नगरीय स्कूल बदहाल-2: सरकारी स्कूलों में शिक्षक न होने से फल फूल रहे निजी स्कूल
उत्तर प्रदेश में नगरीय क्षेत्र के सरकारी स्कूलों के लिए नया संवर्ग बनाने और पिछले चार दशक से भर्ती न होने का फायदा कान्वेंट, मिशनरी व निजी स्कूलों को हुआ। बिना शिक्षक सरकारी स्कूल बंद होते गए और निजी स्कूल खुलते गए।
दरअसल, सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती न होने और कोरम पूरा करने के लिए शिक्षामित्रों की तैनाती का विभाग को खास फायदा नहीं हुआ। इस दौरान या तो सरकारी स्कूल बंद हो गए या फिर छात्रों की संख्या कम हो गई। इसी कारण यह स्कूल निजी स्कूलों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाए।
अवध में रायबरेली में सिर्फ एक साल में नगर क्षेत्र में बच्चों की संख्या 500 कम हो गई। अमेठी में 2022-23 की अपेक्षा 2023-24 में 28 हजार बच्चे कम हुए। बहराइच में तीन साल में शहरी विद्यालयों में 854 छात्र घट गए। वहीं, लखनऊ में तो यह संख्या काफी ज्यादा है। कमोवेश यही स्थिति अन्य जिलों की भी है। आलम यह है कि कुछ निजी स्कूल तो ऐसे हैं जहां पर प्रवेश के लिए परीक्षा देने के बाद भी नंबर नहीं आता। हाल के एक दशक में हर छोटे-बड़े शहर में निजी स्कूलों की संख्या तेजी से बढ़ी है। कोई विकल्प न होने से अभिभावक भी बच्चों को निजी स्कूलों में भेजने के लिए मजबूर हैं।
सीतापुर में छह तो रायबरेली में 12 निजी स्कूल बढ़े
सीतापुर में तीन वर्षों में नगर क्षेत्र में छह नए स्कूल खुले हैं, जबकि नए सत्र 2024-25 में पांच नए आवेदन आए हैं। रायबरेली में तीन साल में 12 , अयोध्या में पांच, गोंडा में चार, बहराइच में चार निजी स्कूल खुले हैं। अब इनकी संख्या 136 हो गई है। इसी तरह बलरामपुर में 14 नए स्कूल खुले,जबकि नए सत्र में 38 नए स्कूल खोलने की तैयारी में हैं।
बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेंद्र कुमार तिवारी का कहना है कि नगर क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की कमी के संदर्भ में उच्च अधिकारियों से वार्ता कर ठोस निर्णय लेंगे। शहरी क्षेत्र के सभी सरकारी स्कूलों को बेहतर सुविधाओं के साथ संचालित करेंगे। यहां पर न तो बच्चों की संख्या कम होगी न ही शिक्षकों की।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा का कहना है कि विभागीय उपेक्षा से नगरीय क्षेत्र के सरकारी स्कूल बर्बादी की ओर बढ़ रहे हैं। शिक्षक व बेहतर संसाधन न होने से बंद हो रहे हैं और इनकी जगह पर निजी स्कूल खुल रहे हैं। यह कहीं न कहीं कोई सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। –
प्रदेश में नगरीय क्षेत्र में निजी स्कूल
2021-22 | 20193 |
2022-23 | 19061 |
2023-24 | 19994 |
नामांकन बढ़ाने पर जोर, कम हो रहे बच्चे
सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन बढ़ाने पर काफी जोर है। इसके लिए अभियान भी चलाए जाते हैं, पर बच्चों की संख्या अपेक्षाकृत कम हो रही है। पूर्व के वर्षों में परिषदीय विद्यालयों में 1.60 करोड़ बच्चों का नामांकन था, जो वर्तमान में 1.48 करोड़ हो गया है। हाल ही में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने नामांकन बढ़ाने के लिए प्रदेश भर में विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है। किंतु इससे शहरी क्षेत्र के स्कूल अछूते हैं।