आखिर क्यों लगाया जाता हैं मृत देह पर लगाया गया यह ख़ास लेप, वजह जानकर चौक जायेंगे आप..

24 फरवरी के श्रीदेवी की मौत के बाद मुंबई पहुंचे उनके शव के दर्शन करने के लिए बॉलीवुड के बड़े से बड़े सितारे उनके घर पहुंचे। श्री देवी के अंतिम दर्शन में शायद ही कोई ऐसा सितारा हो जा न पहुंचा हो। अब जबकि श्री देवी की मौत के तीन दिन बीत गए हैं। ऐसे में उनके शरीर को सुरक्षित रखने के लिए, एक विशेष लेप लगाया गया। ताकि उनके शरीर को डिकम्पोज होने के बचाया जा सके। आज हम आपको इसी लेप के बारे में बताने वाले हैं जो कि मृत्यु के बाद शरीर में लगाया जाता है। इसका क्या लाभ है और क्यों इसको लगाना जरूरी हैं। शव पर लेप लगाने की प्रक्रिया यानी एम्बाममेंट या एम्बामिंग ( embalming chemicals )क्या है, इसमें क्या किया जाता है और ये क्यों ज़रूरी है यानी अगर लेप न किया जाए तो शव के साथ क्या दिक्कतें हो सकती हैं?

एम्बामिंग ( Embalming Chemicals ) क्या है?

सबसे पहले बात करेंगे एम्बामिंग यानी कि शव-लेपन की प्रक्रिया की। जो मौत के बाद शव को सुरक्षित रखने के लिए ज़रूरी होती है। जिसकी शुरुआत मिस्त्र से शुरु हुई थी। इस लेप से मनुष्य के शरीर को हज़ारों साल से बचाने के लिए लगाया जाता है। एम्बामिंग इसलिए की जाती है ताकि शव को सुरक्षित किया जा सके। उसमें कोई इंफ़ेक्शन न आए, बदबू न आए और उसे एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाया जा सके।

लेकिन एम्बामिंग कैसे की जाती है और इसमें क्या किया जाता है? विशेषज्ञ बताते हैं कि कुछ लोग केमिकल इस्तेमाल करते हैं, कुछ अल्कोहल, कुछ मामलों में आर्सेनिक और फ़ॉर्मलडिहाइड। ये सभी वो रसायन हैं, जिनकी मदद से हम शव को सड़ने से बचा सकते हैं।

एम्बामिंग ( Embalming Chemicals ) से कई दिन सुरक्षित रहता है शव

शव को सुरक्षित रखने के लिए एम्बामिंग रसायन का कितनी मात्रा में इस्तेमाल किया गया है, इसके ऊपर निर्भर करता है। एम्बामिंग की मदद से शव को तीन दिन से लेकर तीन महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है.”

एम्बामिंग ( Embalming Chemicals ) करना बेहद जरूरी

पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर बताते हैं कि मृत्यु के बाद शव को ज्यादा दिन घरों में नहीं रखना चाहिए। क्योंकि ये दूसरे लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है । क्योंकि मृत शरीर से कई तरह की गैसें निकलती हैं, संक्रमण होने लगता है। शव से मीथेन और हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी गैस निकलती हैं। जो विषैली और बदबूदार होती हैं। जो बैक्टीरिया निकलते हैं, वो दूसरे लोगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

लेप के साथ शरीर में भी भरा जाता है फ्लूड

बताया जाता है कि शव को एक से दूसरी जगह ले जाया जाता है, तो एम्बामिंग जरूरी होती है, जैसा की दुबई में श्रीदेवी के शरीर में भी किया गया। यहां तक कि जब कभी शव को ट्रांसपोर्ट किया जाता है, तो लिखा भी जाता है कि शव की एम्बामिंग हो चुकी है और इसे केमिकल से ट्रीट भी किया गया है। इससे कोई बदबू नहीं आएगी, किसी को नुकसान नहीं होगा और इसे सुरक्षित तरीके से ले जाया जा सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक एम्बामिंग के दो तरीके होते हैं, जिन्हें आर्टेरियल और कैविटी कहा जाता है। आर्टेरियल प्रक्रिया में खून की जगह शरीर में एम्बामिंग फ्लूड भरा जाता है, जबकि कैविटी एम्बामिंग में पेट और छाती को खाली कर उसमें ये भरा जाता है।

कैसे किया जाता है एंबामिंग 

एम्बामिंग करने के लिए सबसे पहले शव को डिसइंफेक्टेंट सॉल्यूशन से धोया जाता है और शरीर को मसाज भी किया जाता है। ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि मौत के बाद मांसपेशियां और जोड़ काफी सख्त हो जाते हैं। इसके अलावा शव की आंखें और मुंह बंद कर दिया जाता है। आर्टेरियल एम्बामिंग में नसों से खून निकाल लिया जाता है और एम्बामिंग फ़्लूड डाल दिया जाता है। एम्बामिंग सॉल्यूशन में फ़ॉर्मलडिहाइड, ग्लूटरल्डेहाइड, मेथेनॉल, इथेनॉल, फ़ेनोल और पानी शामिल होते हैं।

कैविटी एम्बामिंग ( Cavity Embalming ) में एक छेद करके छाती और पेट से खाना और अन्य चीजें निकाल ली जाती हैं। एम्बामिंग सॉल्यूशन डालकर वो छेद बंद कर दिया जाता है।

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