Whatsapp बना वरदान, 18 साल बाद हुआ ये अनोखा अजूबा

मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में पिछले 18 साल से अपने खोए पति की बाट जोहती एक महिला के जीवन में व्हाट्सएेप वरदान बनकर आया। व्हाट्सएेप पर फैले एक संदेश ने पिछले 18 साल से अपने परिवार से बिछड़े एक व्यक्ति को गुजरात से उसके घर रायसेन जिले के देवरी पहुंचवा दिया। हालांकि इस बीच अपने पति की तलाश में आकाश-पाताल एक कर चुकी महिला शांति ने न केवल अपना एक बेटा और पूरी जमीन खो दी, बल्कि पिता के खोने से व्यथित एक बेटी भी मानसिक तौर पर दिव्यांग हो गई।

सूत्रों के मुताबिक जिले के नर्मदा किनारे बसे ग्राम रमपुरा निवासी शांति बाई (45) का पति कमल सिंह लोधी 21 अप्रैल 2000 को एक बारात में गया और गांजे के नशे में गायब हो गया। पत्नी शांति ने उसे तलाशने के लिए हरसंभव प्रयास किया। इसी बीच चार बच्चों और बुजुर्ग सास-ससुर को संभालने के लिए मेहनत-मजदूरी की, लेकिन सामाजिक दबाव के बाद भी सुहागिनों की तरह रह कर अपने पति की तलाश बंद नहीं की। महिला ने अपनी तीन एकड़ जमीन बेच दी और उसे भी अपने पति की तलाश में लगा दिया, लेकि उसका इंतजार खत्म नहीं हुआ।

इसी बीच पिता को खोजने निकले पुत्र दुर्गेश का मानसिक संतुलन बिगड़ जाने से भूख-प्यास के कारण वह जबलपुर के जंगल में मृत मिला। वहीं महिला की छोटी बेटी भी अपना मानसिक संतुलन खो बैठी। इसी बीच तीन अगस्त को कमल सिंह लोधी गुजरात की एक संस्था को बेहोश अवस्था में मिला, जिन्होंने उसे आरोग्य केंद्र में भर्ती कराया। आठ दिन के इलाज के बाद भी कमल सिंह लोधी अपना पता सही से नहीं बता पाया, जिसके बाद डॉक्टरों ने गूगल से उसका पता जानने की कोशिश करते हुए लापता संबंधित मैसेज व्हाट्सएेप पर वायरल कर दिया। इसके बाद कड़ियां जुड़ती गईं और कमल सिंह के बारे में देवरी पुलिस तक सूचना पहुंची।
 
देवरी थाना प्रभारी देवेंद्र पाल ने यूनीवार्ता को बताया कि उनके पास 28 अगस्त को इस बारे में जानकारी पहुंची, जिसकी गहराई से जांच की गई। सही पता प्राप्त होने के बाद संबंधित का फोटो मिलान किया गया, सब कुछ सही पाए जाने के बाद सूचनाओं का आदान प्रदान हुआ। नौ सितंबर को शांति का पति उसे वापस मिल गया।

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