आखिर क्यों शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन बोए जाते हैं जौ
सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2024) के पर्व को अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस अवसर के लिए मां दुर्गा के मंदिरों को सुंदर तरीके से सजाया जाता है। इस दौरान मंदिरों में खास रौनक देखने को मिलती है। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन घटस्थापना की जाती है। साथ ही मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना कर जौ बोए जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। क्या आप जानते हैं कि नवरात्र के प्रथम दिन जौ क्यों बोए जाते हैं। अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं कैसे हुई इस परंपरा की शुरुआत?
जौ बोने से संबंधित कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब पृथ्वी पर असुरों और दैत्यों का अत्याचार अधिक बढ़ रहा था, तब मां दुर्गा ने असुरों का संहार कर लोगों के जीवन की रक्षा की। धार्मिक मान्यता है कि मां दुर्गा और दैत्यों के संघर्ष के समय पृथ्वी पर अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। दैत्यों के संहार करने के पश्चात पृथ्वी पर सर्वप्रथम जौ उगे। यही कारण है कि सनातन धर्म में नवरात्र के दौरान जौ बोने को उर्वरता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
दूसरी मान्यता के मुताबिक, जब सृष्टि की रचना ब्रह्मा जी ने की थी, तब सबसे पहले फसल के रूप में जौ उगे थे। इसलिए नवरात्र के प्रथम दिन जौ क्यों बोए जाते हैं।
मिलते हैं ये संकेत
नवरात्र में बोए जाने वाले जौ कई खास संकेत देते हैं। अगर जौ का रंग सफेद या हरा हो गया है, तो इससे शुभ संकेत मिलते हैं। मान्यता है इसका अर्थ यह है कि जातक के जीवन की सभी तरह की परेशानियां जल्द दूर हो सकती हैं।
इसके अलावा जौ अंकुरित और विकसित होते हैं, तो यह शुभ माना जाता है। इसका अर्थ यह है कि इससे घर में समृद्धि और खुशियों का आगमन होगा।
जौ से करें यह उपाय
अगर आप जीवन में आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं, तो ऐसे में जौ के विसर्जन के बाद थोड़े जौ को लाल वस्त्र में बांधकर तिजोरी में रख दें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से धन लाभ के योग बनते हैं। आय और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है।