कश्मीर घाटी में आतंकवाद के खिलाफ बेमिसाल साल, सुरक्षाबलों ने 54 आतंकियों को किया ढेर
2024 में कश्मीर घाटी में सुरक्षाबलों ने विभिन्न ऑपरेशनों में 54 आतंकवादियों को ढेर किया, जबकि 5 जवान शहीद हुए। पुलिस ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाए, जिसमें आतंकियों के समर्थकों की संपत्ति की कुर्की और नए सुरक्षा उपाय शामिल हैं।
जम्मू कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से प्रदेश में खासकर घाटी में हर क्षेत्र में बदलाव देखने को मिल रहा है। सुरक्षाबलों द्वारा लगातार आतंकियों और आतंकी समर्थकों के साथ साथ देश विरोधी तत्वों पर प्रहार जारी रखा गया है। इस दौरान घाटी में सक्रीय आतंकी संगठनों को काफी नुक्सान उठाना पड़ा है।
पिछले पांच वर्षों में कई बड़े टॉप कमांडर मार गिराए गए हैं जिसके चलते घाटी में आतंकी खेमों में बौखलाहट देखने को मिली है जिसके चलते उनके द्वारा मोडस ऑपरेंडी में बदलाव लाते हुए सिविलियन किल्लिंग्स करना शुरू कर दिया गया है जिसमें अल्पसंख्यक और गैर रियासती लोग शामिल हैं। वहीं इस वर्ष आतंकिवादियों के खिलाफ चलाए गए विभिन्न ऑपरेशनों में इस वर्ष 54 आतंकवादी ढेर किये गए हैं जबकि इस दौरान 5 जवान भी शहीद हुए हैं।
जम्मू कश्मीर पुलिस एक आला अधिकारी ने अमर उजाला को बताया कि कश्मीर घाटी के पुलिस स्टेशनों के उन्नयन और विशेष रूप से प्रशिक्षित जम्मू कश्मीर पुलिस के कमांडो की तैनाती से एरिया डोमिनेशन अभ्यास और शत्रु तत्वों पर नजर रखने में काफी ज़्यादा मदद मिली है। उन्होंने कहा कि हिंसा में गिरावट के मुख्य कारणों में से एक आतंकवाद में स्थानीय युवाओं की कम भर्ती है जिसके लिए युवाओं को एक बड़ा श्रेय जाता है।
वहीं आतंकवादियों द्वारा नई तकनीकों के इस्तेमाल को लेकर जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारी ने कहा कि हर नई तकनीक के साथ उसके जवाबी उपाय भी होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवादी समर्थकों की संपत्तियों की कुर्की सहित भूमि कानून के सख्त कार्यान्वयन ने कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन देने के लिए एक निवारक के रूप में काम किया है।
बता दें कि पिछले पांच वर्षों में सुरक्षाबलों को मिले फ्री हैंड के चलते सुरक्षाबल घाटी में आतंकियों की टॉप लीडरशिप का खात्मा करने के साथ साथ आतंकी संगठनों की कमर तोड़ने में सफल रहे। इन्ही सबका का नतीजा है कि आतंकियों के सीमा पार बैठे आकाओं में बौखलाहट है और उनके द्वारा रणनीति में बदलाव किया गया है।
घाटी में कानून व्यवस्था की स्थिति और पत्थरबाज़ी की घटनाओं की बात करें तो उनमें भी बहुत कमी आई हुई है। यहां तक कि स्थानीय युवा भी बहुत कम आतंकवाद का रास्ता अपना रहे हैं। हुर्रियत के दबदबे के कम होने के साथ केंद्र सरकार द्वारा पत्थरबाजों के खिलाफ एक सख्त पॉलिसी बनाई गई जोकि जानकारों के अनुसार पथराव वाली घटनाओं को रोकने में काफी हद तक प्रभावशाली रही है।
एक तरफ एनआईए द्वारा ऐसी पथराव की घटनाओं के लिए फंडिंग के मामले खंगाले गए वहीं ऐसी पथराव की घटनाओं या भीड़ को उकसाने के मामलों में मुलव्विस पाए जाने वालों को देश के अन्य राज्यों में स्थित जेलों में बंद करना की रणनीति, यह दोनों पथराव की घटनाओं पर अंकुश लगाने में प्रबल रहे।
अलगाववादियों और उनकी टेरर फंडिंग पर एनआईए द्वारा शिकंजा कसने के बाद से पत्थरबाजों का नामोनिशान जैसे मिट गया हो। वर्ष 2016 में आतंकी कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने या उससे पहले के आतंकियों के जनाज़ों से 5-10 स्थानीय लड़के आतंकवाद में शामिल होने के लिए निकलते थे। जबकि 5 अगस्त, 2019 के बाद के समय से अब तक 400 के करीब स्थानीय युवाओं ने आतंकवाद का रास्ता अपनाया है।
