येरूशलम को इजरायल की राजधानी बनाकर क्या मुस्लिमों के खिलाफ जंग छेड़ रहे ट्रंप?
यह एलान करते हुए ट्रंप ने मध्य एशिया में अमेरिका के करीबी कहे जाने वाले सऊदी अरब के शाह सलमान और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सीसी की चेतावनी को भी दरकिनार कर दिया।
बहरहाल, फ्रांस, जर्मनी के नेता भी आशंका जता चेता चुके हैं कि यह कदम मध्य-पूर्व में हिंसा को बढ़ाएगा। चीन ने भी कहा कि यह तनाव बढ़ा सकता है। इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस एलान को ऐतिहासिक बताया है। वहीं फलस्तीन का कहना है कि मध्य एशिया में शांति की प्रक्रिया खत्म हो गई है।
ब्रिटेन में फलस्तीन के प्रतिनिधि मैनुअल हसासेन ने कहा कि वह मध्य एशिया को जंग में झोंक रहे हैं। उन्होंने 1.5 अरब मुसलमानों के खिलाफ जंग का एलान कर दिया है। तुर्की ने कहा है कि वह अगले सप्ताह मुस्लिम देशों के नेताओं की बैठक बुलाएगा।
उधर, गाजा में इस एलान के बाद लोगों ने अमेरिका और इस्राइल के झंडे जलाए। पश्चिमी तट पर ट्रंप की तस्वीरें भी जलाईं गईं। हमास ने शुक्रवार को क्रोध दिवस का एलान किया है। आशंका है कि यहां बड़े पैमाने पर हिंसा की घटनाएं हो सकती हैं।
अमेरिका के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि येरुशलम प्राचीन काल से यहूदियों की राजधानी है।
विवाद की वजह
दरअसल, इस्राइल और फलस्तीन दोनों ही येरुशलम को अपनी-अपनी राजधानी बताते हैं। 1948 में इस्राइल की आजादी के एक वर्ष बाद येरुशलम का बंटवारा हुआ था, लेकिन 1967 में इस्राइल ने छह दिन चले युद्ध में पूर्वी येरुशलम पर कब्जा कर लिया। इस पर आज भी फलस्तीन अपना दावा जताता है।
इसे लेकर दोनों के बीच विवाद है। अमेरिका ने 1995 में अमेरिका ने भी दूतावास को येरुशलम ले जाने का कानून पारित किया, लेकिन अब तक सभी राष्ट्रपति स्थानांतरण की तारीख छह माह आगे बढ़ाते रहे। जबकि इस बार ट्रंप इसे आगे बढ़ाने के पक्षधर नहीं हैं।
धार्मिक लिहाज से बेहद संवेदनशील है येरुशलम
भूमध्य और मृत सागर से घिरे येरुशलम को यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों ही धर्म के लोग पवित्र मानते हैं। यहां स्थित टेंपल माउंट जहां यहूदियों का सबसे पवित्र स्थल है, वहीं अल-अक्सा मस्जिद को मुसलमान बेहद पाक मानते हैं।
मुस्लिमों की मान्यता है कि अल-अक्सा मस्जिद ही वह जगह है जहां से पैगंबर मोहम्मद साहब को जन्नत नसीब हुई थी। इसके अलावा ईसाइयों की मान्यता है कि येरुशलम में ही ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। यहां स्थित सपुखर चर्च को ईसाई बहुत ही पवित्र मानते हैं।