अंतिम संस्कार के बाद क्यों चुनी जाती हैं अस्थियां? गरुड़ पुराण में मिलता है जिक्र…

सनातन धर्म में व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद कई तरह की परंपरा निभाई जाती हैं। इनमें से एक है अस्थि विसर्जन। अंतिम संस्कार किए जाने के बाद अस्थियों को इकट्ठा करने का विधान है। इसके बाद अस्थियों (Asthi Visarjan in Hindi) को गंगा नदी या पवित्र में विसर्जित किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है ऐसा क्यों किया जाता है। अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं गंगा नदी में अस्थियों को क्यों विसर्जित किया जाता है?

तीन दिन बाद ही क्यों चुनी जाती हैं अस्थि

सनातन धर्म में कुल 16 संस्कार बताए गए हैं जिनमें से 16वां संस्कार अंतिम संस्कार होता है। इसका उल्लेख गरुड़ पुराण में देखने को मिलता है। अठारह पुराणों में से गरुड़ पुराण एक है। इसमें जन्म और मरण से संबंधित समय के बारे उल्लेख किया गया है। व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद उसकी अस्थियों को संचय (इकट्ठा) किया जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, अस्थियों इकट्ठा को मृत्यु के तीसरे, सातवें और नौवें दिन किया जाता है। इसके बाद दस दिनों के भीतर गंगा नदी में विसर्जित किया जाता है।

गरुड़ पुराण के अनुसार, मृतक के अंतिम संस्कार के तीसरे दिन अस्थियों को इकट्ठा करना महत्वपूर्ण होता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि मंत्रों के जप की मदद से अस्थियों में तेज तत्वों की संयुक्त तरंगों का संक्रमण तीन दिनों तक रहता है। मृतक की अस्थियों को गंगा नदी के अलावा नर्मदा नदी, गोदावरी नदी, कृष्णा नदी और ब्रह्मपुत्र नदी आदि नदी में किया जा सकता है।

इस वजह से किया जाता है अस्थि विसर्जन

सनातन धर्म में अस्थि विसर्जन को अधिक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों माना जाता है। शरीर में से आत्मा निकलने के बाद नए जीवन में चली जाती है। शरीर पांच तत्वों से बना होता है। दाह संस्कार किए जाने के बाद शरीर पांच तत्वों में विलीन हो जाता है। अस्थियों को नदी में विसर्जित इसलिए किया जाता है क्योंकि इंसान संसार से मुक्त हो जाए।

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