क्या होती है “शनि की साढ़ेसाती” और यह व्यक्ति के जीवन में कैसे काम करती है।

शनिदेव को न्याय का देवता और कर्मफलदाता माना गया है। शनि की मंद गति से चलने की वजह से इनका असर लंबे समय तक जातकों के जीवन पर धीरे-धीरे होता है।

शनि और इसकी साढ़ेसाती से लोग हमेशा ही डरे रहते हैं। सभी ग्रहों में शनि ग्रह का विशेष महत्व होता है। शनि की साढ़ेसाती सभी राशि वालों के ऊपर होकर गुजरती है। शनि की साढ़ेसाती से लोगों के मन में भय पैदा हो जाता है। शनि सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं इसलिए इनका प्रभाव जिन-जिन राशि वालों के ऊपर होता है उसका असर लंबे समय तक रहता है। शनिदेव न सिर्फ बुरा फल देते हैं बल्कि इनका शुभ प्रभाव होने पर जातकों के जीवन में लंबे समय तक सुख-समृद्धि और संपन्नता रहती है। शास्त्रों में शनिदेव को न्याय का देवता और कर्मफलदाता माना गया है। शनि की मंद गति से चलने की वजह से इनका असर लंबे समय तक धीरे-धीरे होता है। आइए जानते हैं  क्या होती है शनि की साढ़ेसाती और यह व्यक्ति के जीवन में कैसी काम करती है। 

क्या होती है शनि की साढ़ेसाती 
शनि की साढ़ेसाती जैसे कि इसके नाम से ही स्पष्ट होता है कि शनि का असर पूरे साढ़े सात साल का होता है। शनि किसी एक राशि में करीब ढाई साल तक रहते हैं फिर इसके बाद दूसरी राशि में गोचर करते हैं। इस तरह से एक व्यक्ति के पूर्ण जीवन काल में साढ़ेसाती का प्रभाव 3 बार आता है, अगर व्यक्ति का जीवनकाल औसत भी रहे तो व्यक्ति को दो बार शनि की साढ़ेसाती के दौर से गुजरना ही पड़ता है। जैसे कि हम सभी जानते हैं कि कुल 12 राशियां होती है और शनि एक राशि में ढाई वर्षों तक रहने के बाद ही दूसरी राशि में जाते हैं इस तरह से एक बार अगर किसी राशि पर साढ़ेसाती आती है तो दोबारा 30 वर्षों के बाद ही लगती है।   

किसी राशि पर साढ़ेसाती तीन चरणों से होकर गुजरती है। जिसमें पहला, दूसरा और तीसरा चरण होता है। साढ़ेसाती के पहले चरण को शुरुआती साढ़ेसाती कहा जाता है। दूसरे चरण की साढ़ेसाती को चरम काल वाली साढ़ेसाती कहते हैं और तीसरे चरण की साढ़ेसाती को उतरती हुई साढ़ेसाती कहते हैं।  ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साढ़ेसाती का हर एक चरण ढाई साल का होता है। इस तरह से साढ़ेसाती के खत्म होने पर पूरे साढ़े सात साल तक समय लगता है। 

साढ़ेसाती का पहला चरण
साढ़ेसाती का पहला चरण बहुत ही कष्टकारी माना जाता है। जब शनिदेव राशि परिवर्तन करते समय किसी व्यक्ति के जन्म राशि से पहले वाली राशि में होता है इसे साढ़ेसाती का पहला चरण कहते हैं। 

साढ़ेसाती का दूसरा चरण
जब किसी व्यक्ति की राशि में शनिदेव आ जाते हैं तो इसे साढ़ेसाती का दूसरा चरण कहते हैं। 

साढ़ेसाती का तीसरा चरण
जब शनिदेव किसी व्यक्ति की जन्म राशि से निकलकर अगली वाली राशि में पहुंच जाते हैं तो इसे साढ़ेसाती का आखिरी चरण कहते हैं। 

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