बस की सीटें नीली क्यों होती हैं, क्यों बने होते हैं अजीबोगरीब पैटर्न? शायद ही कोई जानता होगा सही वजह!
आप कभी न कभी बस में तो बैठे ही होंगे. सरकारी बस हो या प्राइवेट बस, स्कूल बस हो या फिर शहरों की अंदर चलने वाली लो-फ्लोर बसें, आपने एक चीज कॉमन देखी होगी. वो ये कि इन बसों की सीटें आमतौर पर नीले रंग (why are bus seats blue) की होती हैं और उनके ऊपर अजीबोगरीब पैटर्न (Why Bus Seats Have Weird Patterns) बने होते हैं. हम ये नहीं कह रहे हैं कि हर बस की सीट नीले रंग की होती है, या उसके ऊपर पैटर्न बने होते हैं, पर कई बसों में आप ऐसा देखेंगे. इसके पीछे खास वजह होती है, जिसके बारे में बहुत लोगों को जानकारी नहीं होती है.
सैकड़ों बसों की सीटें उठाकर देख लीजिए, आपको उनमें नीले रंग की सीटें अधिकतर में दिखेंगी. रंग अगर नीला नहीं भी होगा, तो उनके ऊपर अजीबोगरीब डिजाइन जरूर होगी. आखिर इसके पीछे कारण क्या है? इसके बारे में लोगों को कम जानकारी होती है, पर ये जानना जरूरी है क्योंकि ये फैक्ट यात्रियों की सेहत से भी जुड़ा हुआ है.
गंदगी-कीटाणु का नहीं चलता गहरे रंग पर पता
ब्राइट साइड और साइंस एबीसी वेबसाइट के अनुसार बस में नीले रंग की सीट इस्तेमाल की जाती है जिससे किसी प्रकार की गंदगी या कीटाणु न नजर आए. कई बार सीट पर गंदगी लग जाती है, जो नजर आने लगती है. बसें निरंतर चलती रहती हैं, उन्हें हर वक्त रोककर गंदगी को साफ करना मुमकिन नहीं है. रंग जितना ज्यादा ज्यादा डार्क होगा और जितने ज्यादा पैटर्न होंगे, यात्रियों को सीट पर गंदगी दिखना उतना मुश्किल होगा. बस इसी वजह से सीट पर ऐसे रंग का कपड़ा लगाया जाता है.
धूल-गर्दा छुपाते हैं सीटों के पैटर्न
इस कपड़े का फैब्रिक भी काफी मोटा होता है, जिसमें मैल छुपता है और कपड़ा मैल सोख लेता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि बस की सीटें काफी गंदी होती हैं. रोज उसमें सैकड़ों लोग बैठकर सफर करते हैं. अगर सीटों को लकड़ी से मारा जाए, तो उसमें इतनी धूल निकलेगी कि आप सोच भी नहीं सकते. दिमाग घुमा देने वाली सीटों का पैटर्न इसी वजह से होता है, जिससे सीटें साफ नजर आएं.