अमित शाह ने मणिपुर हिंसा पर क्या कहा?

मणिपुर में एक फैसले से हिंसा भड़क गई और 80 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी जबकि हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस फैसले को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया है। आखिर क्या था वह फैसला आइए जानते हैं…

  • एक फैसले की वजह से मणिपुर में भड़की हिंसा
  • केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी फैसले को हिंसा के लिए ठहराया जिम्मेदार
  • मणिपुर में तीन मई से भड़की हिंसा में अब तक 80 लोगों की मौत

 भारत का पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर इस समय हिंसा की चपेट में है। अब तक 80 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। हिंसा की शुरुआत तीन मई से हुई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी हिंसा के कारणों की समीक्षा करने के लिए राज्य का दौरा किया। इस दौरान एक जून को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के जल्दबाजी में दिए एक फैसले की वजह से मणिपुर में हिंसा भड़की। आखिर हाईकोर्ट का वह फैसला क्या था। आइए, जानते हैं…

मणिपुर हिंसा पर क्या कहा?

 ने कहा कि पिछले एक महीने में में कई हिंसक घटनाएं देखने को मिली हैं। इन घटनाओं की जांच के लिए हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का गठन किया जाएगा। इसके अलावा, राज्यपाल की अध्यक्षता में एक शांति समिति बनाई जाएगी, जिसमें कुकी और मैती समुदायों के अलावा, सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। कुछ हिंसक घटनाओं की जांच सीबीआई भी करेगी।

शाह ने और क्या कहा?

  • शाह ने कहा कि विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय के लिए सीआरपीएफ के सेवानिवृत्त महानिदेशक कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में एक इंटर एजेंसी यूनिफाइड कमांड की स्थापना की जाएगी।
  • केंद्र ने आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित कोटे के अतिरिक्त 30 हजार मीट्रिक टन चावल भेजा है।
  • हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये दिए जाएंगे।
  • केंद्र ने मेडिकल सुविधाओं को सुचारू रखने के लिए आठ स्पेशल टीमों को तैनात किया है।

मणिपुर हाईकोर्ट ने क्या फैसला दिया था?

मणिपुर में हिंसा भड़कने की बड़ी वजह हाईकोर्ट के द्वारा मैती समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग को स्वीकार करना है। हाईकोर्ट के इसी फैसले के बाद मैती समुदाय निशाने पर आ गया और राज्य में हिंसा भड़क उठी। सेना की तैनाती के बावजूद 35 हजार से अधिक लोगों को पलायन करना पड़ा।पिछले दिनों मणिपुर हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमवी मुरलीधरन ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह मैती समुदाय की मांगों पर विचार करे और चार महीने के अंदर केंद्र को मांगों का प्रस्ताव भेजे। इसी आदेश के बाद आदिवासी और गैर-आदिवासियों के बीच अधिकारों का मामला एक बार फिर गरमा गया। इंडिजिनियस ट्राइबल लीडर्स फोरम द्वारा निकाली गई रैली और बंद के बाद मणिपुर में हिंसा भड़क गई।

मैती कौन हैं?

मैती हिंदू हैं। वे मणिपुर में बहुसंख्यक है। वर्तमान में वे केवल इंफाल घाटी में रहने को मजबूर हैं। इसकी वजह यह है कि उन पर अपने ही राज्य के पर्वतीय इलाकों में संपत्ति खरीदने और खेती करने पर कानूनी तौर पर रोक लगाई गई है। यहां ईसाई बन चुके कुकी और नगा समुदाय के लोग रहते हैं, जिनकी आबादी 40 प्रतिशत है। ये मणिपुर के कुल क्षेत्रफल के 90 प्रतिशत हिस्से में रहते हैं।

दस प्रतिशत क्षेत्र में ही रह सकता है मैती समुदाय 

मैती समुदाय की जनसंख्या करीब 53 प्रतिशत है, लेकिन वह करीब 10 प्रतिशत क्षेत्र में ही रह सकता है। कुकी और नगा समुदाय के इंफाल घाटी में रहने पर कोई कानूनी बंदिश नहीं है। 

हिंदू चाहे बहुसंख्यक हों या अल्पसंख्यक, शांति बनाए रखने के लिए सारे बलिदान उन्हें ही करने होते हैं। कुकी और नगा समुदायों को तो जनजाति का दर्जा दे दिया गया, लेकिन मैती समुदाय को जनजाति होने पर भी जनजाति का दर्जा नहीं मिला। यह तो भारत के भाग्य विधाता ही बता सकते हैं कि ऐसा क्यों किया गया? मैती हिंदू समुदाय जिस इंफाल घाटी तक सीमित है, वह लगभग 700 वर्ग मील में फैला हुआ है।

मणिपुर में हिंसा की अन्य वजह क्या हैं?

मणिपुर में हिंसा की वजह हाईकोर्ट के फैसले के अलावा, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की सख्ती भी है। बीरेन सिंह सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में अवैध कब्जों पर कार्रवाई और अफीम की खेती पर शिकंजा कसा है। इन्हीं से पूर्वोत्तर के आतंकी संगठनों को खाद-पानी मिलता था।

मणिपुर में हिंसा की शुरुआत किसने की ?

  • मणिपुर में हिंसा की शुरुआत कुकी समुदाय के लोगों ने की।
  • इस समुदाय के विधायक चाहे वे किसी भी पार्टी के हों, अब मणिपुर से इतर अलग राज्य की मांग कर रहे हैं, जबकि राज्य में उनका ही एकाधिकार है।
  • दूसरी तरफ, प्राचीन भारतीय संस्कृति को सहेजकर रखने वाला मैती समुदाय भले ही आज अपने ही क्षेत्र में हाशिये पर पहुंच गया है, लेकिन वह राज्य को बांटने का विरोध कर रहा है।
  • मैती समुदाय का भूमि से भावनात्मक जुड़ाव है।

आरक्षण मिलने पर सारी जमीन छीन लेंगे मैती: कुकी

ऑल मणिपुर ट्राइबल यूनियन के महासचिव केल्विन नेहिसियाल ने हिंसा की वजह मैती समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा पाने की मांग को बताया। उन्होंने कहा,मैती अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा चाहते हैं। अगर उन्हें एसटी का दर्जा गया तो वे हमारी सारी जमीन छीन लेंगे। कुकी समुदाय को संरक्षण की जरूरत है, क्योंकि वे बहुत गरीब हैं और सिर्फ झूम की खेती पर ही निर्भर हैं।

अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई से कुकी नाराज: मैती

ऑल मैती काउंसिल के सदस्य चांद मीतेई पोशांगबाम ने कहा कि कुकी समुदाय के लोग म्यांमार और बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई से नाराज हैं। उन्होंने कहा,जंगलों में बसे अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने की राज्य सरकार की कार्रवाई से कुकी समुदाय नाराज हैं। प्रदर्शन महज दिखावा है। एसटी दर्जा के विरोध की आड़ में उन्होंने मौके का फायदा उठाया, लेकिन उनकी असली समस्या बाहर निकालने की कार्रवाई है। कुकी समुदाय का एक बड़ा वर्ग म्यांमार की सीमा पार कर यहां आया है और जंगलों पर कब्जा कर रहा है।

मणिपुर के बारे में महत्वपूर्ण बातें

मणिपुर को 1972 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिला। यहां की कुल आबादी 28 लाख 56 हजार है। राज्य में कुल 16 जिले हैं। यहां की 60 विधानसभा सीटों में से 19 सीटें आरक्षित हैं। मणिपुर में दो लोकसभा और एक राज्यसभा सीट है।

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