यूपी: भाजपा प्रत्याशियों में सबसे अधिक वोट फीसदी रहा डॉ. जोशी का…
कानपुर महानगर लोकसभा सीट पर अब तक जीते भाजपा प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत डॉ. मुरली मनोहर जोशी का रहा। उन्होंने वोट भी सबसे अधिक पाए। इसके बाद सत्यदेव पचौरी जीते जरूर लेकिन उनका ग्राफ डॉ. जोशी से कम रहा। डॉ. जोशी ने वर्ष 2014 में कानपुर महानगर सीट से चुनाव लड़ा था। उन्होंने तीन बार के सांसद रहे कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल को शिकस्त दी थी। इस चुनाव में डॉ. जोशी को 56.85 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि श्रीप्रकाश को 30.15 प्रतिशत वोट मिले थे।
नगर सीट पर भाजपा ने लोकसभा चुनाव लड़ने की शुरुआत वर्ष 1984 से की थी। तब भाजपा से पहले प्रत्याशी के रूप में सोमनाथ शुक्ला उतरे। वह तीसरे स्थान पर रहे। वोट प्रतिशत 9.95 था और 37451 वोट पाए। तब भाजपा को लोकदल के श्याम मिश्रा और निर्दलीय प्रत्याशी अंबिका प्रसाद सुल्तानिया से अधिक वोट मिले थे। लोकदल का वोट प्रतिशत 6.23 (23439 वोट) और सुल्तानिया को 7947 वोट (2.11 प्रतिशत) मिले थे।
इसके बाद जब अगला चुनाव वर्ष 1989 में हुआ, तो भाजपा ने क्षेत्र के समीकरणों का अध्ययन करके जगतवीर सिंह द्रोण को चुनाव मैदान में उतारा। द्रोण व्यापार मंडल से भी जुड़े थे। वैसे इस बार जीतीं तो सीपीआईएम की सुभाषिनी अली थीं, लेकिन भाजपा के वोट प्रतिशत का ग्राफ सीधे ऊपर चढ़ गया। द्रोण दूसरे स्थान पर रहे और 117851 वोट मिला। वोट प्रतिशत 9.95 से बढ़कर 27.74 हो गया।
भाजपा को पहली बार विजयश्री मिली
वर्ष 1991 में भाजपा को 193275 वोट मिले और वोट प्रतिशत 47.97 हो गया। भाजपा के द्रोण चुनाव जीते और कांग्रेस पार्टी दूसरे स्थान पर खिसक गई। द्रोण ने कांग्रेस के राम नारायण पाठक को हराया था। सीपीआईएम तीसरे नंबर पर चली गई। इस चुनाव में भाजपा को पहली बार विजयश्री मिली। इसके बाद भाजपा की जीत का सिलसिला शुरू हुआ। वर्ष 1996 के चुनाव में भी द्रोण जीते।
सपा ने भी चुनाव लड़ने की शुरुआत की थी
उन्हें 297550 वोट मिले और 52.19 वोट प्रतिशत रहा। वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में तीसरी बार जगतवीर सिंह द्रोण चुनाव जीते। उन्हें 335996 वोट मिले, वोट प्रतिशत 49.39 रहा। इस बार सपा ने भी चुनाव लड़ने की शुरुआत की थी और पहले प्रत्याशी के रूप में सुरेंद्र मोहन अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया गया था। सुरेंद्र मोहन 199987 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे, उनका वोट प्रतिशत 29.40 था।
श्रीप्रकाश जायसवाल ने भाजपा के द्रोण को हराया
वर्ष 1999 में कांग्रेस ने फिर अपनी पूरी ताकत लगाकर चुनाव लड़ा। कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल ने भाजपा के द्रोण को हरा दिया। जायसवाल को 293610 वोट मिले। 46.19 वोट प्रतिशत था। द्रोण ने दूसरे नंबर पर आकर 259151 वोट पाए और 40.77 वोट प्रतिशत रहा। वर्ष 2004 के चुनाव में श्रीप्रकाश जायसवाल 211109 वोट पाकर फिर चुनाव जीत गए। 34.12 वोट प्रतिशत था।
सतीश महाना को चुनाव लड़ाया था
इस बार भाजपा से द्रोण के स्थान पर सत्यदेव पचौरी चुनाव लड़े थे। पचौरी दूसरे स्थान पर रहे। 205471 वोट मिले। उनका 33.21 वोट प्रतिशत रहा था। इसके बाद आया वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव। द्रोण और फिर पचौरी के हारने से चिंतित भाजपा ने इस चुनाव में सतीश महाना को चुनाव लड़ाया। इस बार भी कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल ने लगातार भाजपा को तीसरे बार पटखनी दी।
डॉ. मुरली मनोहर जोशी को महानगर की सीट से प्रत्याशी बनाया
214988 वोट पाकर जायसवाल फिर जीत गए। 41.92 वोट प्रतिशत था। महाना दूसरे स्थान पर रहे। उन्हें 196082 वोट मिले और 38.23 वोट प्रतिशत रहा। लगातार हार से बौखलाई भाजपा ने 2014 में सबसे शक्तिशाली अस्त्र का प्रयोग किया और डॉ. मुरली मनोहर जोशी को बनारस सीट से हटाकर महानगर की सीट से प्रत्याशी बनाया। बड़े नेता को प्रत्याशी बनाने के साथ भाजपा ने चुनाव में पूरी ताकत लगाई।
भाजपा की जीत का रिकॉर्ड कायम हुआ
इस चुनाव में कांग्रेस की शिकस्त हुई और भाजपा की जीत का रिकॉर्ड कायम हुआ। डॉ. जोशी को कुल 474712 वोट मिले। वोट प्रतिशत 56.85 पर पहुंच गया। जायसवाल दूसरे नंबर पर आ गए। उन्हें 251766 वोट मिले। 30.15 वोट प्रतिशत रहा। एक बार चुनावी जमीन मजबूत होने के बाद वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सत्यदेव पचौरी को फिर प्रत्याशी बनाया।
रमेश अवस्थी के रूप में नया चेहरा उतारा है
इस बार उन्हें फिर 468937 वोट मिले। वोट प्रतिशत 55.63 रहा। कांग्रेस के जायसवाल दूसरे नंबर पर ही रहे। उन्हें 313003 मतलब 37.13 प्रतिशत वोट मिले। अब 2024 के आम चुनाव में पचौरी की जगह भाजपा ने रमेश अवस्थी के रूप में नया चेहरा उतारा है। उधर, कांग्रेस ने भी नए ब्राह्मण चेहरे के रूप में आलोक मिश्रा पर दांव लगाया है, क्योंकि इस बार सपा- कांग्रेस गठबंधन में हैं, ऐसे में महानगर सीट पर लड़ाई दिलचस्प होगी।
अन्य पार्टियों से सर्वाधिक वोट प्रतिशत पाने वाले सांसद
1977 में मनोहर लाल जनता पार्टी, वोट 2,69,629, वोट प्रतिशत 70.96।
1952 में हरिहरनाथ शास्त्री कांग्रेस, वोट 88,812, वोट प्रतिशत 64.91।
1971 में एसएम बनर्जी निर्दलीय, वोट 1,48,845, वोट प्रतिशत 60.93।
1952 उपचुनाव, प्रो. राजाराम शास्त्री प्राज सत्तात्मक पार्टी, वोट 65,739, वोट प्रतिशत 55.57।