यूपी: लचर पैरवी और कमजोर जांच…छूट रहे आरोपी, साक्ष्यों की कमी भी बन रही है आरोपियों की ढाल

कानपुर देहात में बिकरू कांड के बाद पुलिस ने आरोपियों पर शिकंजा कसने के लिए उनके खिलाफ घटना के मुख्य मामले समेत 82 मामले दर्ज किए थे। 65 आरोपियों में 30 के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई की गई थी। हालांकि, पुलिस की लचर पैरवी व कमजोर जांच व केस डायरी के चलते गैंगस्टर में अदालत से सात आरोपी दोषमुक्त हो चुके हैं।

सिर्फ चार मामलों में अभियोजन की पैरवी के चलते अदालत से आरोपियों को सजा मिल सकी। वहीं, अभी मुख्य मामले समेत 57 मामले विभिन्न अदालतों में गवाही में ही चल रहे हैं। जबकि 17 में फाइनल रिपोर्ट लग चुकी है। बिकरू कांड में गैंगस्टर विकास दुबे समेत छह आरोपियों को पुलिस और एसटीएफ ने मुठभेड़ में मार गिराया था। कई आरोपियों को जेल भेजा था।

सभी मामलों की विवेचना पूरी कर आरोप पत्र एंटी डकैती कोर्ट में दाखिल कर दिए थे। विकास दुबे की पत्नी रिचा दुबे पर दूसरे का सिमकार्ड प्रयोग करने का मामला दर्ज किया। जब अदालत में मामले की सुनवाई शुरू हुई तो पुलिस लंबे समय तक पुलिस केस डायरी की नकल बचाव पक्ष को उपलब्ध कराने में उलझी रही। किसी तरह मुख्य मामले में फरवरी 2023 में आरोपियों पर आरोप तय हो सके।

30 आरोपियों में सात को अदालत ने दोषमुक्त कर दिया
मामले में अब तक 100 से अधिक तारीखें लग चुकी है और आगे कब तक मामला चलता है, अभी कहा नहीं जा सकता है। वहीं, गैंगस्टर के मामले में अभियोजन की पैरवी से गवाही जल्दी पूरी होने पर अदालत ने पिछले साल फैसला तो सुना दिया, लेकिन पुलिस की ओर से पुख्ता साक्ष्य अदालत में पेश नहीं हो सके। इस वजह से 30 आरोपियों में सात को अदालत ने दोषमुक्त कर दिया।

खुशी दुबे के खिलाफ चल रहे मामलों में चल रही है गवाही
दोषमुक्त हुए आरोपियों राजेंद्र मिश्रा, संजय उर्फ संजू दुबे, बालगोविंद, रमेश चंद्र ,सुशील तिवारी, अरविंद उर्फ गुड्डन त्रिवेदी व प्रशांत उर्फ डब्बू के संबंध में अदालत ने कहा कि इनकी आर्थिक स्थित ऐसी नहीं कि यह साबित हो सके कि इन लोगों ने अपराध से धन कमाया हो। इसी तरह खुशी दुबे के खिलाफ चल रहे दोनों मामलों में गवाही चल रही है। हालांकि पुलिस की शिथिलता से कब गवाही पूरी होगी, नहीं बताया जा सकता है।

बिकरू सेल भंग होने की कगार पर
बिकरू कांड की कोर्ट में पैरवी के लिए बनाया गया बिकरू सेल अब बंद होने के कगार पर है। पुलिस लाइन में बिकरू सेल के कमरे में महीनों से ताला पड़ा हुआ है। अब उसमें महज एक इंस्पेक्टर और एक कांस्टेबल ही तैनात है और इनपर ही सरकारी वकीलों के साथ मिलकर कोर्ट में पैरवी सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी है। साथ ही जरूरत पर साक्ष्य से लेकर अन्य तरह की दौड़भाग भी इन्हीं हो करनी है।

दो गैंगस्टर मामले भी अटके
चौबेपुर पुलिस ने पहले 30 आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर कार्यवाही की थी। इसमें अदालत का फैसला आ चुका है। इसके बाद पुलिस ने 2022 में उमाशंकर व विपुल दुबे के खिलाफ गैंगस्टर की कार्यवाही की थी। वर्ष 2023 में मामले के शेष आरोपियों क्षमा दुबे, रेखा अग्निहोत्री, शांति देवी, संजय परिहार, अभिनव तिवारी, अमन शुक्ला, रामजी कश्यप, शुभम पाल व विष्णु कश्यप के खिलाफ गैंगस्टर कर दी थी, वह भी अभी विचाराधीन है।
अधूरी जानकारी, साक्ष्यों की कमी और लापरवाही के ये हैं उदाहरण