अधिकारी ने आंकड़ों का ज़िक्र करते हुए बताया कि वर्ष 2024 में आतंकवादियों के खिलाफ घाटी में चलाए गए विभिन्न ऑपरेशनों में 54 आतंकवादियों को मार गिराने में सफलता हाथ लगी है जबकि वर्ष 2023 में 55 आतंकवादी मार गिराए गए थे। उन्होंने कहा, “आतंकवादियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशनों में वर्ष 2024 में 5 सुरक्षाबल के जवान शहीद हुए हैं जबकि 2023 में 3 सुरक्षाबलों के जवान और 2 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे।
पिछले कई वर्षों में आतंकवादी पन्नों में शामिल होने के लिए युवाओं की संख्या में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। वर्ष 2024 में 13 युवा आतंकवादी बनने के लिए गए जबकि 2023 में यह संख्या 19 थी।” उन्होंने कहा कि भर्ती के ग्राफ में भारी गिरावट देखी गई है। युवाओं को समझ आ गया है कि हथियार उठाकर कुछ हासिल नहीं किया जा सकता और अब प्रगतिशील भविष्य बनाने का समय आ गया है। बता दें कि इससे पूर्व वर्ष 2022 में 130 युवा आतंकवादी रैंक में शामिल हुए थे।
आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में कुल 1999 पत्थरबाज़ी की घटनाएं हुई हैं जिनमें से 1193 केवल 5 अगस्त, 2019 को सुनाए गए इतिहासिक फैसले के बाद हुई जबकि 2020 में इन घटनाओं में 87.31 प्रतिशत गिरावट दर्ज की और केवल 255 घटनाएं हुई जबकि वर्ष 2021 में करीब 4-5 छोटी-छोटी घटनाओं के अलावा को मुख्य घटना नहीं देखने को मिली है। जबकि वर्ष 2022 में ऐसी कोई घटना के बारे में सुनने को भी कुछ नहीं मिला।
अधिकारी ने कहा 2023 और 2024 में पत्थरबाज़ी सहित अन्य कानून व्यवस्था की घटनाओं की संख्या शून्य थी जोकि जम्मू कश्मीर पुलिस की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। कश्मीर घाटी में पुलिस स्टेशनों के उन्नयन और विशेष रूप से प्रशिक्षित जम्मू कश्मीर पुलिस के कमांडो की तैनाती से एरिया डोमिनेशन अभ्यास और शत्रु तत्वों पर नजर रखने में बड़ी मदद मिली है।
उन्होंने कहा हमने अपने बुनियादी ढांचे को उन्नत किया है। पुलिस स्टेशनों को नए और आधुनिक हथियारों, वाहनों और गैजेट्स से लैस किया गया है। कश्मीर घाटी के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में विशेष रूप से प्रशिक्षित जम्मू कश्मीर पुलिस के कमांडो को तैनात किया गया है। इससे क्षेत्र में एरिया डोमिनेशन स्थापित करने में बहुत मदद मिली है। पुलिस स्टेशनों के पास अब अपने संबंधित अधिकार क्षेत्र में एरिया डोमिनेशन के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित जवान और हाईटेक मशीनरी है। इससे न केवल वह राष्ट्र विरोधी तत्वों और उनकी गतिविधियों पर नजर रखते हैं बल्कि इससे शांति बनाए रखने में मदद मिली है।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा नई तकनीकों का उपयोग करने की हाल में सामने आई रिपोर्ट पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हर नई तकनीक के साथ उसके जवाबी उपाय भी तैयार होते हैं। उन्होंने ने कहा, “हम राष्ट्र विरोधी तत्वों खासकर आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली किसी भी तकनीक का मुकाबला करने में सक्षम हैं।
हमारी सुरक्षा एजेंसियों के पास हर चीज़ का तोड़ है। अगर कोई नई तकनीक है, तो सुरक्षा एजेंसियां उस पर भी काम करती हैं और उसका मुकाबला करने के तरीके ढूंढती हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षाबल कश्मीर घाटी में नियंत्रण रेखा पर आतंकवादियों और हथियारों और गोला-बारूद की घुसपैठ को रोकने में काफी हद तक सफल रही हैं।
अधिकारी ने कहा वर्ष 2023 में 16 घुसपैठ की कोशिशें हुई थी जबकि वर्ष 2024 में इसमें कमी दर्ज हुई और यह आंकड़ा 11 तक पहुँच गया। कहा कि घुसपैठियों को भेजने का प्रयास लगातार जारी है लेकिन सेना के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर पुलिस एक मजबूत और सख्त एंटी-इंफिल्ट्रेशन ग्रिड बनाए रखने में सक्षम रही है। उन्होंने कहा कि यूएपीए के सख्त कार्यान्वयन और आतंकी समर्थकों की संपत्तियों की कुर्की ने जम्मू-कश्मीर में हिंसा के स्तर को कम करने में मदद करते हुए एक निवारक के रूप में काम किया है। अधिकारी ने कहा कि लोगों के हृदय परिवर्तन से भी स्थिति में बड़ा सुधार हुआ है। उन्होंने कहा, हमने आतंक और आतंकी नेटवर्क पर बहुआयामी कार्रवाई शुरू की है।
