उपग्रह धरती पर वापस क्यों नहीं लाए जाते? ईंधन खत्‍म होने के बाद क्‍या करती हैं एजेंसियां

उपग्रहों की लॉन्‍च‍िंंग हम सबने देखी है. भारतीय स्‍पेस एजेंसी इसरो (ISRO) हो या फ‍िर अमेर‍िकी अंतर‍िक्ष एजेंसी नासा (NASA) सब उपग्रह लॉन्‍च करती हैं. लेकिन क्‍या कभी आपने सुना क‍ि इन उपग्रहों को वापस लाया गया हो? आमतौर पर ऐसा नहीं होता. लेकिन क्‍यों? जब स्‍पेसक्रॉफ्ट लाया जा सकता है तो फ‍िर इन्‍हें क्‍यों नहीं? साथ में ये भी सवाल है क‍ि जब इनका ईंधन खत्‍म हो जाता है तो धरती पर ग‍िरते क्‍यों नहीं? काम खत्‍म होने के बाद एजेंसियां इनका करती क्‍या हैं? NASA ने इन दिलचस्‍प सवालों के जवाब दिए हैं.

हर दूसरी मशीन की तरह उपग्रह भी हमेशा के लिए नहीं टिकते. चाहे उनका काम मौसम की जानकारी देनी हो, वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों को मापना हो, या तारों का अध्ययन करने के लिए पृथ्वी से दूर जाना हो. सभी उपग्रह पुरानी वाशिंग मशीनों और वैक्यूम क्लीनर की तरह पुराने हो जाते हैं, खराब हो जाते हैं और नष्ट हो जाते हैं.

पुराने उपग्रहों के साथ दो चीजें संभव
नासा के मुताबिक, पुराने उपग्रहों के साथ दो चीजें हो सकती हैं. जो उपग्रह धरती के ब‍िल्‍कुल करीब हैं, अगर उनका काम खत्‍म हो गया और ईंधन भी अंत‍िम चरण में है तो साइंटिस्‍ट इनकी गत‍ि को धीमा करते हैं. ताक‍ि यह कक्षा के बाहर आकर धरती की ओर ग‍िरे. जैसे ही यह वायुमंडल में आता है, इसकी गत‍ि इतनी तेज हो जाती है क‍ि घर्षण के कारण यह जलकर नष्‍ट हो जाता है.

अगर उपग्रह धरती की बाहरी कक्षा में
दूसरी स्‍थ‍ित‍ि ये है क‍ि अगर उपग्रह धरती की बाहरी कक्षा में है, यानी उसे धरती के वायुमंडल में लाना उतना आसान नहीं तो उसे पृथ्‍वी से और भी दूर भेजा जाता है. ताक‍ि वह धरती की कक्षा छोड़कर बाहर निकल जाए. ऐसे उपग्रह हमेशा के ल‍िए अंतर‍िक्ष में विलीन हो जाते हैं. इन्‍हें फ‍िर कभी तलाशा नहीं जा सकता. क्‍योंकि इनके साथ संपर्क कर पाना असंभव सा काम है. उपग्रहों को पृथ्वी पर वापस भेजने की तुलना में अंतरिक्ष में दूर तक विस्फोट करने में कम ईंधन लगता है.

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