जम्मू-कश्मीर में युवाओं को आतंकी बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफार्म का इस्तेमाल

पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई (इंटर सर्विस इंटेलीजेंस) और विभिन्न आतंकी समूह जम्मू-कश्मीर में दहशतगर्दों की भर्ती बढ़ाने के लिए अब डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग कर रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि सुरक्षाबलों की कड़ी नाकेबंदी के कारण उनके लिए युवाओं से सीधे संपर्क करना मुश्किल होता जा रहा है। एक अधिकारी के अनुसार, ये समूह अब मुख्य रूप से एक्स (पुराना नाम ट्विटर), फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और मैसेजिंग एप का इस्तेमाल कर भावनात्मक रूप से कमजोर युवाओं को लक्षित कर रहे हैं।

अधिकारियों के अनुसार, आईएसआई और आतंकी समूह पहचान छिपाने के लिए फर्जी प्रोफाइल और वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) का इस्तेमाल कर रहे हैं। वांछित युवाओं की पहचान होते ही उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने निजी ग्रुपों में शामिल कर लेते हैं। इन ग्रुपों में युवाओं को बरगलाने के लिए उन्हें सुरक्षा बलों के अत्याचारों को दर्शाने वाले मनगढ़ंत वीडियो सहित फर्जी तरीके से बनाई गई इसी तरह की सामग्री भेजी जाती है। यह रणनीति आईएसआई से जुड़े संचालकों की ओर से नफरत फैलाने और भर्ती के लिए अनुकूल माहौल को बढ़ावा देने के लिए अपनाई जाती है।

दक्षिण कश्मीर में गतिविधियां बढ़ीं
अधिकारियों ने कहा कि विशेष रूप से दक्षिण कश्मीर में सोशल मीडिया के माध्यम से भर्ती और लोगों को कट्टर बनाने की गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। आतंकी समूह टेलीग्राम और मैस्टोडॉन जैसे एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म और एप का तेजी से लाभ उठा रहे हैं, जो पहले से ही राजोरी और पुंछ जैसे कुछ जिलों में प्रतिबंधित है। चरम राष्ट्रवादी होने का दिखावा करने वाले कुछ व्यक्तियों की पहचान प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी सहित कट्टरपंथी समूहों से जुड़े होने के रूप में की गई है।

इन खतरों का मुकाबला करने के लिए, सुरक्षा एजेंसियों ने सोशल मीडिया निगरानी इकाइयां स्थापित की हैं जो संभावित भर्तियों को ट्रैक करती हैं और इन्हें समय रहते बेअसर करती हैं।

वर्चुअल प्रशिक्षण भी दे रहे 
पूर्व में आईएसआई और आतंकी समूह दहशतगर्दों की भर्ती के लिए सीधे संपर्क पर निर्भर थे, लेकिन जैसे-जैसे सुरक्षा एजेंसियों ने ऐसे नेटवर्क को खत्म करने के अपने प्रयासों को तेज किया है, उनके अन्य तरीके विकसित हुए हैं। भर्ती किए गए लोगों को यूट्यूब सहित अन्य ऑनलाइन संसाधनों के माध्यम से वर्चुअल प्रशिक्षण दिया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र ने किया रेखांकित
संयुक्त राष्ट्र ने बार-बार भर्ती और हिंसा भड़काने सहित विभिन्न नापाक उद्देश्यों के लिए प्रचार का लाभ उठाने में आतंकवादी समूहों के प्रभाव को रेखांकित किया है। इन चुनौतियों के जवाब में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 2017 के संकल्प 2354 (व्यापक अंतरराष्ट्रीय रूपरेखा) को अपनाया था।

Back to top button