क्या है शिव पंचाक्षर मंत्र? जानिए

सनातन धर्म में देवों के देव महादेव को सबसे उच्च स्थान प्राप्त है। भगवान भोलेनाथ त्रिदेवों में एक हैं, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश कहा गया है। भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा और मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति के सौभाग्य में वृद्धि होती है। भगवान शिव संन्यासियों, योगियों और तपस्वियों के आध्यात्मिक गुरु माने जाते हैं। मान्यता के अनुसार, भगवान शिव के शिव पंचाक्षर मंत्र का विधिपूर्वक जाप करने से साधक को धार्मिक फायदे प्राप्त होते हैं। चलिए इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे पंचाक्षर मंत्र का जाप करने से मिलने वाले लाभ के बारे में।

क्या है पंचाक्षर मंत्र?

‘ओम नमः शिवाय’

सनातन धर्म में शिव पंचाक्षर मंत्र का अधिक महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने सभी मानव जाति के कल्याण के उद्देश्य से खुद शिव पंचाक्षर मंत्र ‘ओम नमः शिवाय’ की उत्पत्ति की। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसे सबसे पहला मंत्र माना जाता है। पूजा के दौरान मंत्र का जाप करने से सभी कार्य सफल होते हैं। इसके जाप से मनुष्य के किए गए पापों का नाश होता है।

मिलते हैं ये लाभ

-सनातन धर्म में पूजा के समय मंत्रों का जाप करने का विशेष महत्व है। मान्यता के अनुसार, शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करने से आत्म संतुष्टि तो मिलती ही है, साथ ही इसे भगवान को प्रसन्न करने का एक अच्छा तरीका माना जाता है।

-रोज सुबह इस मंत्र का जाप करने से धार्मिक लाभ के साथ-साथ कई शारीरिक लाभ भी मिलते हैं। इसके उच्चारण से समस्त इंद्रियां जाग उठती हैं।

-इसके अलावा शिव पंचाक्षर मंत्र का नियमित रूप से जप करने से इंसान के कर्मों की शुभता में बढ़ोतरी होती है और उसके जीवन में सार्थकता आती है।

-इस मंत्र की मदद से मन में सदैव शांति बनी रहती है और चिंताओं से छुटकारा मिलता है।

कैसे करें इस मंत्र का जाप

अगर आप इस मंत्र का जाप कर रहे हैं, तो ऐसी जगह का चयन करें, जहां शांत वातावरण हो। इसके अलावा मंदिर या घर में भी मंत्र का जाप कर सकते हैं। ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार रोजाना रुद्राक्ष की माला के साथ करना चाहिए है। जाप को सदैव उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ मुख करके करना चाहिए। इस मंत्र का जाप किसी भी समय आप कर सकते हैं।

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