आतंकवादियों को ढेर करने के अलावा, उनके सैकड़ों समर्थकों, ओजीडब्ल्यू को गिरफ्तार किया गया है। हमने स्वेच्छा से आतंक का समर्थन करने वालों की संपत्ति कुर्क करना शुरू कर दिया है। इसने एक निवारक के रूप में काम किया है।” उन्होंने कहा कि कानून के शासन के सख्त कार्यान्वयन ने आतंकवाद को समर्थन देने वाले लोगों के लिए एक बड़े निवारक के रूप में काम किया है। अधिकारी ने कहा, “इससे आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र, विशेषकर ओजीडब्ल्यू नेटवर्क को बड़ा झटका लगा है। पुलिस द्वारा कानून के शासन को सख्ती से लागू करने के बाद हिंसा में भारी कमी आई है।
गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद घाटी में अलगाववाद की हवा निकल गई। पाकिस्तान के इशारे पर निकलने वाले देश विरोधी सुर अब बंद हो गए। 5 अगस्त, 2019 के बाद हुर्रियत की ओर से कश्मीर के किसी कोने से पाक परस्ती की आवाज नहीं उठी। न कोई मजलिस हुई, न सरकार के किसी फैसले के खिलाफ आवाज उठी और न ही पाकिस्तान के झंडे लहराए गए।
यहां तक कि अलगाववादी कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के मरने के बाद हालातों के बिगड़ने की आशंका जताई जा रही थी। लेकिन तब भी कुछ भी देखने को नहीं मिला, न कहीं प्रदर्शन हुए और नाही किसी ने बंद की कॉल दी। यह दर्शाता है कि पाकिस्तान परस्तों को अब जनता का समर्थन नहीं मिल रहा है। घाटी में सफेदपोश लोगों की पोल खुल चुकी है।
अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से लगभग हर दिन ही आतंकियों के लिए काल साबित हुआ है। पिछले पांच वर्षों में आतंकियों को भारी नुक्सान उठाना पड़ा है। अगर इस दौरान के आंकड़ों पर नज़र डालें तो यह आंकड़े चौंका देने वाले हैं। इस दौरान कश्मीर घाटी में 650 से अधिक आतंकियों को मार गिराने में सुरक्षा एजेंसियों को सफलता प्राप्त हुई है और इनमें से 200 के करीब ऐ, ऐ+ और ऐ++ केटेगरी के टॉप आतंकी कमांडर शामिल हैं।
इन बड़े कमांडरों में हिजबुल मुजाहिदीन के कुख्यात आतंकी रियाज नायकू, नायकू का करीबी और अलगाववादी अशरफ सेहरई का बेटा जुनैद सेहरई समेत हिजबुल के अन्य कई बड़े आतंकी उमर फय्याज उर्फ हमाद खान, जहांगीर, वसीम अहमद वानी, मसूद भट और फारूक नल्ली भी मारे गए।
बासित डार, उस्मान लश्करी और अरबाज मीर भी इस साल मारे गए। अंसार गजवा तुल हिंद (एजीएच) के बुरहान कोका, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के बशीर कोका, इशफाक रशीद, जैश-ए-मोहम्मद (जीईएम) के सज्जाद अहमद डार, सज्जाद नवाबी, कारी यासिर और पाकिस्तानी आईईडी एक्सपर्ट अबू रहमान उर्फ फौजी भाई को भी मार गिराया गया।
लश्कर-ए-तैयबा का उत्तरी कश्मीर का चीफ प्रमुख सज्जाद अहमद मीर उर्फ हैदर उर्फ जज्जा, लश्कर कमांडर नसरुद्दीन लोन और एक पाकिस्तानी आतंकी अबू दाशिन,अल बदर का जिला कमांडर शकूर पररे, लश्कर कमांडर जाहिद नजीर भट उर्फ जाहिद टाइगर, पाकिस्तान का ए श्रेणी का जैश आतंकी समीर भाई उर्फ उस्मान और कुलगाम का स्थानीय तारिक अहमद मीर, लश्कर का टॉप कमांडर सैफुल्लाह, आदि शामिल हैं।
इनके अलावा पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड और जैश के टॉप आतंकी मोहम्मद इस्माइल अल्वी उर्फ लंबू उर्फ अदनान जोकि एक आईईडी एक्सपर्ट था, अल-बदर का सरगना गनी ख्वाजा, लश्कर-ए-तैयबा का टॉप आतंकी मुदस्सिर पंडित, खुर्शीद मीर और एक विदेशी आतंकी अब्दुल्ला उर्फ अबू असरार, लश्कर-ए-तैयबा कमांडर अबू हुरैरा, लश्कर-ए-तैयबा का टॉप कमांडर इशफाक डार उर्फ अबू अकरम, टीआरएफ चीफ अब्बास शेख और टीआरएफ सेकंड कमांड साकिब मंज़ूर, एजीएच चीफ इम्तियाज़ शाह को भी सुरक्षाबलों ने विभिन्न आतंकवादी विरोधी ऑपेऱशनों के दौरान मौत के घाट उतारा गया है।