UP: मेरठ में बनेगा देश का पहला जानवरों का युद्ध स्मारक, ये है कुत्तों की प्रजाति

आरवीसी के जांबाज कैटल, जिन्होंने कारगिल की ऊंची चोटियों व कश्मीर घाटी में वीर जवानों के साथ देश की आन, बान और शान को बढ़ाया, इनके साहस और वीरता को देखते हुए मेरठ के आरवीसी सेंटर में देश का पहला वार मेमोरियल फॉर एनीमल बनने जा रहा है। आरवीसी सेंटर एंड कॉलेज को इन सेवाओं के लिए भारत के पहले युद्ध स्मारक की मेजबानी दी जाएगी।

यह स्मारक उन पशुओं के योगदान को समर्पित होगा, जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान और कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में सेना की मदद की। रेमाउंट एंड वेटरनरी कोर (आरवीसी) में इस वक्त एक हजार से अधिक कुत्ते, 15 सौ घोड़े और पांच हजार खच्चर शामिल हैं। 

मेरठ कैंट स्थित आरवीसी सेंटर में युद्ध स्मारक का निर्माण होगा। इसमें देश के जांबाज कैटल को शामिल कर उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी। कारगिल युद्ध में पशुओं के साथ रहे उनके हैंडलर्स को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। ये स्मारक सेवा जानवरों के लिए समर्पित है। यह देश का पहला पशु युद्ध स्मारक होगा। बताया जा रहा है कि मानसी नामक लैब्राडोर को वर्ष 2016 में कश्मीर में आतंकवाद रोधी अभियानों में उसकी भूमिका को कुत्तों के लिए सेना के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया था। मानसी याद किए जाने वाले जानवरों की सूची में सबसे ऊपर है।

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सूत्रों के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय से मंजूरी मिलते ही जल्द ही यहां युद्ध स्मारक का निर्माण शुरू हो जाएगा। आरवीसी सेंटर में इसके लिए जमीन चिह्नित कर ली गई है। प्रारंभिक डिजाइन को फ्रीज भी कर दिया गया है।

अंकित किए जाएंगे सेवा नंबर
स्मारक में कुत्ते, 350 हैंडलर, कुछ घोड़ों और खच्चरों के नाम व सेवा नंबर अंकित किए जाएंगे। ये नंबर याद रखने का टोकन होगा और आरवीसी सैनिकों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता का प्रतीक होगा। कुत्ते का सर्वोच्च सम्मान मारणोपरांत प्रेषण में उल्लेख होना है। वहीं, डॉग हैंडलर द्वारा जीता गया सर्वोच्च पुरस्कार शौर्य चक्र है, जो देश का तीसरा सबसे बड़ा शौर्य वीरता पुरस्कार है।

ये है कुत्तों की प्रजाति
लैब्राडोर, जर्मन शेफर्ड और बेल्जियन शेफर्ड (मलिंसिन) सेना के कैनाइन कार्य बल के मुख्य आधार हैं। आरवीसी ने कुछ मुधोल हाउंड्स (कर्नाटक से एक स्वदेशी कुत्ते की नस्ल) को विस्फोटक पहचान के लिए परीक्षण के आधार पर पेश किया है।

आरवीसी के पास है करीब साढ़े सात हजार पशुओं की फौज
आरवीसी सेंटर में लगभग साढ़े सात हजार पशुओं की फौज है। इसमें एक हजार से अधिक कुत्ते, पांच हजार खच्चर व 15 सौ घोड़े शामिल हैं। ये कुत्ते विभिन्न भूमिकाओं के लिए प्रशिक्षित किए जाते हैं। इसमें विस्फोटकों का पता लगाना, ट्रैकिंग, हमला, पैदल सेना की गश्त, खोज व बचाव शामिल हैं।

आरवीसी सेंटर देश का बड़ा सेंटर है। इसमें वार मेमोरियल फॉर एनीमल बनाने की तैयारी चल रही है। मेरठ में देश का सबसे बड़ा वार मेमोरियल फॉर एनीमल बनाने की कवायद हो रही है 

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