ऐसे में हरा-नीला रंग सुकून देता है, जिससे सर्जरी अच्छे से हो जाती है.