कब है विनायक चतुर्थी और सकट चौथ? अभी नोट करें डेट एवं शुभ मुहूर्त!

महादेव के पुत्र भगवान गणेश को चतुर्थी तिथि समर्पित है। इस शुभ तिथि पर जातक विधिपूर्वक गणपति बप्पा की उपासना करते हैं। साथ ही श्रद्धा अनुसार दान करते हैं। मान्यता है कि इन कामों को करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है और कारोबार में वृद्धि होती है। अब नए साल की शुरुआत होने में कुछ दिन बचे हैं। नए साल के पहले माह में विनायक चतुर्थी और लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी (Lambodara Sankashti Chaturthi 2025) का पर्व मनाया जाएगा। ऐसे में चलिए जानते हैं इन दोनों चतुर्थी की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।

विनायक चतुर्थी 2025 शुभ मुहूर्त (Vinayak Chaturthi 2025 Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 03 जनवरी को देर रात्रि 01 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 03 जनवरी को सुबह 11 बजकर 39 मिनट पर होगा। ऐसे में विनायक चतुर्थी 03 जनवरी को मनाई जाएगी।

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 25 मिनट से 06 बजकर 20 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 09 मिनट से 02 बजकर 51 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 35 मिनट से 06 बजकर 02 मिनट तक

अमृत काल- सुबह 09 बजकर 34 मिनट से 11 बजकर 03 मिनट तक

लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी 2025 शुभ मुहूर्त (Lambodara Sankashti Chaturthi 2025 Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 17 जनवरी को सुबह 04 बजकर 06 मिनट पर होगा। वहीं, इस तिथि का समापन 18 जनवरी को सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर होगा। ऐसे में 17 जनवरी को लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी को सकट चौथ (Sakat chauth 2024) के नाम से भी जाना जाता है।

ऐसे करें भगवान गणेश की पूजा (Lord Ganesh Puja Vidhi)

चतुर्थी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद घर और मंदिर की सफाई करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। व्रत का संकल्प लें। पूजा की शुरुआत करें। देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें। भगवान गणेश के मंत्रों का जप करें। इसके बाद फल और मोदक का भोग लगाएं। जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें। श्रद्धा अनुसार दान करें।

गणोश मंत्र (Ganesh Mantra)

1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

2. ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

3. ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥

Back to top button