उर्दू विरासत महोत्सव : उर्दू रामलीला की तुकबंदियों में डूबे दर्शक

‘जिधर देखूं निगाह भरके वहीं भूचाल आता है, मेरी तलवार के आगे जमाना सिर झुकाता है। हजारों सरकशों की खाक में इज्जत मिलाई है, मैं वो रावण हूं, जिससे कांपती सारी खुदाई है’, ये तुकबंदियां शनिवार दोपहर दिल्ली सरकार व उर्दू अकादमी की ओर से आयोजित उर्दू विरासत महोत्सव में गूंजती नजर आईं। रावण का किरदार निभा रहे श्रवण चावला की संवाद अदायगी के दौरान दर्शकों से भरा नर्सरी परिसर बहुत खूब के नारों और तालियों की गड़गड़ाहट में तब्दील हो गया। इस दौरान कला, संस्कृति व भाषा मंत्री सौरभ भारद्वाज बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे।

इस दौरान सीता के विलाप गीत ‘न उम्मीद करो मदद की लखन से’ ने लोगों को भावुक कर दिया। इतना ही नहीं, गीत पर लक्ष्मण की प्रतिक्रिया ने भी माहौल में करुण रस का संचार कर दिया। इस अनोखी रामलीला में महर्षि वाल्मिकी की चौपाइयां भी रहीं और टेक चंद द्वारा लिखित उर्दू पटकथा भी। कलाकारों ने सीता हरण और रावण अंगद संवाद को अपनी प्रतिभा से जीवंत कर दिया। दिलचस्प बात यह थी कि सभी किरदार उर्दू अल्फाज में संवाद वितरण करते दिखे। 

फरीदाबाद के श्रद्धा रामलीला समूह की इस सामूहिक प्रस्तुति ने हिंदी और उर्दू के उत्कृष्ट एकीकरण का उदाहरण दिया। मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मुंबई, बैंगलुरू समेत देश के कोने-कोने से कलाकार बुलाए गए हैं। चार दिवसीय आयोजन में लोगों को गजल, कव्वाली, मुशायरे, नाटक इत्यादि देखने को मिलेंगे। महोत्सव का उद्देश्य उर्दू के बहाने दिल्ली के लोगों को जोड़ना है। 

ऐसे बनाई दास्तां-ए-रामायण
प्रस्तुत रामलीला का निर्देशन कर रहे अनिल चावला ने जानकारी दी कि इसे मौलिक रूप से मशहूर उर्दू लेखक टेक चंद ने लिखा था। 1976 में नंद लाल बतरा ने इसका पटकथा में रूपांतरण किया। अनिल बताते हैं कि वह उन्हें बचपन में देखा करते थे। धीरे-धीरे उन्हें भी लालसा हुई। और 2008 में नंद लाल बतरा ने उन्हें यह पटकथा सौंपी। तबसे वह चौपाइयां और उर्दू अल्फाजों मिश्रण के साथ इसका मंचन कर रहे हैं। 

बोले कलाकार 
पहली बार भगवान राम का किरदार निभा रहा हूं। मंचन के दौरान यह आभास हुआ कि उनके किरदार को जीने के लिए वाकई में तपस्या करनी पड़ती है। भगवान राम की आज्ञा से यह मौका मिला है। इसे पाकर गौरवान्वित हूं।
-कुणाल चावला, राम

बचपन में राम लीला देखा करता था। कभी किसी रामलीला टीम का हिस्सा बनूंगा नहीं सोचा था। आज मुझे उर्दू रामलीला से जुड़े हुए नौ साल हो गए हैं। हिंदूस्तानी भाषा में रामायण मंचन से पहले कलाकारों को मेकअप कर रूप देता हूं। परिवार सा महसूस होता है।
– शमीम आलम, मेकअप आर्टिस्ट

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