बुधनी से इंदौर के बीच कब दौड़ेगी ट्रेन, भूमि अधिग्रहण में अटकी बुधनी-इंदौर रेल परियोजना

इंदौर से जबलपुर की दूरी 68 किमी कम करने के उद्देश्य से स्वीकृत की गई इंदौर-बुधनी रेलवे परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य वैसे तो वर्ष 2024-25 का रखा गया था, लेकिन भूमि अधिग्रहण मामले में किसानों द्वारा किए जा रहे लगातार आंदोलन विरोध के कारण यह परियोजना आगे नहीं बढ़ पा रही है। यदि सरकार ने भूमि अधिग्रहण मामले में शीघ्र ही कोई रास्ता किसानों के पक्ष में नहीं निकाला तो परियोजना पूरी होने में लंबा समय लगने से इंकार नहीं किया जा सकता है। अभी भूमि अधिग्रहण के मामले नहीं निपट सके हैं। ऐसे में जमीन पर अर्थवर्क सहित प्लेटफॉर्म व पटरी बिछाने का काम कैसे पूरा होगा। इस मामले में रेलवे विभाग राजस्व विभाग के भरोसे है।

परियोजना के तहत आने वाले सीहोर, इंदौर व देवास जिले के 6500 किसान परियोजना से मिलने वाली भूमि अधिग्रहण राशि का लगातार विरोध कर रहे हैं। यदि सीहोर जिले के भैरूंदा तहसील की बात करें तो 13 गांव के किसानों से 220.338 हैक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जाना है, जिसमें से अब तक 108.356 हैक्टेयर भूमि का अधिग्रहण ही किया जा सका है। किसानों को योजना के तहत 1 अरब 13 करोड़ 97 लाख 24 हजार 39 रुपए की राशि का भुगतान किया जाना था। अभी भी 12 करोड़ 5 लाख 91 हजार 234 रुपए रुपए का भुगतान होना शेष है। रेलवे द्वारा किसानों के खातों में भूमि अधिग्रहण का अवार्ड पारित कर भुगतान तो कर दिया है, लेकिन किसान अपनी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

किसान अपनी मांग पर अडिग
किसानों का कहना है कि जब तक सरकार उन्हें वर्ष 2013-14 में भूमि अधिग्रहण गाइड लाइन के तहत मुआवजा नहीं मिलता, तब तक वह अपना आंदोलन जारी रखेंगे। इस मामले में भैरूंदा में तीनों जिलों के किसानों के द्वारा महापंचायत आयोजित कर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल भी की जा चुकी है। उल्लेखनीय है कि इंदौर से जबलपुर रेलवे परियोजना को वर्ष 2016-17 में क्षेत्रीय सांसद रहीं स्व. सुषमा स्वराज द्वारा स्वीकृत कराया गया था। तब इस परियोजना की लागत 4320 करोड़ रुपए थी, जिसमें इंदौर से जबलपुर तक 470 किलोमीटर रेलवे लाइन बिछाई जाना थी। इसमें परियोजना इंदौर, खातेगांव, भैरूंदा, बुधनी, गाडरवाड़ा होते हुए जबलपुर तक स्वीकृत थी, लेकिन बाद में इस योजना को 470 किमी से 370 किमी कर दिया गया। इसमें इसकी लागत 3261 करोड़ रुपए है। वर्तमान में जो सर्वे हुआ है उसमें यह परियोजना इंदौर, खातेगांव, भैरूंदा से बुधनी पर बनाए जाने वाले जंक्शन पर जाकर मिलेगी। जहां से इटारसी होते हुए जबलपुर तक ट्रेन पहुंचेगी।

दोगुना मुआवजा मिलने से संतुष्ट नहीं हैं किसान
रेलवे परियोजना के तहत किसानों को भूमि अधिग्रहण में चार के स्थान पर दोगुना मुआवजा दिए जाने पर वे आक्रोशित हैं। किसानों का कहना है कि रेलवे बोर्ड के द्वारा जितनी भूमि अधिग्रहित की जा रही हैं उसके बदले उन्हें उतनी ही उपजाऊ कृषि भूमि दी जाए या फिर अधिग्रहण की राशि कम से कम चार गुना की जाए। जिससे कि किसान दूसरे स्थान पर उतनी ही जमीन खरीद सके। शासकीय गाइड लाइन में कृषि भूमि का मूल्य कम दर्शाया गया है, इसे बढ़ाया जाए। जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित की जा रही है, उस परिवार के एक सदस्य को शैक्षणिक योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरी दी जाए। भूमि का अधिग्रहण सीमाकंन पटवारी, आरआई और रेलवे अधिकारी द्वारा किसान के समक्ष किया जाए। रेलवे लाइन के दोनों और किसानों की भूमि शेष रहती है तो उसको कृषि कार्य करने के लिए, आवागमन के लिए उचित जगह से रास्ता, भूमि में सिंचाई के लिए पाइप लाइन तथा बारिश के समय खेतों के पानी की सही निकासी की व्यवस्था कि जाए।

एक नजर रेलवे लाइन प्रोजेक्ट पर
इंदौर-बुधनी रेलवे लाइन प्रोजेक्ट की नई परियोजना का कार्य वर्ष 2018-19 में स्वीकृत किया गया। इसका काम पश्चिम मध्य रेलवे की मॉनिटरिंग में हो रहा है। इस प्रोजेक्ट में 50 फीसदी राशि राज्य व 50 फीसदी राशि केंद्र सरकार खर्च करेगी। प्रोजेक्ट के तहत 105 पुल-पुलिया, 33 ब्रिज, 7 किमी लंबी सुरंग चापड़ा से कलवार व एक किमी लंबी सुरंग करनावद के पास बनाई जाना है। ट्रेन का रूट मांगलिया, चापड़ा, कन्नौद, खातेगांव, संदलपुर, भैरूंदा, बुधनी रहेगा। इसमें बुधनी व मांगलिया को जंक्शन बनाया जाएगा। इसका काम पूरा होने पर इंदौर से 68 किमी जबलपुर की दूरी कम हो जाएगी।

वाहन से 287 किमी का सफर, लाइन से 205 किमी
बुधनी से इंदौर रेलवे लाइन का निर्माण होने के बाद यहां के रहवासियों के लिए सफर आसान हो जाएगा। वर्तमान में अभी बुधनी से इंदौर की दूरी 287 किमी है। नई रेलवे लाइन 205 किमी में बिछाई जाएगी। जिससे 82 किमी का सफर यात्रियों को कम तय करना पड़ेगा। लंबे समय से क्षेत्र के रहवासी इस रेल ट्रैक बनने का इंतजार कर रहे हैं।

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