इंश्योरेंस पर घट रहा खर्च, बीमा कराने से क्यों बच रहे लोग?

Insurance trends in India दुनियाभर में बीमा कराने की तादाद लगातार बढ़ रही है। लेकिन भारत में इंश्योरेंस सेक्टर की ग्रोथ सुस्त पड़ रही है। जीडीपी में इंश्योरेंस सेक्टर की भागीदारी पिछले दो साल में 4.2 फीसदी से घटकर 3.7 फीसदी पर आ गई। आइए समझते हैं कि भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ तेज होने के बावजूद लोग बीमा कराने से परहेज क्यों कर रहे हैं।

भारत में इंश्योरेंस सेक्टर की रफ्तार सुस्त पड़ रही है। बीमा नियामक इरडा की रिपोर्ट बताती है कि जीडीपी में इंश्योरेंस सेक्टर की भागीदारी पिछले दो साल में 4.2 फीसदी से घटकर 3.7 फीसदी पर आ गई। यह आंकड़ा इसलिए भी हैरान करता है, क्योंकि दुनियाभर में बीमा का चलन बढ़ रहा है। ग्लोबल जीडीपी में बीमा सेक्टर की हिस्सेदारी 6.8 फीसदी से बढ़कर 7 फीसदी हो गई है।

जीडीपी में बीमा सेक्टर की हिस्सेदारी क्यों घटी?
भारत में लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी की बिक्री में गिरावट आई है। इसका असर ओवरऑल सेक्टर पर देखा जा सकता है। इसकी सेगमेंट की पहुंच 3.7 फीसदी से घटकर 2.8 फीसदी रह गई। कोरोना महामारी के दौरान वित्त वर्ष 2021-22 में जीवन बीमा सेक्टर सबसे तेजी से बढ़ रहा था। उस वक्त लोग महामारी के चलते डरे हुए थे, इसलिए ज्यादा लोग बीमा करा रहे थे। तब इंश्योरेंस सेक्टर की जीडीपी में हिस्सेदारी 4.2 फीसदी के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। लेकिन, उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट आ रही है।

हालांकि, देश में प्रति व्यक्ति प्रीमियम में मामूली बढ़ोतरी हुई है। यह 2023-24 में 95 डॉलर रही, जो वित वर्ष 2023 के दौरान 92 डॉलर थी। ग्लोबल एवरेज 889 डॉलर का है। इसका मतलब कि हम अभी काफी पीछे चल रहे हैं।

इरडा की रिपोर्ट की कुछ खास बातें
हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर में क्लेम रेशियो में गिरावट आई है।
यह 2022-23 के 88.89% से घटकर 2023-24 में 88.15% हो गया।
इंश्योरेंस कंपनियों ने कुल 2.69 करोड़ हेल्थ इंश्योरेंस दावे निपटाए।
उन्होंने दावे निपटाने पर कुल 83.493 करोड़ रुपये खर्च किए।
बीमा सेक्टर औसतन प्रति दावा भुगतान 31,086 रुपए था।

इंश्योरेंस पर खर्च क्यों कम रहे लोग?
एक्सपर्ट का मानना है कि इंश्योरेंस पर अधिक जीएसटी होना एक बड़ी वजह है कि लोग बड़ी संख्या में बीमा नहीं करा रहे हैं। सरकार अलग-अलग इंश्योरेंस पॉलिसी पर 18 फीसदी तक जीएसटी लगाती है। पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुआई में जीएसटी काउंसिल की मीटिंग हुई थी। इसमें बीमा पॉलिसी पर जीएसटी घटाने की चर्चा हुई, लेकिन उसे आखिरी रूप नहीं दिया जा सका।

पहले इंश्योरेंस को निवेश का अच्छा जरिया भी समझा जाता था। लेकिन, अब लोग शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड में भी काफी निवेश कर रहे हैं, जहां ज्यादा रिटर्न मिलने की गुंजाइश रहती है। वहीं, पिछले कुछ साल में बीमा का प्रीमियम भी 25-30 फीसदी तक बढ़ गया है। इससे मिडल क्लास को यह महंगा लगने लगा है। इसलिए बहुत-से लोग बीमा कराने से बच रहे हैं।

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