उत्तराखंड : न्यायाधीश नरेंद्र जी होंगे उत्तराखंड हाईकोर्ट के नए चीफ जस्टिस

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश नरेंद्र जी उत्तराखंड हाईकोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश हाेंगे। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली कोलॉजियम ने उनके नाम की सिफारिश की है। उत्तराखंड हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी 10 अक्तूबर को सेवानिवृत्त हो रही हैं। न्यायमूर्ति नरेंद्र जी की नियुक्ति 10 अक्तूबर से प्रभावी मानी जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट की कोलॉजियम ने मंगलवार 24 सितंबर को यह सिफारिश की है। न्यायमूर्ति नरेंद्र जी कर्नाटक हाईकोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश भी हैं। उनकी नियुक्ति 2015 में कर्नाटक हाईकोर्ट में हुई। 10 अक्तूबर 2023 को आंध्र प्रदेश स्थानांतरित हुए थे। हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय में वकालत की। वह कर्नाटक और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में न्यायिक और प्रशासनिक पदों पर काफी अनुभवी न्यायाधीश हैं।

कोलॉजियम ने माना है कि वर्तमान में कर्नाटक हाईकोर्ट से उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। ऐसे में न्यायमूर्ति नरेंद्र जी उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए उपयुक्त हैं। इसलिए 10 अक्तूबर 2024 को उत्तराखंड हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी की सेवानिवृत्ति के बाद न्यायमूर्ति नरेंद्र जी को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाए।

न्यायमूर्ति नरेंद्र जी का जन्म 10 जनवरी 1964 को हुआ है। उन्होंने बैचलर ऑफ आर्ट्स और एलएलबी में स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 23 अगस्त, 1989 को बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु में एक वकील के रूप में नामांकित हुए। 1989 से 1992 तक मद्रास उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की। वर्ष 1993 में उन्होंने अपना पंजीयन कर्नाटक स्टेट बार काउंसिल में स्थानांतरित किया।

तमिलनाडु से की प्रैक्टिस की शुरुआत, कर्नाटक में भी किया कार्य
न्यायमूर्ति जी नरेंद्र का जन्म 10 जनवरी, 1964 को हुआ था। उन्होंने कला स्नातक और एलएलबी में स्नातक की पढ़ाई के बाद 23 अगस्त 1989 को तमिलनाडु बार काउंसिल में एक वकील के रूप में नामांकित कराया। 1989 से 1992 तक मद्रास उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की। वर्ष 1993 में उनका नाम कर्नाटक स्टेट बार काउंसिल में स्थानांतरित कर दिया गया। जस्टिस जी नरेंद्र संवैधानिक, नागरिक, कराधान, मोटर खनन कानून, पर्यावरण और वन, मध्यस्थता मामले आदि के विशेषज्ञ रहे। साथ ही मूल्य निर्धारण, कोफेपोसा हिरासत, भूमि सुधार, भूमि राजस्व, सिविल मुकदमे, बौद्धिक संपदा अधिकार, पारिवारिक विवाद में भी उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया।

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