NEFT और UPI करते वक्त रहें सतर्क, RBI ने साइबर हमलों को लेकर चेताया

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा संभावित साइबर हमलों की घोषणा के बाद पूरे भारत में बैंक हाई अलर्ट पर हैं। बैंकों को स्विफ्ट, कार्ड नेटवर्क, आरटीजीएस, एनईएफटी और यूपीआई जैसे अपने सिस्टम की लगातार निगरानी करने को कहा गया है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई।

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा वित्तीय संस्थानों को जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि संभावित साइबर हमलों के संबंध में प्राप्त विश्वसनीय खुफिया सूचनाओं के मद्देनजर, विनियमित संस्थाओं को सलाह दी जाती है कि वे इन खतरों से बचाव के लिए निगरानी और तन्यकता क्षमताओं को उन्नत करें। एडवाइजरी में बैंकों को कहा गया है कि वे खतरे की पहचान करने के लिए सर्विलांस की क्षमता को बढ़ाएं और बचाव के उपायों को तेज कर दें।

RBI साइबर हमलों को लेकर क्यों है चिंतित ?
रिजर्व बैंक ने यह अलर्ट ऐसे समय जारी की है, जब हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट में भारतीय बैंक खाताधारकों पर खतरे को लेकर आगाह किया गया है। रिजर्व बैंक ने एडवाइजरी 24 जून को जारी की और उसी दिन एक सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया कि LulzSec नामक हैकर ग्रुप भारतीय बैंकों को निशाना बनाने वाला है। LulzSec इससे पहले कई हाई-प्रोफाइल साइबर अटैक के लिए जिम्मेदार रह चुका है। आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय क्षेत्र ने पिछले 20 वर्षों में 20,000 से अधिक साइबर हमलों की सूचना दी, जिसके परिणामस्वरूप 20 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।

लिंक पर क्लिक करने से होते है हमलों के शिकार
डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया की दिसंबर 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ऐसे हमलों का 25% ईमेल और वेबसाइटों में दुर्भावनापूर्ण लिंक पर क्लिक करने से होता है। वित्तीय संस्थानों पर साइबर हमलों का 69% अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) द्वारा, 19% शहरी सहकारी बैंकों द्वारा और 12 प्रतिशत गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा रिपोर्ट किया गया था।

बैंकों ने अपने ग्राहकों की सुरक्षा के लिए क्या किया?
इसी वजह से बैंकों ने 2023-24 में अपने बीमा कवर में पिछले साल के मुकाबले करीब 8 फीसदी की बढ़ोतरी की है। बिजनेस स्टैंडर्ड ने बीमा ब्रोकरों का हवाला देते हुए कहा है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान बैंकों द्वारा साइबर बीमा दावों में 50 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है, जबकि पिछले साल यह 40 फीसदी था।

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