क्या है त्रिभाषा फार्मूला?: हरियाणा के स्कूलों में किया लागू
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हरियाणा में 9वीं व 10वीं के विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव किया गया है। अब उनको संस्कृत, पंजाबी और उर्दू में एक विषय पढ़ना अनिवार्य होगा। वे तीनों में से एक विषय अपनी इच्छा के अनुसार ले सकते हैं। यानी नए सत्र से उनको छह के बजाय सात विषय पढ़ने होंगे। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव पंकज अग्रवाल ने इसके लिए त्रिभाषा फार्मूला लागू किया है। 9वीं के विद्यार्थियों के लिए यह फैसला इसी साल अप्रैल में शुरू होने वाले सत्र से लागू होगा जबकि 10वीं में अगले सत्र से।
विभाग के अनुसार, पाठ्यक्रम में 6वें विषय के तौर पर संस्कृत, पंजाबी और उर्दू को शारीरिक शिक्षा, ड्राइंग, म्यूजिक और कंप्यूटर साइंस के साथ वैकल्पिक किया गया था। इस कारण विद्यार्थी इन तीनों भाषाओं में कुछ खास रूचि नहीं दिखा रहे थे। वे वैकल्पिक विषय में शारीरिक शिक्षा, कंप्यूटर या ड्राइंग का ऑप्शन ही लेते थे। त्रिभाषा फार्मूले को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में लाने की मांग भी चल रही थी। इसी कारण सरकार ने इसे लागू करने का फैसला किया। हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन के राज्य प्रधान सतपाल सिंधु ने इस फैसले को सराहनीय कदम बताया है।
यह है नए नियम का गणित
पहले 9वीं व 10वीं के विद्यार्थियों के लिए हिंदी, अंग्रेजी, गणित, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान अनिवार्य विषय था। 6वां विषय वैकल्पिक था। इनमें तीन भाषा संस्कृत, पंजाबी, उर्दू और शारीरिक शिक्षा, ड्राइंग, म्यूजिक और कंप्यूटर साइंस शामिल थे, इनमें से एक विषय चुनना होता था। अब इनमें से तीनों भाषा संस्कृत, पंजाबी और उर्दू को निकालकर छठा अनिवार्य विषय बना दिया गया है। शारीरिक शिक्षा, ड्राइंग, म्यूजिक और कंप्यूटर साइंस में एक विषय सातवें विषय के रूप में रहेगा।
पहली, दूसरी, तीसरी व 6वीं का पाठ्यक्रम भी बदला
नई शिक्षा नीति के तहत हरियाणा के सरकारी स्कूलों में पहली, दूसरी, तीसरी और 6वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में भी बदलाव किया गया है। किताबों में भी 10 फीसदी का बदलाव भी है। इसके अलावा, शारीरिक शिक्षा व कला शिक्षा के अलग से पीरियड लगेंगे। साथ ही उन्हें ड्राइंड, डांस व ड्रामा विषय के तहत शारीरिक क्षमता को बढ़ाया जाएगा। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने पहली व दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों लिए गणित की नई किताब को 2 पार्ट में विभाजित किया गया है। इसे छह-छह माह अलग-अलग भाग में पढ़ाया जाएगा। किताबों में लगने वाले क्यूआर कोड भविष्य में किसी बदलाव या गलती को सुधारने में सहायक होगा।