यूपी: हैलट में हेपेटाइटिस की महंगी जांचों के साथ इलाज भी होगा

कानपुर में लिवर रोग हेपेटाइटिस बी और सी का मुकम्मल इलाज अब हैलट में मुफ्त में मिलेगा। रोगियों की जांच भी निशुल्क होगी और दवाएं भी मिलेंगी। अभी मरीज देखे तो जाते हैं, लेकिन जांच बाहर से करानी पड़ती है। इसके अलावा दवाएं भी कभी मिलतीं तो कभी नहीं मिलतीं। दरअसल, राष्ट्रीय कार्यक्रम नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम का जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को सेंटर बनाया गया है।

मल्टी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एंड पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यट के गैस्ट्रोइंटोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार इसके नोडल अधिकारी हैं। उन्होंने बताया कि सेंटर के जरिये उनकी मॉनीटरिंग की जाएगी। सरकार ने वर्ष 2030 तक हेपेटाइटिस सी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। हेपेटाइटिस बी और सी की दवाएं और इसके लिए कराई जाने वाली आरएनए व डीएनए जांचें भी महंगी हैं।

इन दोनों जांचों का खर्च निजी क्षेत्र की लैब में करीब 10 हजार रुपये आता है। रोगियों को जांचें कई बार करानी पड़ती हैं। इसके अलावा रोगियों की स्थिति के लिहाज से दवा का खर्च औसत साढ़े आठ हजार रुपये महीना आता है। आरएनए और डीएनए की जांच हर पैथोलॉजी में नहीं हो पातीं।

दो महीने में सेंटर में जांचें शुरू हो जाएंगी
ज्यादातर सेंटर सैंपल लेकर जांचें बाहर से कराते हैं। हैलट में बनने वाले सेंटर में ये सब जांचें और दवाएं मुफ्त मिलेंगी। नोडल अधिकारी डॉ. विनय कुमार ने बताया कि विभिन्न मदों में उनके पास सेंटर का बजट आना शुरू हो गया है। आरएनए, डीएनए जांच के लिए किट की अनुमति मांगी गई है। महीने-दो महीने में सेंटर में जांचें शुरू हो जाएंगी।

हर महीने बी के 30, सी के 10 नए रोगी आते हैलट में
सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की गैस्ट्रो क्लीनिक में हर महीने औसतन हेपेटाइटिस बी के 30 और सी के 10 नए रोगी आते हैं। इस समय में फॉलोअप में डेढ़ सौ हेपेटाइटिस बी के रोगियों और सी के 70 रोगियों का इलाज चल रहा है। डॉ. विनय कुमार ने बताया कि आबादी में हेपेटाइटिस बी का संक्रमण सौ में दो व्यक्तियों को है और हेपेटाइटिस सी संक्रमण सौ में एक व्यक्ति को है।

अंजाने में लिवर में घुस रहा हेपेटेाइटिस बी और सी
हेपेटाइटिस बी और सी का संक्रमण लोगों के शरीर में अंजाने में ही पहुंच जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सेहत को लेकर लापरवाही है। हाईजीन को लेकर लोग सजग नहीं हैं। मेडिकल कॉलेज के गैस्ट्रोइंटोलॉजी विभाग में अभी 220 रोगी हेपेटाइटिस बी और सी का इलाज करा रहे हैं, लेकिन किसी को यह पता नहीं है संक्रमण कहां से मिला? इनमें 32 महिलाएं हैं, जो प्रसव और किसी दूसरी स्त्री रोग से संबंधी सर्जरी के लिए आईं। तय प्रोटोकॉल के तहत जब जांच कराई गई तो पुष्टि हुई।

हेपेटाइटिस सेंटर खुलने से फायदे
10 से 12 हजार कीमत की जांचें फ्री होंगी।
13 से 17 हजार कीमत की दवाएं हर महीने फ्री मिलेंगी।
शिविरों का आयोजन करके जांचें कर रोगी चिह्नित किए जाएंगे।
पंजीकृत संक्रमितों को एप के जरिये ट्रैक किया जाएगा।
सेंटर और केंद्र सरकार दोनों संक्रमितों की मॉनीटरिंग की जाएगी।
हेपेटाइटिस बी और सी को लेकर जागरूकता कार्यक्रम किए जाएंगे।

अभी की स्थिति
हेपेटाइटिस बी और सी की पहचान के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
हैलट में जांच नहीं होती, रोगी निजी लैब में सैंपल देते हैं, लैब दिल्ली, मुंबई से जांचें कराती हैं।
संक्रमित व्यक्ति को दवा अपने पैसे से खरीदनी पड़ती है।
आयुष्मान लाभार्थी और असाध्य रोग में पंजीकृत रोगियों को ही सुविधा मिल पाती है।

ऐसे संक्रमण मिलने का खतरा
नाई के संक्रमित उस्तरे से।
टैटू गुदवाने से।
संक्रमित का विंडो पीरियड में रक्त लेने से।
असुरक्षित संभोग से।
संक्रमित को लगे इंजेक्शन की सिरिंज से दूसरों को इंजेक्शन लगाने से।

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