वरुथिनी एकादशी पर विष्णु जी की पूजा से मिलते हैं कई लाभ

प्रत्येक माह में दो बार एकादशी का व्रत किया जाता है, एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष की एकादशी पर। इस तिथि को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए सबसे उत्तम माना गया है। एकादशी व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ नियमों का ध्यान रखना भी जरूरी होता है। इसलिए आइए जानते हैं कि व्यक्ति को एकादशी के दिन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
वरुथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 03 मई को रात्रि 11 बजकर 24 मिनट पर आरंभ हो रहा है। वहीं यह तिथि समापन 04 मई को रात 08 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, वरुथिनी एकादशी का व्रत 04 मई, शनिवार के दिन किया जाएगा।
मिलते हैं ये लाभ
एकादशी का व्रत करने से साधक को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति का सौभाग्य बढ़ता है। साथ ही इससे व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं और पुण्यफलों की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से साधक को मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।
खानपान संबंधी नियम
एकादशी के व्रत के दिन कुट्टू, आलू, नारियल और शकरकंद खाया जा सकता है। लेकिन इस दिन भूलकर भी तामसिक चीजें जैसे मांस-मदिरा, लहसुन-प्याज आदि का सेवन न करें। इसके साथ ही एकादशी के दिन चावल खाने की भी मनाही होती है। एकादशी के व्रत में सामान्य नमक का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए। इसके स्थान पर आप सेंधा नमक का उपयोग कर सकते हैं।
इन बातों का जरूर रखें ध्यान
इस दिन भूलकर भी तुलसी में जल अर्पित न करें और न ही इसके पत्ते तोड़े। ऐसा माना जाता है कि माता तुलसी भी विष्णु जी के निमित्त एकादशी का व्रत करती हैं। न ही इस दिन बाल धोने और काटने चाहिए। एकादशी व्रत के दिन अपने स्वभाव का भी ध्यान रखना चाहिए। इस दिन किसी पर क्रोध न करें और सभी से मधुरता से बात करें। साथ ही इस दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें।