UP बोर्ड: 30% स्कूलों में नहीं हो पाई प्रायोगिक परीक्षा, ये रहा सबसे बड़ा कारण

यूपी बोर्ड के स्कूलों में दोनों चरण की प्रायोगिक परीक्षाएं सोमवार को समाप्त हो गईं। अभी जिले के 30 फीसदी विद्यालय ऐसे हैं, जहां सभी विषयों की प्रायोगिक परीक्षाएं नहीं हो सकी हैं। 

वाराणसी के स्कूलों की प्रायोगिक परीक्षाएं दूसरे चरण में थीं। इसके लिए 31 दिसंबर से 13 जनवरी तक का समय निर्धारित था। इस दौरान 241 स्कूलों में 12वीं की प्रायोगिक परीक्षाएं होनी थीं। इसी दौरान ठंड पड़ने के कारण कई दिनों तक स्कूल बंद रहे। परीक्षकों ने भी तिथि नहीं दी। इस वजह से कई स्कूलों की प्रायोगिक परीक्षाएं प्रभावित हुई हैं। विभिन्न स्कूलों से मिली जानकारी के मुताबिक पांच जनवरी के बाद प्रायोगिक परीक्षा में तेजी आई। इसके बावजूद तीस फीसदी स्कूलों में सभी विषयों की प्रायोगिक परीक्षा नहीं हो सकी। इंटर तक के स्कूलों में औसतन सात या आठ विषयों की प्रायोगिक परीक्षाएं होती हैं। फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायो के अलावा, गृह विज्ञान, कृषि आदि विषयों में भी प्रायोगिक परीक्षाएं होती हैं। जिले में कई स्कूल ऐसे हैं, जहां पर एक या दो विषयों की प्रायोगिक परीक्षाएं रह गई हैं। ऐसे स्कूलों के छात्र चिंतित हैं, क्योंकि प्रैक्टिकल न होने से बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट फंस जाता है।

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जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय सभी स्कूलों से प्रायोगिक परीक्षाओं का विवरण तलब कर रहा है।  जिन स्कूलों की परीक्षा छूटी है, उसकी  सूची बोर्ड को भेजी जाएगी।  बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के अपर सचिव सतीश सिंह ने कहा, सभी स्कूलों को पहले ही निर्देश था कि अगर कोई प्रायोगिक परीक्षा छूटती है तो उसकी जानकारी तुरंत बोर्ड को भेज दी जाए। सूचना मिलने पर स्पष्ट होगा कि ऐसे विद्यालयों की संख्या कितनी है। इसके बाद कोई फैसला लिया जाएगा।

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