#UP: योगी सरकार ने लिए अब-तक के ये सबसे अहम 10 फैसले, किसानों पर दिखाई मेहरबानी, और…

योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को संपन्न हुई कैबिनेट की बैठक में 10 फैसले लिए गए। सबसे महत्वपूर्ण राजस्व निरीक्षक की सीधी भर्ती समाप्त कर दी गई। पहले 25% पदों पर सीधी भर्ती और 75% प्रोन्नत से भरी जाती थी लेकिन अब सभी पदोन्नत से भरे जाएंगे। इसका सर्वाधिक लाभ लेखपालों को मिलेगा।#UP: योगी सरकार ने लिए अब-तक के ये सबसे अहम 10 फैसले, किसानों पर दिखाई मेहरबानी, और...

दूसरा महत्वपूर्ण फैसला यह कि कोआपरेटिव में कर्ज चुका न पाने की वजह से करीब 12 लाख 61 हजार किसानों के बैंक खाते बंद कर दिए गए थे सरकार ने 75% इनका कर्ज देकर और को ऑपरेटिव बैंक ने 25% माफ कर इनके डेड खातों को फिर से चालू करने का फैसला किया।

कैबिनेट फैसला- 1: राजस्व लेखपाल व संग्रह अमीन को मिलेंगे पदोन्नति के अवसर
इस फैसले ने राजस्व लेखपालों और संग्रह अमीनों को बड़ी राहत दी। इन दोनों संवर्गों को पदोन्नति का अधिकतम अवसर देने के लिए राजस्व निरीक्षकों की सीधी भर्ती की व्यवस्था खत्म कर दी। अब राजस्व निरीक्षक के सभी पद पदोन्नति से ही भरे जाएंगे।

कैबिनेट की बैठक के बाद राज्य सरकार के प्रवक्ता व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग में राजस्व निरीक्षक के कुल 4281 पद सृजित हैं। शर्मा ने बताया कि  सीधी भर्ती के कारण बड़ी संख्या में लेखपाल बिना पदोन्नति के ही रिटायर हो रहे हैं। उन्हें 30-35 साल की सेवा पर पदोन्नति मिल पाती है। नई व्यवस्था से राजस्व निरीक्षक के पद पर अनुभवी लोगों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

अभी 25 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से

यूपी अधीनस्थ कार्यपालक राजस्व निरीक्षक सेवा नियमावली-2014 के अनुसार राजस्व निरीक्ष के 25 फीसदी पद लोक सेवा आयोग से सीधी भर्ती से भरे जाते हैं। बाकी 75 प्रतिशत पदों में 55 प्रतिशत लेखपाल, 18 प्रतिशत संग्रह अमीन और दो प्रतिशत भूमि अर्जन अमीन संवर्ग की पदोन्नति से भरे जाते हैं।
अब सिर्फ पदोन्नति से
श्रीकांत शर्मा ने बताया कि 25 फीसदी सीधी भर्ती वाले पदों में से 21 प्रतिशत पद लेखपालों को, चार प्रतिशत संग्रह अमीनों के हिस्से में जाएगा। इस तरह राजस्व निरीक्षक के शत-प्रतिशत पद पदोन्नति से भरे जाएंगे।लेखपाल संघ ने जताई खुशी
लेखपाल संघ के  महामंत्री ब्रजेश श्रीवास्तव ने योगी कैबिनेट के फैसले पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि सरकार लेखपालों की अन्य लंबित मांगों पर भी जल्द फैसला करेगी।

पदोन्नति में अब इस तरह मिलेंगे अवसर
संवर्ग का नाम–वर्तमान में–अब
लेखपाल–55–76
संग्रह अमीन–18–22
भूमि अर्जन अमीन–02–02
कुल–75–100

अभी 25 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से
यूपी अधीनस्थ कार्यपालक राजस्व निरीक्षक सेवा नियमावली-2014 के अनुसार राजस्व निरीक्ष के 25 फीसदी पद लोक सेवा आयोग से सीधी भर्ती से भरे जाते हैं। बाकी 75 प्रतिशत पदों में 55 प्रतिशत लेखपाल, 18 प्रतिशत संग्रह अमीन और दो प्रतिशत भूमि अर्जन अमीन संवर्ग की पदोन्नति से भरे जाते हैं।

