संयुक्त बयान में पाक के बारे में क्या कहा गया?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति के पिछले हफ्ते के संयुक्त बयान पर चिंता और निराशा व्यक्त करने के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी दूतावास को तलब किया है। दरअसल, बयान में पाकिस्तान से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था कि उसके क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी हमलों के लिए आधार के रूप में न किया जाए।
पाकिस्तान ने जारी किया बयान
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने आरोप लगाया है कि संयुक्त बयान में एकतरफा और भ्रामक संदर्भ दिए गए थे। बयान में कहा गया कि ‘संयुक्त राज्य अमेरिका को ऐसे बयान जारी करने से बचना चाहिए जिन्हें पाकिस्तान के खिलाफ भारत के निराधार और राजनीति से प्रेरित कथन को बढ़ावा देने के रूप में माना जा सकता है। पाकिस्तान और अमेरिका के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग अच्छी तरह से प्रगति कर रहा है। विश्वास और समझ पर केंद्रित एक सक्षम माहौल, को और मजबूत करने के लिए जरूरी है।
मिला करारा जवाब
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैट मिलर ने दैनिक समाचार ब्रीफिंग में संवाददाताओं से कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवादी समूहों का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन वाशिंगटन ने और अधिक कदम उठाए जाने की वकालत की है। हम पाकिस्तान द्वारा लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद और उनके विभिन्न प्रमुख संगठनों सहित सभी आतंकवादी समूहों को स्थायी रूप से नष्ट करने के लिए कदम उठाने के महत्व पर भी लगातार कायम रहे हैं। हम इस मुद्दे को पाकिस्तानी अधिकारियों के समक्ष नियमित रूप से उठाएंगे।
अमेरिकी की राजकीय यात्रा के दौरान एक संयुक्त बयान में दोनों देशों ने आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा की थी। मोदी और बाइडन ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन जैसे पाक स्थित संगठनों सहित सभी संयुक्त राष्ट्र-सूचीबद्ध आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया। दोनों पक्षों ने 26/11 के मुंबई और पठानकोट हमलों के अपराधियों को कड़ी सजा दिलाने का भी आह्वान किया, जिनके संबंध लंबे समय से पाकिस्तान के साथ स्थापित किए गए हैं।
संयुक्त बयान पर क्या थी इमरान खान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सत्तारूढ़ गठबंधन को घेरने की कोशिश करते हुए कहा कि संयुक्त बयान ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री की अमेरिका की ‘अनगिनत यात्राओं’ के बावजूद इस्लामाबाद को ‘भारत में सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला बना दिया है। हमारा लोकतंत्र, कानून का शासन और संपूर्ण आर्थिक और संस्थागत ढांचा भी हमारी आंखों के सामने ढह रहा है।