विवेचना में दिव्यांग होने का जिक्र ही नहीं
बिकरू कांड के आरोपी संजू उर्फ संजय दुबे को नामजद किया गया था। लेकिन जांच में उसके दिव्यांग होने के बारे में पुलिस विवेचना में कोई उल्लेख ही नहीं किया गया। जिसपर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। इसी के बाद उसे गैंगस्टर मामले में दोषमुक्त कर दिया गया था।

झूठे लाइसेंस के केस में जयकांत को राहत
विकास दुबे के खजांची जयकांत बाजपेई को पुलिस की लचर पैरवी के चलते दो मुकदमों में बरी कर दिया गया। पहला मुकदमा झूठा शपथ पत्र देकर लाइसेंस लेने का था। 19 सितंबर 2020 को तत्कालीन बजरिया थाना प्रभारी राममूर्ति यादव ने एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप था कि परिवार का आपराधिक इतिहास छिपाकर शस्त्र लाइसेंस हासिल किया था। इस मामले में कानपुर की विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने इस केस में साक्ष्यों के अभाव में बरी किया था।

आर्म्स एक्ट में भी साबित नहीं हुआ दोष
बजरिया थाने के दरोगा अवनीश कुमार वर्मा की ओर से जयकांत बाजपेई पर आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज एक और रिपोर्ट दर्ज की गई थी। इसमें कहा गया कि जयकांत के शस्त्र लाइसेंस पर 65 कारतूस आवंटित हैं, लेकिन उसके पास कारतूस एक भी नहीं थे। इस पर कारतूस के दुरुपयोग पर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।

पुलिस पर हमला और शस्त्र अधिनियम में विपुल दोषमुक्त
बिकरू कांड में फरार चल रहे आरोपी विपुल दुबे को सजेती पुलिस ने 6 जनवरी 2021 को गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ पुलिस पर हमला और शस्त्र अधिनियम की रिपोर्ट दर्ज की गई थी। आरोप था कि पुलिस के घेराबंदी करते ही पुलिस पर फायर झोंक दिया था। उसके पास तमंचा और कारतूस भी बरामद किया गया था। लेकिन तमंचा और कारतूस को बैलेस्टिक व फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा ही नहीं गया। साथ ही दस्तावेजों में छेड़छाड़ भी की गई थी। इस वजह से आरोपी को संदेह का लाभ मिल गया।

जयकांत के भाइयों से गुंडा एक्ट खत्म
खजांची और उसके भाइयों पर नजीराबाद पुलिस ने गुंडा एक्ट की कार्रवाई की थी, लेकिन कानपुर में तैनात रहे एक आईपीएस ने वर्ष 2023 में एक जांच के बाद खजांची जयकांत बाजपेई के तीनों भाइयों रजयकांत, शोभित और अजयकांत पर लगा गुंडा एक्ट खत्म कर दिया। इसके साथ ही थाने की टॉप-10 अपराधियों की सूची से भी इन सभी का नाम हटा दिया गया। आरोप लगाने के बाद पुलिस इनपर आरोप सिद्ध नहीं कर पाई थी।

मनु पांडेय के खिलाफ अब तक दाखिल नहीं हुई चार्जशीट
विकास दुबे के मामा प्रेम पांडेय की पुत्रवधू और शशिकांत की पत्नी मनु पांडेय को पुलिस ने बिकरू कांड में न तो आरोपी बनाया और न ही उसे गवाह बनाया। जबकि घटना को लेकर मनु पांडेय की कॉल रिकॉर्डिंग के ऑडियो वायरल हुए थे। तीन साल तक पुलिस मनु को लेकर मौन रही मगर अंदर ही अंदर विवेचना जारी रही। इस दौरान पुलिस ने मनु को एक मामले में सरकारी गवाह भी बना दिया था। अब उसकी भूमिका संदिग्ध लगने पर आरोपी बनाया गया है। लेकिन चार्जशीट दाखिल नहीं हो सकी है।

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