कैबिनेट फैसला- 2: 12.61 लाख किसानों को सरकार का तोहफा

योगी सरकार ने 12.61 लाख ऐसे किसानों का तोहफा दिया है जिनका बैंक अकाउंट कर्ज न चुका पाने के कारण डेड या एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेस्ट्स) घोषित कर दिया गया था। अब इनके ऊपर बकाया रकम का 75 प्रतिशन सरकार देगी जबकि 25 फीसदी सहकारी बैंक खुद वहन करेंगे। इस तरह इन किसानों का 1893 करोड़ रुपये का कर्ज माफ हो जाएगा और वह अपने अकाउंट से दोबारा लेनदेन कर सकेंगे। एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) के तहत सहकारी बैंकों से इस पर सहमति बन गई है।
कैबिनेट की बैठक के बाद राज्य सरकार के प्रवक्ता व स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि लघु व सीमांत किसानों की ऋण माफी का काम तेजी से चल रहा है। सरकार ने अब एनपीए खाते वाले किसानों को भी कर्ज के जाल से बाहर निकालने का फैसला किया है। यह लोग विभिन्न वजहों से अपना कर्ज नहीं चुका सके थे। जिसके चलते बैंकों ने उनके अकाउंट डेड घोषित कर दिए और यह सभी किसान बैंकिंग सिस्टम से बाहर हो गए।प्रदेश में 15,91,201 एनपीए  खाताधारक किसान हैं। इनमें 12,61,225 किसान सहकारी बैंकों के हैं जबकि 3,29,976 किसान वाणिज्यिक बैंकों से। सहकारी बैंकों की ऐसे किसानों से जुड़ी एनपीए रकम 1893 करोड़ है जबकि वाणिज्यक बैंकों की 2506 करोड़। कुल 4399 करोड़ रुपये किसानों के  एनपीए एकाउंट का है।

सिंह ने बताया कि योगी सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट में ही किसानों का एक लाख रुपये तक ऋण माफ करने का फैसला किया था। एनपीए अकाउंट का सेटेलमेंट भी इसी सीमा वाले खाता धारकों का होगा। यदि किसी किसान का एक लाख रुपये की देनदारी के चलते अकाउंट एनपीए हुआ है तो 75 हजार रुपये सरकार देगी और 25 हजार खुद बैंक। एक लाख से अधिक की रकम  वाले एनपीए खातों की संख्या सिर्फ .021 प्रतिशत है। अब यह यह किसान भी बैंकों के माध्यम से सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकेंगे।

कैबिनेट फैसला- 3: बस्तियों में बुनियादी सुविधाएं जुटाने को मुख्यमंत्री के नाम पर योजना

अल्पसंख्यक बहुल व मलिन बस्तियों में सीसी रोड अथवा इंटर लॉकिंग, नाली निर्माण व अन्य सामान्य सुविधाएं जुटाने को चल रही योजना का नाम अब मुख्यमंत्री के नाम पर होगा। अब इसे ‘मुख्यमंत्री नगरीय अल्पविकसित व मलिन बस्ती विकास योजना में सीसी रोड अथवा इंटरलॉकिंग, नाली निर्माण, पेयजल, मार्ग प्रकाश व अन्य सामान्य सुविधाओं की स्थापना योजना’ के नाम से जाना जाएगा। इसके लिए चालू वित्त वर्ष 385 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। इस राशि से योजना के अधूरे कामों को पूरा कराया जाएगा।

कैबिनेट फैसला- 4: कुक्कुट कॉम्पलेक्स के निर्माण सामग्री की होगी ई-नीलामी

प्रदेश में कुक्कुट कॉम्प्लेक्स बनाने के बाद बची निर्माण सामग्री का निस्तारण ई-नीलामी से किया जाएगा। केंद्रीय सहायता से चलने वाली इस योजना के तहत प्रदेश में 24 कुक्कुट कॉम्प्लेक्सों के लिए 720 लाख रुपये मिले थे। इसमें से निगम ने 354 लाख रुपये की निर्माण सामग्री खरीदी गई।

इससे आठ कुक्कुट कॉम्पलेक्सों का पूर्ण और एक का आंशिक निर्माण हुआ। 165.58 लाख रुपये की सामग्री अब भी निर्माण स्थल पर पड़ी है। मूल्यांकन समिति ने इनका आरक्षित मूल्य 1,22,90,265 रुपये तय किया है। कैबिनेट ने तय किया है कि उच्चतम बोलियों के अनुसार अवशेष निर्माण सामग्री का निस्तारण किया जाए।

कैबिनेट फैसला- 5: भुगतान अधिनियम 1978 में जूनियर हाई स्कूल भी शामिल

कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश जूनियर हाई स्कूल (अध्यापकों एवं अन्य कर्मचारियों के वेतन का भुगतान) अधिनियम, 1978 में जूनियर हाई स्कूल पद को परिभाषित करने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है।

