उत्तराखंड : साइबर हमले के बाद खुली पोल, जिन सिक्वल सर्वर का सपोर्ट बंद
जिन सर्वर की तकनीकी सपोर्ट कंपनी ने पिछले साल ही बंद कर दी। विभागों की वेबसाइटें अब तक उन पर चल रही हैं। साइबर हमले के बाद इसकी पोल खुली। पता चला कि विभागों के सर्वर अपग्रेड करने के प्रस्ताव शासन में धूल फांक रहे हैं।
दरअसल, विभागों की जो वेबसाइट चलती हैं, उनका डाटाबेस सुरक्षित रखने के लिए आईटीडीए में डाटाबेस सिक्वल सर्वर होता है। साइबर हमले के बाद विशेषज्ञों ने जब बारीकी से जांच की तो तमाम विभाग ऐसे सामने आए, जिनके सिक्वल सर्वर अपग्रेड नहीं हुए। जिस सर्वर पर ये वेबसाइट चल रहीं थीं, उनकी तकनीकी सपोर्ट कंपनी ने पिछले साल बंद कर दी है।
पूछताछ करने पर पता चला कि विभागों ने सर्वर अपग्रेड करने के प्रस्ताव शासन को भेजे थे, जिनकी किसी ने सुध ही नहीं ली है। विभागों और शासन स्तर की इस सुस्ती को लेकर अब सवाल खड़े हो रहे हैं।
आईटीआई लिमिटेड को कारण बताओ नोटिस
आईटीडीए के डाटा सेंटर की डिजास्टर रिकवरी देख रही बंगलूरू की कंपनी आईटीआई लिमिटेड को आईटीडीए ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। निदेशक नितिका खंडेलवाल ने इसकी पुष्टि की। बताया जा रहा कि जिस वक्त माकोप रैनसमवेयर का हमला हुआ, उस समय आईटीआई की टीम रिमोट एक्सेस जैसे जोखिम भरे तरीके से सीसीटीएनएस का डाटा ले रही थी। इस साइबर हमले में न केवल आईटीडीए, बल्कि आईटीआई लिमिटेड को भी भारी नुकसान हुआ है। सवाल ये भी उठ रहे कि जो कंपनी अपनी सुरक्षा नहीं कर सकती, वह उत्तराखंड के डाटा की डिजास्टर रिकवरी किस तरह संभालती।
192 में से 161 वेबसाइट-एप लाइव, उद्योगों की सिंगल विंडो खुली
साइबर हमले के बाद प्रदेश में डाटा रिकवरी, स्कैनिंग का काम अब अंतिम दौर में पहुंच चुका है। आईटीडीए निदेशक नितिका खंडेलवाल ने बताया, 192 में से 161 मोबाइल एप और वेबसाइट लाइव हो चुकी हैं। उद्योगों की सिंगल विंडो भी शुरू हो गई है। चार वेबसाइटें ऐसी हैं जो अनुपयोगी होने के चलते पूरी तरह से बंद कर दी गई हैं। बताया, जल्द ही बाकी वेबसाइट व एप भी लाइव हो जाएंगे। सभी वेबसाइटों के सिक्योरिटी ऑडिट किए जा रहे हैं।
कवरी देख रही बंगलूरू की कंपनी आईटीआई लिमिटेड को आईटीडीए ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। निदेशक नितिका खंडेलवाल ने इसकी पुष्टि की। बताया जा रहा कि जिस वक्त माकोप रैनसमवेयर का हमला हुआ, उस समय आईटीआई की टीम रिमोट एक्सेस जैसे जोखिम भरे तरीके से सीसीटीएनएस का डाटा ले रही थी। इस साइबर हमले में न केवल आईटीडीए, बल्कि आईटीआई लिमिटेड को भी भारी नुकसान हुआ है। सवाल ये भी उठ रहे कि जो कंपनी अपनी सुरक्षा नहीं कर सकती, वह उत्तराखंड के डाटा की डिजास्टर रिकवरी किस तरह संभालती।