खतरनाक ‘ग्लेशियल’ झीलों के लिए एहतियाती कदम उठा रही उत्तराखंड सरकार

केदारनाथ के पास चौराबाड़ी ‘ग्लेशियल’ झील से उत्पन्न तबाही से सबक लेते हुए उत्तराखंड सरकार ने चिन्हित ऐसी 13 ‘ग्लेशियल’ झीलों के लिए एहतियाती कदम उठाने का निर्णय लिया है जो आने वाले समय में बड़ा खतरा बन सकती हैं। उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि उपग्रह से मिले चित्रों के आधार पर प्रथम चरण में पांच सबसे खतरनाक झीलों के लिए जल्द ही विशेषज्ञों की टीम भेजी जाएंगी जो उनसे होने वाले खतरे के बारे में पूरा वैज्ञानिक अध्ययन करेंगी। 

झील से खतरे के बारे में पूरा अध्ययन करेंगी टीमें 
रंजीत सिन्हा ने कहा,‘‘इन झीलों के लिए हम ‘एक्सपेडिशन’ भेज रहे हैं जिनकी रिपोर्ट के आधार पर वहां पूर्व चेतावनी प्रणाली सहित खतरे को कम करने के उपाय किए जाएंगे। हम झील से खतरे के बारे में पूरा अध्ययन करेंगे और फिर कार्रवाई करेंगे।” सिन्हा ने बताया कि दो विशेषज्ञ टीम बनाई गई हैं जिनमें से एक की अगुवाई भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेंक्षण (जीएसआई) तथा दूसरे की अगुवाई सी-डैक कर रहा है। उनके अनुसार इन टीम में वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान जैसे तकनीकी एजेंसियों तथा भारत तिब्बत सीमा पुलिस, राज्य आपदा प्रतिवादन बल, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल जैसे अर्धसैनिक बल तथा उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारी होंगे। 

इन पांच ‘ग्लेशियल’ झीलों में से चार पिथौरागढ़ जिले में हैं जबकि एक अन्य चमोली जिले में है। सचिव ने बताया कि चमोली जिले की वसुधारा झील और पिथौरागढ़ जिले की मबान झील के अलावा अन्य झीलें अनाम हैं। उन्होंने बताया कि इन अनाम झीलों के नामकरण की प्रक्रिया चल रही है। सिन्हा ने बताया कि वसुधारा झील के लिए भेजी जाने वाली टीम को मंजूरी मिल चुकी है और वह दो जुलाई को रवाना होगी। 

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