यूपीपीएससी जांच में भ्रष्टाचार की बदौलत नौकरी पाए अफसरों पर लटकी तलवार

इलाहाबाद। छह सौ से अधिक भर्तियों में भ्रष्टाचार को लेकर हो रही सीबीआइ जांच प्रदेश में प्रशासनिक पदों व अन्य विभागों में कार्यरत उन अधिकारियों के लिए खतरे की घंटी है जिनकी नियुक्तियां नियम विरुद्ध हुई हैं। जांच के लिए शासन की ओर से उठाए गए कदम इस बात के संकेत हैं कि अयोग्य होने के बावजूद उच्च पदों पर नियुक्ति पाने वालों का बोरिया बिस्तर बंध जाएगा। हाईकोर्ट में विचाराधीन याचिका में वैसे तो भर्तियों में 80 फीसद नियुक्ति फर्जी बताते हुए सभी रिक्तियों को ही रद करने की मांग है लेकिन आरोप में थोड़ी भी सत्यता उजागर होने पर सैकड़ों अफसरों पर कार्रवाई तय है। यूपीपीएससी जांच में भ्रष्टाचार की बदौलत नौकरी पाए अफसरों पर लटकी तलवार

भर्तियों में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप 

गौरतलब है कि उप्र लोक सेवा आयोग से सपा शासन के पांच साल में हुई भर्तियों में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने इस संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट में जो याचिका दाखिल कर रखी है उसमें 80 फीसदी नियुक्तियां नियम विरुद्ध और मनमाने तरीके से किए जाने का आरोप है। तमाम भर्तियों में भ्रष्टाचार के तथ्य कोर्ट में प्रस्तुत किए जा चुके हैं। जिसके आधार पर कोर्ट भी भर्तियों की सीबीआइ जांच की अनुमति दे चुका है। पांच साल में हुई भर्तियों में विभिन्न विभागों में 30 हजार से अधिक नियुक्तियां हुईं। जिन पर सवाल उठे हैं। पीसीएस सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा सीधी भर्ती से हुए चयन में भ्रष्टाचार और एक जाति विशेष के अभ्यर्थियों को प्राथमिक तरजीह देने के आरोप हैं। 

सैकड़ों अफसरों की सेवा समाप्त होगी

प्रदेश में विभिन्न प्रशासनिक पदों, न्यायिक सेवा, अभियंत्रण सेवा, उच्च शिक्षण व चिकित्सा संस्थानों में कार्यरत अधीनस्थ अधिकारियों का भविष्य अब सीबीआइ जांच के परिणाम पर निर्भर हो गया है। आयोग के पूर्व अध्यक्ष और तत्कालीन परीक्षा समिति से सीबीआइ को मिलने वाली जानकारी तय करेगी कि उन्हें पद पर बने रहने का अधिकार होगा या नहीं। फिलहाल जांच की शुरूआत होने पर ऐसे लोगों में खलबली मचने की सूचना है जिन्हें आयोग में भ्रष्टाचार की बदौलत नौकरी मिली है। वहीं हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले प्रतियोगी छात्रों को भरोसा है कि जांच का परिणाम आने पर सैकड़ों अफसरों की सेवा समाप्त होगी। 

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