बसों के पिछले टायर, अंतिम छोर पर न होकर आगे की ओर क्यों होते हैं? जानिए

बस की यात्रा तो आपने कभी न कभी की होगी. कई लोगों को बस में बैठने पर उल्टी जैसा मेहसूस होने लगता है. बहुत से लोगों को तो बसों में यात्रा करने की इतनी आदत होती है कि वो आराम से लंबी दूरी का सफर तय कर लेते हैं. पर हमारा दावा है कि बहुत से ऐसे लोग होंगे जिन्हें बसों के बारे में ऐसी बातें नहीं पता होंगी जो बेहद अनोखी होती हैं. जैसे क्या आप जानते हैं कि बस के पिछले टायर , सबसे पीछे ना होकर बीच में क्यों होते है? हमारा दावा है कि 90 फीसदी लोगों को इस फैक्ट के बारे में जानकारी नहीं होगी!

न्यूज18 हिन्दी की सीरीज अजब-गजब ज्ञान के तहत हम आपके लिए लेकर आते हैं देश-दुनिया से जुड़ी ऐसी जानकारियां जो आपको हैरान कर देंगी. आज हम बात कर रहे हैं बसों के टायर के बारे में. दरअसल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कोरा पर किसी ने सवाल किया- “बसों के पिछले टायर एकदम पीछे होने के बजाय थोड़े आगे क्यों होते हैं?” कुछ लोगों ने इसके बारे में जवाब दिया है. चलिए देखते हैं कि उनके उत्तर क्या कहते हैं.

कोरा पर लोगों ने क्या दिया जवाब?
पराग त्रिपाठी नाम के यूजर ने कहा- “किसी भी गाड़ी के आगे और पीछे वाले पहिये के बीच की दूरी को व्हीलबेस कहा जाता है. व्हीलबेस जितना ज्यादा होगा गाड़ी का टर्निंग रेडियस उतना ज्यादा होगा. मतलब मोड़ पर मुड़ते वक्त गाड़ी ज़्यादा जगह घेरेगी. ये एक मुख्य कारण है कि आगे और पीछे के पहिये गाड़ी के एकदम अंतिम छोर पर नहीं लगाए जाते. इससे टर्निंग रेडियस कम हो जाता है और मनुएवेरबिलिटी अच्छी होती है. एक कारण ये भी है कि जिन बसों में पीछे इंजन लगे होते हैं वहां पहिये थोड़ा आगे ही लगाने होंगे ताकी इंजन की सर्विसिंग आसानी से हो सके.” अरुन नाम के यूजर ने कहा- “‘फ्रंट ओवरहेंग’ तथा ‘रियर ओवरहेंग’ एक आदर्श चेसिस के लिए आवश्यक होते हैं. बस के चेसिस को आसान स्टीयरेबिलिटी व बेहतर बैलेंसिंग के लिये आदर्श चेसिस होना जरूरी होता है इसलिए पहिये ऐसे होते हैं.”

विज्ञान के अनुसार ये है कारण
चलिए अब देखते हैं कि विज्ञान क्या कहता है. इंजीनियरिंग स्टैक एक्सचेंज वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार पिछले पहिए पर लोड ज्यादा होता है क्योंकि वो बस को पावर देती हैं. ऐसे में अगर व्हीलबेस कम होगा तो गाड़ी में गतिशीलता होगी. टायर को आगे इस वजह से भी रखा जाता है जिससे एक्सल पर वजन को बराबरी से बांटा जा सके. इसके साथ ही बस का नीचला हिस्सा एक पुल की तरह होता है जिसमें एक स्टील की बीम एक छोर से दूसरे छोर तक जाती है. ऐसे में अगर टायर सबसे पीछे होगा, तो उस बीम पर स्ट्रेस काफी ज्यादा होगा. टायर को बीच में इस वजह से भी रखा जाता है क्योंकि एक्सल पर ज्यादा लोड नहीं डाला जाता जो घूमता है.

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