यूपीपीएससी: अब तक 232 अभ्यर्थी देख चुके हैं कॉपियां, परीक्षा नियंत्रक चेक करेंगे 10 फीसदी कॉपियों की कोडिंग

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को पीसीएस जे मुख्य परीक्षा-2022 के मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग(यूपीपीएससी) की ओर से हलफनामा दाखिल किया गया और जांच की प्रगति रिपोर्ट दी गई। साथ ही कहा गया कि परिणाम का पुनर्वलोकन किया जा सकता है। क्योंकि, गलतियां कुछ पाई गई हैं।

वहीं, कोर्ट ने इन बातों को दरकिनार कर आयोग के अध्यक्ष से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की पीठ अभ्यर्थी श्रवण पांडेय की याचिका पर सुनवाई कर रही है। याची अधिवक्ता विभु राय ने बताया कि सोमवार को कोर्ट ने लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष से कुछ बिंदुओं पर व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है।

उनसे पूछा गया है कि कितने लोगों का परिणाम आपके हिसाब से गलत है। गलत रिजल्ट को सही करने पर मेरिट पर क्या प्रभाव पड़ेगा। मेरिट पर असर पर पड़ने पर कितने चयनित लोग बाहर हो जाएंगे। कितने दिनों में ये सारी प्रक्रिया पूर्ण कर लेंगे। अगली सुनवाई की तिथि कोर्ट ने आठ जुलाई निर्धारित की है।

अब तक 232 अभ्यर्थी देख चुके हैं कॉपियां
पीसीएस-जे मेंस-2022 में कॉपियों की अदला-बदली का मामला सामने आने के बाद आयोग ने परीक्षा में शामिल सभी 3019 अभ्यर्थियों को कॉपियां देखने के लिए आमंत्रित किया था। यह प्रक्रिया 20 जून से शुरू की गई थी। अब तक 232 अभ्यर्थी अपनी कॉपियां देख चुके हैं। आयोग ने उत्तर पुस्तिकाओं के अवलोकन के लिए 31 जुलाई तक का कार्यक्रम निर्धारित किया है।

परीक्षा नियंत्रक चेक करेंगे 10 फीसदी कॉपियों की कोडिंग
आयोग ने कॉपियों की अदला-बदली के प्रकरण के बाद पर्यवेक्षणीय अधिकारी और परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेदारी भी तय कर दी है। परीक्षा नियंत्रक अब कोडिंग के बाद दस फीसदी कॉपियां चेक करेंगे कि कोडिंग सही हुई है या नहीं। वहीं, पर्यवेक्षणीय अधिकारी को भी हर बंडल में कोडिंग की जांच करनी होगी।

पीसीएस-2015 में भी बदली थी कॉपी, पर दबा दिया गया मामला
पीसीएस-2015 में महिला अभ्यर्थी सुहासिनी बाजपेयी की कॉपी भी बदल गई थी। सूचना के अधिकार के तहत कॉपी देखने पर इसका खुलासा हुआ था। बाद में उसे इंटरव्यू के लिए मुख्य परीक्षा में पास कर दिया गया। हालांकि, इंटरव्यू में वह असफल हो गईं और चयन नहीं हो सका था।
आयोग के सूत्रों का कहना है कि उस वक्त भी गलत काेडिंग के कारण ही ऐसा हुआ था। तब भी एक बंडल में रखी कई कापियां बदली होंगी लेकिन मामले काे रफा-दफा कर दिया गया। अगर तभी सख्त कदम उठाया गया होता तो गलती दोहराने की आशंका घट जाती। हालांकि, बाद में सीबीआई ने जांच के दौरान पीसीएस-2015 में कई गड़बड़ियां सामने आने पर मुकदमा भी दर्ज किया था।

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