यूपी: घातक केमिकल के आरोपों से घिरे मसाला उद्योग को 11 हजार करोड़ का नुकसान

भारतीय रसोई में इस्तेमाल होने वाले पैकेटबंद मसालों पर प्रतिबंध और जांच के दायरे में आने के बाद इस उद्योग की साख संकट में है। करीब 80 हजार करोड़ के इस कारोबार में भारत का सिक्का चलता है। उद्यमियों के मुताबिक प्रतिबंधों की वजह से विदेशों के साथ-साथ घरेलू बाजार में भी मसालों की खपत में 15 फीसदी की कमी आ गई है। यानी 11 हजार करोड़ का झटका लग चुका है।

अकेले यूपी की मसाला इंडस्ट्री को 4 हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है। वहीं फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्डस अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने उन खबरों का खंडन किया है, जिसमें कहा गया है कि घातक एथीलीन ऑक्साइड की न्यूनतम मानक सीमा को दस गुना बढ़ा दिया गया है। इंडस्ट्री ऐसे प्रतिबंधों को अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र भी मान रही है, ताकि चीन सहित कुछ अन्य देश मसाला निर्यात में भारत को मात दे सकें।

भारत रसोई मसालों के निर्यात में नंबर वन है। सिंगापुर और हांगकांग ऑस्ट्रेलिया ने भी मसालों की जांच शुरू कर दी है। अमेरिका ने भी 22 भारतीय मसालों को जांच के दायरे में शामिल कर दिया है। आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के मुताबिक अगर जांच का दायरा इसी तरह बढ़ता रहा तो हालात गंभीर हो जाएंगे, क्योंकि विदेशों में भारतीय मसालों का कारोबार 45 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है। विदेशों में किसी तरह का एक्शन लिया गया तो मसाला निर्यात को 50 फीसदी तक नुकसान हो सकता है।

भारतीय मसालों की दुनियाभर में धूम
भारतीय मसालों का सबसे बड़ा ग्राहक चीन है। दूसरे नंबर पर अमेरिका और तीसरे पर बांग्लादेश है। इनके अतिरिक्त इंग्लैंड, नेपाल, इंडोनेशिया, मलेशिया, जर्मनी, थाईलैंड, श्रीलंका, नीदरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात भी मसालों के बड़े खरीदार हैं। कुल निर्यात होने वाले मसालों में दो तिहाई इन्हीं देशों की हिस्सेदारी है। खास बात ये है कि भारतीय लाल मिर्च इलायची (छोटी और बड़ी), धनिया, हल्दी, अजवाइन, जीरा, सौंफ, मेथी, अजवाइन, सरसों, सौंफ, जायफल और जावित्री के मुरीद पूरी दुनिया के देश हैं। हींग और इमली की मांग तीन साल में 30 फीसदी बढ़ी है। पुदीना मसाला और करी पाउडर भी विदेशियों को खूब भाता है। अब तो बुकनू का स्वाद भी विदेशियों को लग गया है। 18 अरब डाॅलर का निर्यात तो अकेले मिर्च, जीरा और हल्दी का हुआ।

अंतरराष्ट्रीय साजिश के भी आरोप
मसाला इंडस्ट्री के बड़े ब्रांड्स के मालिक इस मामले पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं। उन्हें डर है कि ज्यादा बयान कहीं उन्हीं पर भारी न पड़ा जाए। उनका कहना है कि भारत दुनियाभर में मसाला उत्पादन में नंबर वन है। कुल मसाला उत्पादन में हिस्सेदारी करीब 72 फीसदी है। इस बाजार पर चीन सहित कुछ अन्य देशों की नजर है। इस बाजार पर छाने के लिए सबसे आसान रास्ता यही है कि भारतीय मसालों की गुणवत्ता को कटघरे में खड़ा कर दिया जाए।

भारतीय मसालों के मुरीद ये हैं शीर्ष 5 देश

देशनिर्यात
चीन 6,391 करोड़
अमेरिका4,467.39 करोड़
बांग्लादेश2,076 करोड़
यूएई1,945 करोड़
थाईलैंड1,498 करोड़

भारतीय मसालों की धमक का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोरोना काल में भी मसालों का निर्यात पिछले साल के मुकाबले 10 फीसदी ज्यादा था। वर्ष 23-24 में सारे रिकार्ड तोड़ते हुए 12 फीसदी से ज्यादा ग्रोथ भारतीय मसालों की रही।

वर्षग्रोथ
14-153.0 फीसदी
15-16 4.6 फीसदी
16-17 12.1 फीसदी
17-18  9.4 फीसदी
18-196.6 फीसदी
19-208.9 फीसदी
20-2110.0 फीसदी
21-22 2.1 फीसदी
22-232.9 फीसदी
23-2412.3 फीसदी
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