यूपी: शॉपिंग सेंटरों के मामले में लखनऊ टियर-2 शहरों में टॉप पर
शॉपिंग सेंटरों के मामले में लखनऊ टियर-2 शहरों में देश का नंबर एक शहर बन गया है। वहीं सभी श्रेणियों में देशभर में सातवें स्थान पर काबिज है। नाइट फ्रैंक इंडिया की नवीनतम शोध रिपोर्ट ‘थिंक इंडिया-थिंक रिटेल 2024’ में लखनऊ को ये उपलब्धि हासिल हुई है। यह यूपी में प्रति व्यक्ति आय बढ़ने के चलते शॉपिंग के प्रति बढ़ते क्रेज का असर है। रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ में ग्रास लीजेबल एरिया (जीएलए) करीब 57 लाख वर्गफुट है। जीएलए फुटकर बिक्री के लिए लीज पर दिया जाने वाला एरिया है। इसमें मुख्य रूप से शॉपिंग मॉल और वाणिज्यिक शोरूम व इमारतें आती हैं। शापिंग सेंटर एरिया के मामले में लखनऊ ने कोलकाता और अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों को भी पीछे छोड़ दिया है। इससे साफ है कि रीयल इस्टेट सेक्टर में शॉपिंग सेंटर के मामले में लखनऊ देश के सबसे प्रभावशाली शहर के रूप में उभरा है।
देशभर के शॉपिंग सेंटरों का 5 फीसदी लखनऊ में
देश के 29 प्रमुख शहरों में 12.5 करोड़ कुल शॉपिंग एरिया है। इसमें अकेले पांच फीसदी की हिस्सेदारी लखनऊ की है। इन 29 शहरों में 21 टियर-2 शहर हैं। जहां के 340 शॉपिंग सेंटरों के विश्लेषण में लखनऊ नंबर एक पायदान पर काबिज हो गया। टियर-2 शहरों में कुल 3.80 करोड़ वर्गफुट शापिंग एरिया है। इन शहरों के कुल शापिंग एरिया का 18. 4 फीसदी हिस्सा लखनऊ में है। टियर 2 शहरों की तुलना करने पर पहले स्थान पर लखनऊ (57 लाख वर्गफुट) के बाद कोच्चि (23 लाख वर्ग फुट) और तीसरे स्थान पर जयपुर (21 लाख वर्गफुट) है।
राष्ट्रीय स्तर पर भी अप्रत्याशित प्रदर्शन
प्रदेश की राजधानी ने राष्ट्रीय स्तर पर भी सातवां स्थान हासिल किया है। कोलकाता (55 लाख वर्ग फुट) और अहमदाबाद (32 लाख वर्ग फुट) जैसे शहरों से बेहतर प्रदर्शन लखनऊ ने किया है। इस रैंकिंग में शीर्ष शहरों में 3.10 करोड़ वर्ग फुट के साथ एनसीआर, 1.63 करोड़ वर्गफुट के साथ मुंबई और 1.56 करोड़ वर्गफुट के साथ बेंगलुरु शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक लखनऊ ने वर्ष 2023 में प्रति व्यक्ति 1,439 वर्ग फुट का शॉपिंग सेंटर घनत्व हासिल किया। लखनऊ में शॉपिंग सेंटर में 580 से अधिक भारतीय और अंतरराष्ट्रीय ब्रांड मौजूद हैं। नाइट फ्रैंक इंडिया के वरिष्ठ निदेशक (रिटेल एजेंसी) अभिषेक शर्मा के मुताबिक यूपी की राजधानी के रूप में लखनऊ राज्य की आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बन गया है। शहर रिटेल अचल संपत्ति की मांग में अप्रत्याशित रूप से तेजी आई है।