यूपी के इस कंपोजिट विद्यालय की अनोखी पहल…

यूपी के बलरामपुर जिले में एक ऐसा कंपोजिट विद्यालय जहां शिक्षक की एक अनोखी पहल सामने आई है। यहां बच्चों को मिड डे मील में बनने वाली जैविक तरीके से तैयार की गई सब्जियों के स्वाद मिलते हैं। विद्यालय में ही किचन गार्डन बनाया गया है। विद्यालय में बने किचन गार्डन से जहां बच्चों को खेती किसानी के बारे में जानकारी मिलती है वहीं पर्यावरण के प्रति उनमें जागरूकता उत्पन्न हो रही है। यहां पर विद्यालय परिसर में ही किचन गार्डन बनाकर सब्जियां उगाई जा रही हैं।

बलरामपुर जिले के शिक्षा क्षेत्र तुलसीपुर कंपोजिट विद्यालय जद्दापुर में प्रधानाचार्य ने एक नई मिशाल कायम किया है। बच्चों को शिक्षा के साथ ही खेती किसानी के बारे में किचन गार्डन के माध्यम से विशेष जानकारी दी जा रही है। गार्डन में उगने वाली सब्जी यहां मध्यान्ह भोजन के लिए प्रयोग की जा रही है। विद्यालय के प्रधानाध्यापक बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के साथ-साथ खेती किसानी के गुरु भी सीख रहे हैं। इससे बच्चे स्वस्थ आहार की महत्व समझने के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी महसूस कर रहे हैं। जिले का यह इकलौता विद्यालय है। जहां के प्रधान अध्यापक कोई ना कोई अभिनव प्रयोग करते रहते हैं। उनकी मेहनत लगन और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर विद्यालय दिन प्रतिदिन नए आयाम की पटकथा लिख रहा है।

किचन गार्डन से बनती मिड डे मील में सब्जी, सेहत के साथ हरियाली का संदेश दे रहे अध्यापक
प्रधानाध्यापक उत्तम चंद गुप्ता ने बताया कि कंपोजिट विद्यालय जद्दापुर में बीते कई वर्षों से निरंतर किचन गार्डन में मौसम अनुकूल सब्जियां उगाई जाती रही हैं। जिसमें बच्चों, रसोइयों का योगदान सराहनीय रहा है। हर वर्ष मौसम के अनुरूप सब्जी की बुवाई की जाती है। उसे निकली हुई सब्जी बच्चों को दिए जाने वाले भोजन में बनाया जाता है। किचन गार्डन के माध्यम से बच्चों को शिक्षण कार्यों के साथ ही खेती किसानी और स्वास्थ्य विषयों की जानकारी दी जा रही है।

अपने कृषि में अंग्रेजी खाद अंग्रेजी कीटनाशक दवाइयां को ना प्रयोग करके देसी खाद व नीम की खली आदि का प्रयोग करें। जिससे कि स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक ना रहे। वर्ष में दो बार किचन गार्डन में तरह-तरह की सब्जियां लगाई जाती है। आज कद्दू तोड़कर मध्यान्ह भोजन में बनाया गया है। और बच्चों को परोसा गया है । बच्चों को अपने घर पर भी इसी तरह से सब्जियों को उगाने के लिए प्रेरणा दी जाती रही है।

विद्यालय में प्रधानाचार्य के इस प्रयोग से छात्रों को खेती की जानकारी मिल रही है। वही बच्चे अपने पर्यावरण के प्रति भी जागरूक हो रहे हैं। इसको लेकर अभिभावकों में प्रसन्नता प्राप्त है।

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