पॉजिटिव पेरेंटिंग क्या है ?

हर पेरेंट्स की कोशिश होती है अपने बच्चे को सबसे अच्छा बनाने की लेकिन इस कोशिश में कई बार वो ऐसी चीजें मिस कर जाते हैं जिससे बिना एफर्ट के आप बच्चों को अच्छा बना सकते हैं। पॉजिटिव पेरेंटिंग में इन्हीं छोटी- छोटी बातों पर फोकस किया जाता है। पेरेंटिंग का ये स्टाइल बच्चों को मेंटली हेल्दी रखने के साथ उनका कॉन्फिडेंस भी बढ़ाता है।

पेरेंटिंग एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बच्चों के भविष्य पर असर डालती है। इसलिए तो पेरेंट्स बच्चों को लेकर extra conscious रहते हैं। छोटी-छोटी गलतियों पर उन्हें रोकते-टोकते हैं। पूरा फोकस उनकी गलतियों को सुधारने पर होता है। इस चक्कर में उनके अच्छे कामों को सराहना पर ध्यान ही नहीं जाता। वहीं कुछ पेरेंट्स बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करें इसे लेकर भी परेशान रहते हैं। पेरेंट्स के लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि आप बच्चों के साथ जैसा व्यवहार करते हैं वही उनका भविष्य तय करता है। इन्हीं सब चीजों को समझने में मदद करती है पॉजिटिव पेरेंटिंग। जिसके बारे में आज हम जानने वाले हैं।

क्या है पॉजिटिव पेरेंटिंग?
बच्चों की अच्छा बनाने की कोशिश में उन्हें हर छोटी-छोटी बात के लिए डांटना और टोकना सही नहीं। आप उन्हें शांति और प्यार से भी चीजें समझा सकते हैं या अपनी बात मनवा सकते हैं। पॉजिटिव पेरेंटिंग में एक खास चीज पर गौर करने की सलाह दी जाती है वो है बच्चों के अच्छा काम करने पर उनकी तारीफ करना। इससे उनका कॉन्फिडेंस बढ़ता है और उन्हें सही-गलत के बीच का फर्क जानने में भी मदद मिलती है।

पॉजिटिव पेरेंटिंग का बच्चों पर असर

पॉजिटिव पेरेंटिंग से बच्चों का मानसिक विकास सही तरीके से होता है।

बच्चे स्कूल और दूसरी एक्टिविटीज में अच्छा परफॉर्म करते हैं।

बच्चों गुस्सैल, चिड़चिड़े, जिद्दी नहीं बनते।

बच्चों का कॉन्फिडेंस बूस्ट है, जो उनकी पर्सनैलिटी में भी नजर आता है।

पढ़ाई के अलावा दूसरी एक्टिविटीज में भी बच्चों की रुचि बढ़ती है।

पॉजिटिवि पेरेंटिंग के टिप्स

  1. बच्चों को अच्छा बनाने के चक्कर में ज्यादातर पेरेंट्स उनकी कमियों और बुरी आदतों को ठीक करने में लगे रहते हैं, जिससे बच्चे दिमाग से फ्री नहीं रहते। ये चीज उनके कॉन्फिडेंस को डाउन करने का काम करती है। गलतियां सुधारने के साथ बच्चों के अच्छा काम करने पर उनकी सराहना भी करनी है।
  2. अगर बच्चे से कोई गलती हो भी जाएं जिससे कोई भारी नुकसान न हो, तो उन्हें डांटने-फटकारने की जगह शांति से समझाएं।
  3. कितने भी बिजी क्यों न हो, थोड़ा समय बच्चों को जरूर दें। मोबाइल, टीवी से दूर उनसे बातचीत के लिए वक्त निकालें।
  4. किसी चीज को बच्चों पर थोपने की जगह उनकी मर्जी जानने की कोशिश करें।
  5. छोटे बच्चों पर बहुत ज्यादा सख्ती उनकी ग्रोथ में बाधा बन सकती है, तो इसका ध्यान रखें।
  6. बच्चों की कमियां पर नजर रखने के साथ उनकी खूबियों पर भी ध्यान दें।
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