प्रदेश में प्रबंध तंत्र द्वारा संचालित मान्यता प्राप्त जूनियर हाई स्कूलों में कार्यरत अध्यापकों एवं कर्मचारियों के लिए बने इस अधिनियम की धारा दो में ‘जूनियर हाई स्कूल’ के बजाय ‘संस्था’ परिभाषित है। इसलिए इसमें जूनियर हाई स्कूल के पद को परिभाषित करना जरूरी था

कैबिनेट फैसला- 6 व 7: मुकदमों की कोर्ट फीस, नाजिर की जमानत राशि बढ़ेगी

कैबिनेट ने हाईकोर्ट के निर्देश पर न्याय विभाग से जुड़े दो अहम प्रस्तावों को भी मंजूरी दी है। इसमें मुकदमों की कोर्ट फीस में बढ़ोत्तरी भी शामिल है।

राज्य सरकार के प्रवक्ता व स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालयों में वाद व अपील दाखिल करते समय अदा की जाने वाली कोर्ट फीस (अनुज्ञेय फीस) को बढ़ाने के लिए सामान्य नियमावली सिविल-1957 के नियम-585 में संशोधन का प्रस्ताव उपलब्ध कराया है।

कैबिनेट ने इस संशोधन को मंजूरी दे दी है। इस निर्णय से वादों व अपीलों पर अनुज्ञेय फीस पूर्व से ली जा रही फीस से बढ़ जाएगी। इसी तरह अधीनस्थ न्यायालयों में कोर्ट का कैश रखने वाले नाजिर जैसे कुछ पदधारकों को जमानत राशि जमा करनी पड़ती है। कैबिनेट ने पद के हिसाब से जमानत राशि में वृद्धि से जुड़े प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। यह निर्णय भी हाईकोर्ट के प्रस्ताव पर किया गया है।

कैबिनेट फैसला- 8: सरकारी विभागों के लिए खनन क्षेत्र आरक्षित

सरकार ने सरकारी विभागों और संगठनों के निर्माण कार्य के लिए बालू, मौरंग और गिट्टी बोल्डर के खनन क्षेत्र आरक्षित कर दिए है। सोमवार को कैबिनेट की बैठक में भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग की उप खनिज नियमावली 1963 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।
कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब लोक निर्माण विभाग, डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के लिए बालू-मौरंग का खनन क्षेत्र एक वर्ष और गिट्टी बोल्डर खनन क्षेत्र को दो वर्ष के लिए आरिक्षत किया जाएगा।सरकारी विभाग और संगठन खनन पट्टे का हस्तांतरण किसी अन्य संस्था या व्यक्ति को नहीं कर सकेंगे। सरकारी विभागों को दोगुनी रायल्टी पर खनन क्षेत्र आवंटित होगा। लोक निर्माण विभाग और डीएफसीसीआई के लिए महोबा, झांसी, सोनभद्र, इलाहाबाद और बांदा में खनन क्षेत्र आरक्षित किए गए हैं।

गिट्टी व बोल्डर के लिए 7 व बालू मौरंग के लिए 8 खनन क्षेत्र दिए गए हैं। एनएचएआई के लिए भी इन जिलों में 6 खनन क्षेत्र आरक्षित किए गए हैं। बाण सागर नहर निर्माण के दौरान निकले पत्थर के आवंटन का प्रस्ताव भी पारित किया गया है।

कैबिनेट फैसला- 9: ग्रेनाइट और डोलो स्टोन के खनन पट्टे भी ई टेंडरिंग-ई ऑक्शन से

बालू-मौरंग के बाद अब प्रदेश में खनिज पत्थरों के खनन पट्टे भी ई टेंडर और ई ऑक्शन से मिलेंगे। कैबिनेट ने इसके लिए केंद्र सरकार की संस्था मेटल स्क्रेप ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन को नोडल एजेंसी नियुक्त किया है। संस्था की ओर से कस्टमाइज ई ऑक्शन पोर्टल तैयार कर ई ऑक्शन किया जाएगा।

कैबिनेट फैसला- 10: 70 जिलों में भू-मानचित्रों के डिजिटाइजेशन का काम होगा तेज

प्रदेश सरकार ने पिछले कई सालों से भू-मानचित्र डिजिटाइजेशन के काम को आगे बढ़ाने के लिए राज्यांश के मद से 5 करोड़ 21 लाख रुपये से अधिक की रकम देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

प्रदेश में भू-मानचित्रों के डिजिटाइजेशन का काम केंद्र सरकार के राष्ट्रीय भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत चल रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पांच जिलों मथुरा, गाजियाबाद, हापुड़, जौनपुर व बाराबंकी में यह काम कराए गए। 70 जिलों में इस काम के लिए कार्यदायी एजेंसियों का चयन हो चुका है।

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